
ये बात है 2021 की. चीन और ताइवान के बीच संघर्ष की शुरुआत हो चुकी थी. चीन ने ताइवान की राजधानी ताइपे में मौजूद राष्ट्रपति दफ्तर पर हमले की तैयारी कर ली थी. इसके लिए चीन की सेना ने इनर मंगोलिया के रेगिस्तान में ताइवानी राष्ट्रपति के दफ्तर की हूबहू नकल बनाई थी, जहां चीनी सेना के जवान हमले की प्रैक्टिस करते थे.
यह नकल मार्च 2021 में बनना शुरू हुआ था. अक्टूबर में बनकर तैयार हो गया था. चीन की सरकार चाहती थी कि उसके सैनिकों को एकदम असली हमले जैसी तैयारी कराई जाए. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले भी ताइवान के साथ संघर्ष के दौरान साल 2015 में इनर मंगोलिया में चीनी सेना ने प्रैक्टिस की थी.
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वहां पर कई इमारतों की नकल बनाई गई थी. उनके ऊपर हमले की प्रैक्टिस की गई थी. यह दावा एक ताइवानी डिफेंस एनालिस्ट ने की है. उसने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर चीन के इस हरकत की तस्वीरें शेयर की हैं. यह सैटेलाइट इमेज 26 मार्च 2024 की है. जिसमें Bo'ai Special Zone का नक्शा दिख रहा है.
ताइवान के सबसे सुरक्षित इलाके की हूबहू नकल चीन में
असल में यह जोन ताइपे के अत्यधिक सुरक्षित और रेस्ट्रिक्टेड इलाका है. जहां पर कई प्रमुख सरकारी इमारतें हैं. साथ ही ताइवान के राष्ट्रपति का दफ्तर भी है. इस पूरे इलाके की नकल चीन की सेना ने इनर मंगोलिया में बनाई गई. डिफेंस एनालिस्ट ने कहा कि यह तैयारी जमीनी हमले के साथ-साथ हवाई हमले की प्रैक्टिस के लिए भी बनाया जा सकता है. ताकि आसानी से बम और मिसाइलों को गिराया जा सके.
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इस पूरे नकल वाले इलाके में राष्ट्रपति दफ्तर व अन्य सरकारी इमारतों की हूबहू मॉडल बनाए गए हैं. ताकि चीन के सैनिकों को हमला करते समय इमारत पहचानने में किसी तरह की दिक्कत न हो. इनर मंगोलिया में चीन की सेना का झुरिहे ट्रेनिंग बेस है. यहां पर चीनी सैनिक शहरी हमलों की प्रैक्टिस करते हैं.
ताइवानी राष्ट्रपति का दफ्तर जापानी स्टाइल में बनाया गया
ताइवान के राष्ट्रपति का दफ्तर जापानी स्टाइल में बनाया गया है. इसलिए उसे पहचानना इतना मुश्किल नहीं है. 2020 में भी मंगोलिया में ही ताइवान की राजधानी ताइपे की कई सरकारी इमारतों की रेप्लिका बनाई गई थी. इस तरह की तैयारियों के पीछे चीन और ताइवान के बीच बरसों से चली आ रही संघर्ष है.
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चीन लगातार अपनी सेना को और ताकतवर बना रहा है. आधुनिक कर रहा है. इस बीच यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड के कमांडर एडमिरल जॉन एक्वीलिनो ने कहा कि हमने चीन की सेना को चेतावनी दी है कि ताइवन पर अगले चार सालों तक किसी भी तरह की घुसपैठ की गई तो नतीजा बेहद बुरा होगा.
चीन की चाल की चर्चा अब पूरी दुनिया में हो रही है
ताइवान के राष्ट्रपति के दफ्तर की नकल बनाने की खबर बाहर आते ही दुनियाभर में चर्चा हो रही है. यह इमारत सिर्फ ताइवान की सबसे महत्वपूर्ण सरकारी बिल्डिंग ही नहीं बल्कि पूरे देश के इतिहास को दर्शाती है. जब यहां 1912 से 1919 तक जापान का शासन था, तब यह इमारत बनाई गई थी.
इस इमारत ने द्वितीय विश्व युद्ध में नुकसान झेला. फिर से इसे 1947 से 48 के बीच रीस्टोर किया गया. इसे Chieh Shou Hall कहते हैं. यह इमारत ताइवान की चीन के साथ हुए संघर्ष की कहानी बताती है. यह बताती है कि कैसे ताइवान लगातार चीन के चंगुल से बचने के लिए जंग लड़ता रहा है.
लेकिन इनर मंगोलिया में चीन की हरकत से यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि वह ताइवान पर कब्जा करने के लिए किस लेवल की तैयारी कर रहा है. क्योंकि बाकायदा एकदम सटीक नाप-तौल के साथ ही इस पूरे इलाके और इमारतों को चीन ने बनाया है.