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हाइपरसोनिक मिसाइल दागने वाली रिवॉल्वर... क्या भारत के लिए वरदान साबित हो सकता है बोईंग का नया हथियार?

बोईंग कंपनी ने C-17 ग्लोबमास्टर विमान में हाइपरसोनिक रिवॉल्वर सिस्टम लगाने का डिजाइन पेश किया है. ये ऐसी रिवॉल्वर है, जो मिसाइल दागती है. अगर ये सिस्टम भारत के ग्लोबमास्टर में लग जाए तो चीन और पाकिस्तान की हालत पस्त हो जाएगी. भारत को लॉन्ग रेंज के बॉम्बर की जरूरत नहीं पड़ेगी.

ये है सी-17 ग्लोबमास्टर विमान, जिसमें लगे रिवॉल्वर सिस्टम से पीछे की तरफ निकलती हाइपरसोनिक मिसाइल. (फोटोः बोईंग) ये है सी-17 ग्लोबमास्टर विमान, जिसमें लगे रिवॉल्वर सिस्टम से पीछे की तरफ निकलती हाइपरसोनिक मिसाइल. (फोटोः बोईंग)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2024,
  • अपडेटेड 6:11 PM IST

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के पास 11 बोईंग C-17 ग्लोबमास्टर स्ट्रैटेजिक एयरलिफ्टर विमान है. हाल ही में बोईंग कंपनी ने इस विमान को लेकर एक नया आइडिया पेश किया है. उसने एक वीडियो में दिखाया है कि कैसे इस विमान के अंदर हाइपरसोनिक मिसाइल का रिवॉल्वर सेट किया जा सकता है. 

यानी कार्गो और परिवहन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला विमान कैसे एक स्ट्रैटेजिक मिसाइल बॉम्बर बन सकता है. इस वीडियो को देखते ही दुनिया भर में खलबली मच गई. क्योंकि ये किसी आम रिवॉल्वर की तरह काम नहीं करता. इस रिवॉल्वर की खासियत ये है कि इसमें पीछे से मिसाइल निकलेगी. यहां नीचे Video में देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि ये कितना खतरनाक हथियार बन सकता है. 

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अगर भारत यही तकनीक अपने सी-17 ग्लोबमास्टर विमानों में लगवाए तो भारतीय वायुसेना की ताकत में कई गुना इजाफा हो सकता है. चीन और पाकिस्तान की तो हालत खराब हो जाएगी. पहले ये जानते हैं कि बोईंग ने इस प्लेन में किस मिसाइल को दिखाया है, और यह हाइपरसोनिक मिसाइल रिवॉल्वर कैसे काम करता है. 

क्या है हाइपरसोनिक मिसाइल रिवॉल्वर? 

आमतौर रिवॉल्वर से गोलियां बाहर निकलती है. लेकिन के बोईंग के इस रिवॉल्वर से मिसाइलें बाहर की तरफ निकलेंगी. यह ड्यूल ड्रम डिजाइन वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापॉल्ट मैकनिज्म है. यानी प्लेन के अंदर ऐसी रिवॉल्वर जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गुलेल की तरह काम करेगी. इसमें लगी मिसाइलें तेजी से पीछे की तरफ निकलेंगी.

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प्लेन से बाहर निकलने के बाद ये मिसाइल एक्टिव हो जाएंगी, और पहले से तय टारगेट की तरफ तेजी से बढ़ जाएंगी. ये नजारा इस वीडियो में स्पष्ट तौर पर दिखाया गया है. बोईंग ने इस मैकेनिज्म में X-51A Waverider हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल करके दिखाया है. यह मिसाइल मैक-5 या उससे ऊपर की स्पीड तक जाती है. 

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क्या है X-51A Waverider हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल? 

इस मिसाइल को बोईंग कंपनी ने ही बनाया है. यह एक प्रायोगिक मिसाइल है. जिसकी स्पीड 5300 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यह अधिकतम 70 हजार फीट यानी 21 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती है. इसकी पहली सफल उड़ान 26 मई 2010 को हो चुकी है. इस मिसाइल को पहले अमेरिकी वायुसेना इस्तेमाल करती थी. लेकिन 2013 में इसे रिटायर कर दिया गया था. बोईंग ने सिर्फ ऐसी चार मिसाइलें ही बनाई थीं. खैर यहां मिसाइल जरूरी नहीं बल्कि रिवॉल्वर सिस्टम है. इस सिस्टम से किसी भी तरह की मिसाइल दागी जा सकती है. 

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भारत को इस तकनीक से क्या फायदा हो सकता है? 

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भारत के पास 11 सी-17 ग्लोबमास्टर 3 विमान हैं. भारतीय वायुसेना के पास लंबी दूरी के बमवर्षक नहीं है. जबकि चीन के पास है. रूस के पास है. चीन तो अब स्टेल्थ बॉम्बर बना चुका है. अगर यह रिवॉल्वर सिस्टम भारत के सी-17 ग्लोबमास्टर विमानों में लगा दिया जाए तो इससे काफी ज्यादा फायदा होगा. लंबी दूरी पर हमला करना आसान हो जाएगा. भारत को विदेश से मिसाइल खरीदने की जरूरत नहीं है, क्योंकि DRDO खुद हाइपरसोनिक मिसाइल बना चुका है. यानी रिवॉल्वर सिस्टम विदेशी हो सकता है लेकिन उसमें स्वदेशी मिसाइल लगेगी.

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