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Mirsad-1... हिज्बुल्लाह का वह देसी ड्रोन जिसने इजरायली हवाई सुरक्षा भेदकर किया सैन्य अड्डे पर हमला

हिज्बुल्लाह ने जिस ईरानी ड्रोन से इजरायल के एयर डिफेंस को भेदा. सैन्य अड्डे पर हमला किया. वह घर में देसी तरीके से बनने वाला ड्रोन है. हिज्बुल्लाह उसे मिरसद-1 कहता है. ईरान में इसे अबाबील बुलाया जाता है. इस देसी हथियार की मदद से हिज्बुल्लाह ने हमला किया. इजरायल के सैन्य अड्डे पर 67 लोग जख्मी हुए.

ईरान के इस्फ़हान में एक सैन्य अभ्यास के दौरान उड़ान भरता ड्रोन. मिरसद-1 ड्रोन भी लगभग इसी तरह दिखता है. (फोटोः रॉयटर्स) ईरान के इस्फ़हान में एक सैन्य अभ्यास के दौरान उड़ान भरता ड्रोन. मिरसद-1 ड्रोन भी लगभग इसी तरह दिखता है. (फोटोः रॉयटर्स)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 12:27 PM IST

हिज्बुल्लाह ने इजरायल के बिनयामिना स्थिति सैन्य अड्डे पर ड्रोन स्ट्राइक किया. इजरायल का हवाई सुरक्षा कवच भी उसे रोक नहीं पाया. हमले में 67 लोग जख्मी हुए. जिस ड्रोन से हमला हुआ है वह Mirsad-1 बताया जा रहा है. यह एक आत्मघाती ड्रोन है. हिज्बुल्लाह इस ड्रोन का इस्तेमाल 20 वर्षों से कर रहा है. 

असल में मिरसद-1 ड्रोन ईरान के अबाबील ड्रोन का ही वैरिएंट है. कुछ लोग इसे मुहाजिर-2 ड्रोन का भी मॉडल बता रहे हैं. या फिर ये भी हो सकता है कि हिज्बुल्लाह ने अबाबील और मुहाजिर ड्रोन्स की तकनीक को मिलाकर नया ड्रोन तैयार किया है. यह ड्रोन 40 किलोग्राम वजन का हथियार अपने साथ लेकर 120 किलोमीटर की रेंज तक जा सकता है.

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साल 2002 तक हिज्बुल्लाह इस ड्रोन का इस्तेमाल निगरानी और जासूसी के लिए करता था. लेकिन उसके बाद इसे इजरायली इलाके में आत्मघाती हमले के लिए इस्तेमाल करने लगा. यह ड्रोन 370 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ते हुए टारगेट की तरफ जाता है. बिनयामिना में हिज्बुल्लाह ने कई ड्रोन से स्ट्राइक किया था. 

रॉकेट हमले के बीच ड्रोन स्ट्राइक

पहले रॉकेटों से हमला किया. उसी बीच में ड्रोन्स भी उड़ाए गए ताकि इजरायली सैनिक और एयर डिफेंस सिस्टम को कन्फ्यूज कर सकें. इसमें से एक ड्रोन ने एयर डिफेंस सिस्टम को धोखा दिया. वह सैन्य अड्डे के पास गिरा. ये इस साल की दूसरी घटना है जब इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम ड्रोन हमले को रोक नहीं पाया. 

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ये है ईरान का अबाबील ड्रोन. 

देसी तरीका, नई तकनीक से बना ड्रोन

मिरसद-1 ड्रोन के जरिए हिज्बुल्लाह इजरायल के अंदर सटीक हमला कर सकता है. ऐसे हमलों से हिज्बुल्लाह के आतंकियों को सामने आने की जरूरत नहीं होती. यह ड्रोन बेहद देसी तरीके से बनाया गया है. इसके हमलों में कई बार गलतियां भी हुई हैं. सफलता नहीं मिली. लेकिन ईरान इसे सुधारता रहा. 

जासूसी, निगरानी और आत्मघाती हमला

हिज्बुल्लाह ईरानी ड्रोन की तकनीक लेता है. या फिर वैसी ही बना लेता है. इस तरह से हिज्बुल्लाह के पास 2 हजार ड्रोन्स हो चुके हैं. जो सर्विलांस, इंटेलिजेंस और सुसाइड मिशन में काम आते हैं. कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि हिज्बुल्लाह के पास अत्याधुनिक मुहाजिर-4 और शाहेद ड्रोन्स भी मौजूद हैं. 

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