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M4 Carbine: गांदरबदल के आतंकियों के हाथ में अमेरिकी गन, NATO की सेनाएं करती हैं इस्तेमाल, जानिए इसकी ताकत

Ganderbal Terror Attack: गांदरबल में हमला करने वाले आतंकियों के हाथ में अमेरिकी असॉल्ट राइफल M4 Carbine दिखी. इससे पहले कठुआ के आतंकियों के पास से भी यह राइफल बरामद हुई थी. जिस गन का इस्तेमाल नाटो करती है, आखिरकार वो आतंकियों के पास कैसे पहुंची? यानी दुनियाभर में सिक्योरिटी को लेकर कहीं न कहीं चूक हो रही है.

गांदरबल आतंकी हमले के एक आतंकवादी के पास दिख रही है, एम4 कार्बाइन. गोले में उसी राइफल का क्लोजअप. गांदरबल आतंकी हमले के एक आतंकवादी के पास दिख रही है, एम4 कार्बाइन. गोले में उसी राइफल का क्लोजअप.
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 11:48 AM IST

पहले कठुआ और अब गांदरबल. आतंकियों के पास अमेरिकी असॉल्ट राइफल M4 Carbine मिल रही है. इससे पहले 26 जून 2024 को डोडा एनकाउंटर मारे गए आतंकियों के पास से यही राइफल मिली थी. मुद्दा ये है कि अब तक AK सीरीज या उसके जैसी राइफल इस्तेमाल करने वाले आतंकियों को अचानक ये गन कहां से मिल रही हैं? 

M4 Carbine दुनिया की भरोसेमंद असॉल्ट राइफलों में से एक है. 38 साल में 5 लाख से ज्यादा M4 Carbine बन चुकी हैं. 30 राउंड वाली मैगजीन के साथ इसका वजन 3.52 kg है. अमेरिकी सेना के लिए बनाई गई यह राइफल क्लोज कॉम्बैट यानी नजदीकी लड़ाई में इस्तेमाल होती है. अमेरिकी इन्फ्रैंट्री का पहला हथियार है. 

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पहले जानते हैं इसकी खासियत... 

राइफल का पिछला हिस्सा (Stock) खोलने पर यह करीब 33 इंच लंबी हो जाती है. बंद करने पर चार इंच छोटी. इसकी बैरल यानी नली की लंबाई 14.5 इंच है. इसमें 5.56x45 mm की नाटो ग्रेड गोलियां लगती हैं. यह बंदूक एक मिनट में 700 से 970 राउंड गोलियां दाग सकती है. यह निर्भर करता है उसे चलाने वाले पर. 

गोलियां 2986 फीट प्रति सेकेंड की गति से टारगेट की तरफ बढ़ती हैं. यानी दुश्मन को भागने का मौका नहीं मिलता. 600 मीटर की रेंज तक निशाना चूकने का सवाल ही नहीं उठता लेकिन 3600 मीटर तक गोली मारी जा सकती है. इसमें 30 राउंड की स्टेनैग मैगजीन लगती है. साथ ही कई तरह के साइट्स भी लगा सकते हैं. 

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आतंकी समूहों के पास कितनी M4 Carbine

दुनिया भर के आतंकियों के पास कितनी M4 कार्बाइन है, यह बता पाना मुश्किल है. क्योंकि यह जानकारी कहीं भी सार्वजनिक तौर से मौजूद नहीं है. एक अनुमान के हिसाब से दुनिया भर में आतंकियों के पास करीब 10 हजार या उससे ज्यादा M4 कार्बाइन हैं. इसके अलावा अन्य खतरनाक असॉल्ट राइफलें, मशीन गन, आदि मौजूद हैं. 

लेकिन ज्यादातर और सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली असॉल्ट राइफल AK-47 है. या फिर स्थानीय स्तर पर बनाए जाने वाले हथियार. यह बेहद चिंताजनक बात है कि इस तरह के हथियार आतंकियों के पास जा रहे हैं. क्योंकि इससे ग्लोबल सिक्योरिटी को खतरा है. 

आतंकियों ने कहां-कहां किया इसे इस्तेमाल? 

1. ईराक-सीरिया... ईराक युद्ध और सीरिया गृह युद्ध के समय हजारों एम4 कार्बाइन या तो लूट ली गईं. या चोरी हो गईं. आतंकी समूहों ने इन्हें अमेरिकी और ईराकी सैनिकों के डिपो से चुराया. हजारों असॉल्ट राइफल ISIS और अलकायदा के पास पहुंचीं. 

2. अफगानिस्तान... तालिबान और अन्य आतंकी समूहों ने अलग-अलग तरीकों से M4 Carbine जुटाए हैं. इसमें अमेरिकी और अफगानिस्तानी मिलिट्री फोर्सेस के जवानों को किडनैपिंग, उन्हें मारना वगैरह शामिल है. 

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3. यमन... हूती विद्रोहियों ने यमनी सरकार और सऊदी नेतृत्व वाली सेना के जंग के बीच M4 Carbine का इस्तेमाल किया था. उनके पास ये कहां से आई, इसका खुलासा अब तक नहीं हो पाया है. 

4. अफ्रीका... Al-Shabaab और बोको हराम जैसे आतंकी समूह भी इस असॉल्ट राइफल का इस्तेमाल अपने हमलों में करते हैं. 

आतंकियों को क्यों पसंद है ये अमेरिकी राइफल

1. पूरी दुनिया में मौजूदगी... M4 Carbine दुनिया के बहुत सारे देशों में इस्तेमाल की जाती है. कई देशों की मिलिट्री, पुलिस और अर्धसैनिक बल इसका इस्तेमाल करते हैं. इसलिए यह आसानी से ब्लैक मार्केट में मिल जाती है. 

2. भरोसेमंद-टिकाऊ... यह असॉल्ट राइफल एके-47 की तरह ही भरोसेमंद और टिकाऊ मानी जाती है. 

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3. आसानी से चलती है... M4 Carbine की हैंडलिंग और एक्टीवेशन आसान है. इसे चलाने के लिए बहुत ज्यादा मिलिट्री ट्रेनिंग की जरूरत नहीं है. मैन्युअल पढ़कर या यूट्यूब देखकर इसे सीखा जा सकता है. 

4. फायरपावर... यह असॉल्ट राइफल कई तरह के एम्यूनिशन की फायरिंग कर सकता है. इसमें ग्रैनेड लॉन्चर भी सेट हो जाता है. कई तरह के टैक्टिकल मिशन में इस्तेमाल किया जा सकता है. 

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5. इज्जत की बात... एम4 कार्बाइन का इस्तेमाल यह दिखाता है कि आतंकियों की पैठ पश्चिमी देशों के हथियार भंडार तक भी है. वो उन्हें नीचा दिखाने के लिए उनका हथियार इस्तेमाल करते हैं. साथ ही दुश्मन को यह बताते हैं कि हमारे पास घातक हथियार है, बच कर रहना. 

6. ट्रेनिंग और संचालन... अमेरिका के समर्थन वाली सेनाओं ने कई आतंकी संगठनों को शुरुआत में हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी है. इसलिए आतंकियों को इसे चलाने की ट्रेनिंग या संचालन के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती. 

7. स्मगलिंग और अवैध व्यापार... आतंकी गुट कमजोर सीमाओं और भ्रष्टाचारी नेटवर्क का फायदा उठाकर ऐसे हथियारों की खरीद-फरोख्त करते हैं. या फिर उनपर कब्जा करते हैं. जिसमें एम4 कार्बाइन भी शामिल है. 

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