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चीन बढ़ा रहा DF-26 Guam Killer परमाणु मिसाइलों की संख्या, जानिए किसके खिलाफ बना रहा प्लान

China गुआम किलर के नाम से मशहूर परमाणु मिसाइल DG-26 की संख्या बढ़ा रहा है. यह एक इंटरमीडिएट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल है, जो प्रशांत महासागर में मौजूद अमेरिकी सेना को आसानी से टारगेट कर सकती है. चीन किस पर इसका इस्तेमाल करेगा ये जानकारी तो नहीं है, लेकिन अमेरिका के समर्थन वाले देश निशाना बन सकते हैं. आइए जानते हैं इस मिसाइल की ताकत...

ये हैं चीन की DF-26 बैलिस्टिक मिसाइल. जिन्हें रोड मोबाइल इरेक्टर लॉन्चर से दागा जाता है. (फोटोः गेटी) ये हैं चीन की DF-26 बैलिस्टिक मिसाइल. जिन्हें रोड मोबाइल इरेक्टर लॉन्चर से दागा जाता है. (फोटोः गेटी)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:31 PM IST

चीन तेजी से अपनी इंटरमीडिएट रेंज परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल DF-26 की संख्या बढ़ा रहा है. इसे गुआम किलर (Guam Killer) या गुआम एक्सप्रेस (Guam Express) भी कहते हैं. इसके दो वैरिएंट्स हैं, पहला जमीन से छोड़ी जाने वाली और दूसरी एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल. 

हर एक मिसाइल 1200 से 1800 किलोग्राम न्यूक्लियर हथियार लगा सकते हैं. पारंपरिक हथियारों से भी इस मिसाइल को लैस किया जा सकता है. इसकी रेंज 5 हजार किलोमीटर है. इन मिसाइलों की संख्या बढ़ाने का खुलासा अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) ने किया है. 

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DIA की रिपोर्ट के मुताबिक चीन और ज्यादा डीएफ-26 मिसाइलों को तैनात करने जा रहा है. यह चीन की सबसे ताकतवर और प्रेसिशन-स्ट्राइक क्षमता वाली मिसाइल है. दोनों तरह के हथियार इसमें  लग सकते हैं. इसमें हथियार को स्वैप करने की भी ताकत है. यानी पारंपरिक की जगह परमाणु या इसके ठीक उलट. 

पूरा एयरक्राफ्ट कैरियर डुबा सकती है ये मिसाइल

इसे लॉन्च करने के लिए रोड मोबाइल इरेक्टर लॉन्चर सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं. यानी जमीन से जमीन पर या जमीन से नौसैनिक युद्धपोत पर हमला किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल एयरक्राफ्ट कैरियर को डुबोने के लिए भी कर सकते हैं. यह मिसाइल एक बार में अमेरिका के किसी भी बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर को डुबो सकती है. 

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अमेरिकी एयरफोर्स बेस को इस मिसाइल से खतरा

चीन अगले कुछ वर्षों में 1000 से ज्यादा DF-26 मिसाइलों को तैनात करेगा. एक अनुमान के अनुसार चीन के पास 250 DF-26 मिसाइलें हैं. इस साल जून में यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड के कमांडर एडमिरल सैम पपारो ने कहा था कि गुआम आइलैंड पर मौजूद एंडरसन एयरफोर्स बेस की सुरक्षा उनकी टॉप प्रायोरिटी है. यानी उनका इशारा चीन की इसी मिसाइल की तरफ था. क्योंकि इसे गुआम किलर कहा जाता है. 

US-इजरायल को ईरान-रूस-उत्तर कोरिया से रिस्क

DIA की 64 पेज की रिपोर्ट में चीन की इस मिसाइल को न्यूक्लियर चुनौती कहा जा रहा है. इसकी वजह से सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि उत्तर कोरिया, रूस की भी ताकत में बढ़ोतरी होगी. अगर डील होती है तो ईरान भी इस मिसाइल की तकनीक, मिसाइल या हथियार हासिल कर सकता है. ऐसे में अमेरिका और इजरायल के लिए मुसीबत बढ़ जाएगी. क्योंकि चीन, रूस, नॉर्थ कोरिया, ईरान ये कभी भी पश्चिमी देशों के खिलाफ एकजुट हो सकते हैं. 

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चीन के पास एक से एक खतरनाक मिसाइलों की रेंज

चीन के पास मिसाइलों की भयानक रेंज है. चीन के पास ऐसी हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल हैं, जो अंतरिक्ष में 40 हजार किलोमीटर की ऊंचाई छूकर वापस धरती का वायुमंडल चीरते हुए जमीन पर टारगेट को स्ट्राइक कर सकती है. इतनी ऊंचाई से टेनिस बॉल के आकार का धातु गिरे तो वो बहुत नुकसान पहुंचा सकता है. ये तो मिसाइल है. 

चीन-रूस-उत्तर कोरिया एकदूसरे से बांटेंगे हथियार-तकनीक

चीन इसे फ्रैक्शनल ऑर्बिटल बम्बॉर्डमेंट सिस्टम (FABS) बुलाता है. चीन ने ऐसी नई मिसाइलों को हामी, गुआझोउ, हैंगिंग बैनर और मंगोलिया सीमा पर तैनात कर रखा है. इन्हें पनचक्कियों के फार्म के बीच लगाया गया है. ताकि दुश्मन को इनकी मौजूदगी का पता न चले. रूस लगातार चीन को सेंसर डेटा देता रहता है. 

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रूस अगर चीन की मदद करता है तो वह कई नए तरह के हाइपरसोनिक हथियार दे सकता है. जैसे- एवनगार्ड हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल, किंझल हाइपरसोनिक मिसाइल, स्काईफॉल न्यूक्लियर पावर्ड क्रूज मिसाइल और पोसाइडन न्यूक्लियर पावर्ड अंडरवाटर व्हीकल. उत्तर कोरिया के पास भी चार तरह के हथियार हैं. कम दूरी की मिसाइल से लेकर अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल तक. 

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