
ईरान-इजरायल की वजह से मिडिल-ईस्ट में किसी भी समय जंग का बिगुल बज सकता है. इस बात का डर पूरी दुनिया को है. दुनिया की सभी ताकतवर शक्तियों को भी. यह एक क्षेत्रीय स्तर पर होने वाली भयानक जंग हो सकती है. आशंका है कि ईरान अपने समर्थक देशों के साथ मिलकर इजरायल पर कई तरफ से जंग की शुरुआत कर सकता है. वह भी अगस्त के मध्य तक.
जहां वैश्विक कूटनीतिक समुदाय इस युद्ध को रोकने का प्रयास कर रहा है. वहीं, ये सवाल भी उठ रहा है कि छोटा सा देश इजरायल कैसे ईरान के गुस्से का सामना करेगा? क्योंकि उसके साथ सीरिया, ईराक, फिलिस्तीन और यमन में मौजूद आतंकी समूह भी हैं. ये भी ईरान के साथ मिलकर इजरायल पर हमला करेंगे.
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इजरायल और उसका सबसे बड़ा समर्थक देश अमेरिका बड़े पैमाने की जंग की तैयारी कर रहे हैं. क्योंकि इजरायल ने हमास के कई बड़े लीडर्स को खत्म कर दिया है. सबसे बड़ा लीडर यानी पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हानिया और हिजबुल्लाह कमांडर फौद शुक्र दस दिन के अंदर मारे गए.
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इस इलाके में असली तनाव पिछले साल 7 अक्तूबर को इजरायल पर हुए हमास के हमले के बाद बढ़ा. हमास ने गोरिल्ला वॉर किया. अचानक से हमला करके सैकड़ों लोगों को मार डाला. बंधक बनाया. ये हमला 27 जुलाई को इजरायल द्वारा तेहरान और बेरूत में किए गए हमलों के जबाव में था. इजरायल के हमले में गोलन हाइट्स में 12 युवा मारे गए.
इसके पहले ईरान ने इजरायल पर 330 ड्रोन और मिसाइल हमला किया. क्योंकि इजरायल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में कॉन्सुलेट पर हमला किया था. जिसमें 13 लोग मारे गए थे. इसके बाद ईरान की सरकारी मीडिया ने कहा कि अगला अटैक अप्रैल से ज्यादा खतरनाक होगा.
क्या हो सकता है ईरान के अटैक का तरीका...
डूम्स-डे नजदीक आ रहा है. ईरान तीन तरह से हमला करने की सोच सकता है. या कर सकता है. इससे इजरायल पर घातक हमला तो होगा ही लेकिन अमेरिका से सीधे पंगा लेने की मुसीबत से भी ईरान बच जाएगा.
पहली स्थिति... ज्यादा मिसाइल और ड्रोन से कई तरफा हमला...
ईरान के लिए सबसे बड़ी मुसीबत है इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम पार करना. अप्रैल में जो 330 ड्रोन और मिसाइल ईरान ने इजरायल पर दागे थे. उसमें कुछ ही इजरायल की जमीन पर गिरे. 90 फीसदी तो हवा में ही खत्म हो गए थे. अमेरिकी थिंकटैंक इंस्टीट्यूट ऑफ द स्टडी ऑफ वॉर के मुताबिक ईरान सिर्फ एक तरफ से ही ड्रोन-मिसाइल अटैक नहीं करेगा.
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ईरान अपने साथियों जैसे- लेबनान, सीरिया, यमन और ईराक से भी कहेगा कि हमला एक साथ हो. ताकि इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम इतनी ज्यादा मात्रा में आने वाले हवाई हमले को संभाल न सके. इससे अमेरिका और इजरायल को वापसी हमला करने या बचाव का कम समय मिलेगा. हिजबुल्लाह के ड्रोन 15 मिनट में हाइफा और 40 मिनट में तेल अवीव पहुंच सकते हैं.
दूसरी स्थिति... अमेरिकी सेना पर भी एकसाथ होगा हमला...
रक्षा एक्सपर्ट्स का मानना है कि ईरान के जो प्रमुख लोग सीरिया और ईराक में बैठे हैं, वो इजरायल के साथ-साथ अमेरिकी सेना पर भी घातक हमला करेंगे. खासतौर से सीरिया के उत्तर में. सीरिया की मीडिया में हाल ही ये खबरें आई हैं कि यमन के हूती विद्रोही ईराक के रास्ते सीरिया पहुंच गए हैं. उन्हें पूर्वी और दक्षिणी सीरिया में तैनात किया गया है. इससे अमेरिकी सेना व्यस्त हो जाएगी और इजरायल को सुरक्षा नहीं दे पाएगी. इजरायली एयर डिफेंस सिस्टम हजारों ड्रोन्स और मिसाइलों का हमला नहीं रोक पाएगा.
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तीसरी स्थिति... कई दिनों तक लगातार हमला...
ईरान और उसके साथ लगातार कई दिनों तक ड्रोन्स और मिसाइलों से हमला करते रहेंगे. ताकि यह पता चले सके कि कौन सा हमला कितना सफल था. उस हिसाब से रणनीति बदली जाए. ईरानी मीडिया में यह भी चर्चा है कि ये लोग मिलकर इजरायल के प्रमुख लोगों की हत्या कर सकते हैं. ताकि हानिया की मौत का बदला लिया जा सके.
यह बात तो तय है कि ईरान और उसके साथियों के बस की बात नहीं है कि वो इजरायल को ज्यादा नुकसान पहुंचा पाए. क्योंकि अमेरिकी फायरपावर के आगे उनकी एक भी नहीं चलेगी. अमेरिकी सेना भारी मात्रा में मिडिल-ईस्ट में मौजूद है. अमेरिका के इस इलाके में 60 से ज्यादा बेस हैं. गैरिसन हैं. फॉरेन फैसिलिटी हैं.
इसके अलावा छोटे कॉम्बैट आउटपोस्ट्स हैं. जैसे- बहरीन, मिस्र, ईरान, इजरायल, जॉर्डन, कुवैत, लेबनान, ओमान, कतर, सऊदी अरब, सीरिया और संयुक्त अरब अमीरात में. पिछले साल जून में अमेरिका ने मिडिल-ईस्ट में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाकर 30 हजार कर दी थी. इसके बाद ये लगातार बढ़ती जा रही है.
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अमेरिकी एंफिबियस ग्रुप और कैरियर स्ट्राइक ग्रुप में 12 हजार नाविक और मरीन्स हैं. जो किसी भी समय किसी भी तरह के हमले के लिए तैयार है. इनकी मौजूदगी लाल सागर, अदन की खाड़ी, ओमान की खाड़ी और भूमध्यसागर में है. इस हफ्ते ही अमेरिका ने मिडिल-ईस्ट में अतिरिक्त फाइटर स्क्वॉड्रन की तैनाती की है. ताकि इजरायल को ज्यादा डिफेंसिव एयर सपोर्ट दिया जा सके. इसके अलावा बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस कैपेबल क्रूजर और डेस्ट्रॉयर्स भी तैनात किए गए हैं.