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Indian Navy को मिलेंगे ऐसे जहाज, जो बन जाएंगे सभी युद्धपोतों के गार्जियन

Indian Navy के लिए अब ऐसे जहाज बनाए जाएंगे, जो सभी युद्धपोतों का गार्जियन होगा. यह जंग के दौरान और सामान्य दिनों में जंगी जहाजों पर ईंधन, पानी, गोला-बारूद और अन्य सामान पहुंचाएगा. ये भारतीय नौसेना की पहली फ्लीट सपोर्ट शिप होंगी. जिसमें कुल पांच सपोर्ट शिप्स होंगे.

इस तरह के दिखेंगे नौसेना के फ्लीट सपोर्ट जहाज. (फोटोः विकिपीडिया) इस तरह के दिखेंगे नौसेना के फ्लीट सपोर्ट जहाज. (फोटोः विकिपीडिया)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 1:53 PM IST

भारतीय नौसेना के लिए पहले फ्लीट सपोर्ट शिप्स (First Fleet Support Ships - FSS) की स्टील कटिंग का काम शुरू हो गया है. फ्लीट सपोर्ट शिप का मतलब वो जहाज जो युद्ध के दौरान हमारे युद्धपोतों की मदद करेंगे. स्टील कटिंग का मतलब उसके ढांचे के निर्माण के लिए स्टील को आकार देना शुरू कर दिया गया है. 

स्टील कटिंग के कार्यक्रम में नौसेना के अधिकारी और जहाज बनाने वाली कंपनी यानी हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के अधिकारी मौजूद थे. जिस स्टील से जहाज का निर्माण शुरू होना है, उसकी पूजा की जाती है. इन जहाजों को बनाने के लिए पिछले साल समझौता हुआ था. साल 2027 के मध्य तक इन जहाजों की डिलिवरी होनी है. अधिकतम 8 साल में इस प्रोजेक्ट को पूरा करना है.

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ये पांचों जहाज पूरी तरह से स्वदेश में बनेंगे. इनका डिस्प्लेसमेंट 40 से 45 हजार टन होगा. इन्हें बनाने के लिए 19 हजार करोड़ रुपए की लागत आएगी. इनके बनने से दो तरह के फायदे होंगे. पहला युद्ध के दौरान नौसेना के जंगी जहाजों को ईंधन, पानी, रसद, गोला-बारूद की सप्लाई होती रहेगी. 

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इन जहाजों की लंबाई 754.7 फीट होगी. ये अधिकतम 37 km/hr की गति से चल सकेंगे. अगर इन्हें 28 से 30 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलाया जाए तो ये 22 हजार किलोमीटर की रेंज कवर कर सकते हैं. इनके ऊपर एक HAL Dhruv हेलिकॉप्टर तैनात हो सकता है. इस जहाज पर जंगी जहाजों में फ्यूल देने के लिए रीफ्यूलिंग फैसिलिटी लगी होगी. एक हेलिकॉप्टर हैंगर भी होगा.   

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इससे बंदरगाह पर बिना लौटे ही युद्धपोत अपने मिशन को पूरा कर सकेंगे. इसके अलावा आपदा के दौरान राहत कार्यों के लिए इन जहाजों का इस्तेमाल कर सकते हैं. या फिर दूसरे देशों में फंसे अपने नागरिकों को सुरक्षित लाने के लिए कर सकते हैं. बेड़े में शामिल होने पर इनसे भारतीय नौसेना की 'ब्लू वाटर' क्षमताएं बढ़ेंगी. 

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इससे बेड़े की रणनीतिक पहुंच और गतिशीलता में बढ़ोतरी होगी. इन जहाजों को आपातकालीन स्थितियों में कर्मियों और आम लोगों को निकालने और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान साइट पर राहत सामग्री की त्वरित डिलीवरी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस जहाज पर एंटी-शिप, एंटी-सबमरीन हथियारों और CIWS सिस्टम से लैस होगा. 

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