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भारतीय सेना को AI बेस्ड आत्मघाती ड्रोन से खतरा, 10 लाख ड्रोन्स खरीदने वाला है चीन

चीन 10 लाख नए AI बेस्ड आत्मघाती ड्रोन्स खरीदने जा रहा है. 2026 तक ये चीन की सेना में शामिल हो जाएंगे. इन ड्रोन्स से भारत के मिलिट्री ढांचों, सैनिकों, टैंक, एयर डिफेंस सिस्टम और मिसाइल साइलो को खतरा है. इसलिए भारतीय रक्षा मंत्रालय चीन की तैयारी को काउंटर करने की तैयारी शुरू कर चुका है.

चीन 10 लाख AI बेस्ट आत्मघाती ड्रोन्स खरीदने वाला है, जिससे भारतीय मिलिट्री को खतरा हो सकता है. चीन 10 लाख AI बेस्ट आत्मघाती ड्रोन्स खरीदने वाला है, जिससे भारतीय मिलिट्री को खतरा हो सकता है.
मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 25 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:49 PM IST

रूस-यूक्रेन की जंग ने दुनिया को नया हथियार दिया है. ये है FPV ड्रोन्स. यानी फर्स्ट पर्सन व्यू. कैमरा लगा है. टर्बो जेट इंजन ताकत दे रहा है. जीपीएस से लैस. बाकी हथियार. टारगेट फिक्स करो और तबाही का मजा लो. ये सस्ते हैं. सटीक हैं. टारगेट रुका हुआ हो या फिर भाग-दौड़ रहा हो. अब ऐसे ही चीन के ड्रोन्स से भारत को खतरा है. 

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जीपीएस गाइडेड आर्टिलरी शेल यानी तोप से दागा जाने वाला गाइडेड गोला जिसकी कीमत 1 लाख डॉलर प्रति गोला होती है. यानी 8.53 लाख रुपए. उससे सस्ते हैं FPV ड्रोन. इनकी कीमत मात्र 1500 डॉलर्स होती है. यानी 1.28 लाख रुपए. इतनी ही कीमत में ड्रोन और हथियार दोनों हो जाते हैं. कीमत में इतना अंतर सेना के लिए फायदेमंद है. 

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टैंक हो या सैनिक किसी पर भी कर सकते हैं हमला

ये ड्रोन्स एंटी-टैंक हथियारों से लैस किसी भी हाई-टारगेट वैल्यू को हिट कर सकते हैं. यहां तक कि आर्टिलरी, टैंक या मिसाइल साइलो उड़ा सकते हैं. इन्हें एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर 500 से 1000 FPV एकसाथ हमला करें तो ये किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम को बर्बाद कर सकते हैं. 

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ये FPV ड्रोन्स किसी भी तेज चलती हुई वस्तु, मिलिट्री ढांचे, बख्तरबंद वाहन, सैनिकों के वाहन या मिसाइल साइलो को टारगेट कर सकते हैं. पारंपरिक तौर पर ये ड्रोन्स रेडियो फ्रिक्वेंसी सिग्नल पर चलते हैं. इससे इन्हें ब्लॉक किया जा सकता है. यानी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम के जरिए. लेकिन अब ये भी एडवांस होते जा रहे हैं. 

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चीन के ड्रोन हमले से भारत को बड़ा खतरा है

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने 10 लाख आत्मघाती ड्रोन्स मंगाने की तैयारी कर ली है. 2026 तक इनकी डिलिवरी हो जाएगी. ये हल्के, सटीक और घातक होंगे. इतना ही नहीं ये AI आधारित होंगे. चीन भविष्य के जंग की पूरी तैयारी कर चुका है. इससे खतरा ये है कि ये ड्रोन्स फिर पाकिस्तान औऱ बाद में बांग्लादेश को मिल सकत हैं. इससे भारत को तीन तरफ से खतरा बढ़ जाएगा. 

AI आधारित आत्मघाती ड्रोन्स आठ घंटे तक उड़ान भर सकते हैं. ये भारत के एयर डिफेंस गन्स और काउंटर ड्रोन सिस्टम को धोखा दे सकते हैं. ये भारत के महत्वपूर्ण कमांड सेंटर्स पर सटीक हमला कर सकते हैं. अगर ज्यादा मात्रा में इन्हें लॉन्च किया जाए तो ये किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम को बर्बाद कर सकते हैं. दूसरी लहर आने पर भारी मात्रा में जानमाल का नुकसान हो सकता है. 

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चीन ने शुरू की सैनिकों की ट्रेनिंग, भारत भी कर रहा तैयारी

चीन की सेना अपने सैनिकों को इस तरह के ड्रोन ऑपरेट करने की ट्रेनिंग देना शुरू कर चुका है. ड्रोन स्वॉर्म की ट्रेनिंग चल रही है. यानी एक बार में सैकड़ों ड्रोन्स से घातक हमला. अगर भारत के महत्वपूर्ण मिलिट्री ढांचों और सैनिकों के मूवमेंट की बात करें तो इन्हें इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से सुरक्षा मिलती है. 

अगर इस सिस्टम को ही ड्रोन धोखा दे दें तो बचना मुश्किल है. इसलिए अब भारतीय रक्षा मंत्रालय सबसे सटीक, किफायती, आसान और मारक काउंटर सिस्टम की खोज में लग गया है. साथ ही भारतीय डिफेंस उद्योग से भी कहा गया है कि ऐसे खतरों से बचने के लिए जरूरी सिस्टम तैयार किए जाएं. 

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