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DRDO ने सफलतापूर्वक स्क्रैमजेट इंजन का जमीनी परीक्षण किया है. DRDO की इस उपलब्धि पर रक्षा मंत्रालय ने बधाई दी और कहा है कि स्क्रैमजेट के परीक्षण के जरिए हाइपरसोनिक तकनीक विकसित करने की पहल उल्लेखनीय उपलब्धि है.
न्यूज एजेंसी की खबर के मुताबिक, मंत्रालय ने अपने बयान कहा कि भारत, अमेरिका, चीन और रूस सहित कई देश सक्रिय रूप से हाइपरसोनिक तकनीक पर काम कर रहे हैं.
इंजन में इग्निशन प्रणाली है
हाइपरसोनिक मिसाइलों की रफ्तार ध्वनि की गति से भी पांच गुना ज्यादा है. ये 5400 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से चलती हैं. इससे तेज और उच्च प्रभाव वाले हमले किए जा सकते हैं. स्क्रैमजेट इंजन में इग्निशन प्रणाली है. जिसके जरिए ईंधन और हवा मिश्रण में चिंगारी लगाकर उसे जलाया जाता है. इसमें तूफान में मोमबत्ती जलाकर रखने जैसा है.
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स्क्रैमजेट इंजन में एक फ्लेम स्टेबिलाइजेशन टेक्नोलॉजीज का इस्तेमाल किया जाता है, जो 1.5 किमी/सेकंड से अधिक वायु गति के साथ कंबस्टर के अंदर लौ बनाए रखती है. स्क्रैमजेट में कई नई इग्निशन और फ्लेम होल्डिंग तकनीकों का भी अध्ययन किया गया. इस परियोजना के तहत कई तरह के उपकरण तैयार किए जा रहे हैं और इसमें स्क्रैमजेट इंजन का प्रयोग किया जा रहा है.
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कई नई तकनीकों का इस्तेमाल
अधिक तापमान को प्रतिरोध करने वाले कोटिंग विकसित किया गया है जो स्टील के पिघलने से ज्यादा तापमान पर काम कर सकता है. स्क्रैमजेट इंजन के अंदर लगाया जाता है. डीआरडीएल ने पहली बार भारत में 'एंडोथर्मिक स्क्रैमजेट फ्यूल' का ईजाद किया है, जो इंजन के तापमान को नियंत्रण रखने में मदद करेगा. एंडोथर्मिक स्क्रैमजेट फ्यूल इंजन का तापमान कम रखने और इग्निशन को सरल बनाने में मदद करता है.
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ये उपलब्धि मील का पत्थर
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष, समीर वी कामत ने स्थिर दहन, शानदार प्रदर्शन और उत्कृष्ट थर्मल प्रबंधन परीक्षण में क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए डीआरडीएल टीम और उद्योग को बधाई दी है. रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किए गए यह उपलब्धि अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक मिशनों के विकास में मील का पत्थर है.