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भारत ने समंदर से दागी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल... जानिए क्यों किया गया सीक्रेट परीक्षण?

भारतीय नौसेना और DRDO ने समंदर में सीक्रेट परीक्षण किया. सबमरीन से लॉन्च होने वाली परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल K-4 का सफल टेस्ट किया है. यह मिसाइल न्यूक्लियर हथियार के साथ 3500 km तक मार कर सकती है. किसी सबमरीन से इस मिसाइल का परीक्षण पहली बार हुआ है. लॉन्चिंग INS Arighaat से की गई.

भारतीय नौसेना और डीआरडीओ ने सबमरीन से लॉन्च होने वाली परमाणु मिसाइल K-4 का सफल परीक्षण किया है. (फोटोः इंडिया टुडे आर्काइव) भारतीय नौसेना और डीआरडीओ ने सबमरीन से लॉन्च होने वाली परमाणु मिसाइल K-4 का सफल परीक्षण किया है. (फोटोः इंडिया टुडे आर्काइव)
शिव अरूर
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:30 AM IST

Indian Navy ने अपनी न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन INS Arighaat से पहली बार K-4 SLBM का सफल परीक्षण किया है. एटॉमिक हथियार ले जाने वाली इस मिसाइल की रेंज 3500 किलोमीटर है. इस मिसाइल की खासियत ये है कि यह देश को सेकेंड स्ट्राइक की क्षमता प्रदान करती है. यानी देश के न्यूक्लियर ट्रायड को यह ताकत मिल जाती है कि अगर जमीन पर स्थिति ठीक नहीं है तो पानी के अंदर से सबमरीन हमला कर सकती है. 

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K-4 SLBM एक इंटरमीडियट रेंज की सबमरीन से लॉन्च होने वाली परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल है. इसे नौसेना के अरिहंत क्लास पनडुब्बियों में लगाया गया है. इससे पहले भारतीय नौसेना K-15 का इस्तेमाल कर रही थी. लेकिन के-4 उससे ज्यादा बेहतर, सटीक, मैन्यूवरेबल और आसानी से ऑपरेट होने वाली मिसाइल है.

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आईएनएस अरिहंत और अरिघट पनडुब्बियों में चार वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम हैं. जिससे यह लॉन्च होती है. यह मिसाइल 17 टन वजनी और 39 फीट लंबी है. इसका व्यास 4.3 मीटर का है. यह 2500 किलोग्राम वजनी स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर हथियार ले कर उड़ान भरने में सक्षम है. 

ऑपरेशनल रेंज 4000 किलोमीटर

दो स्टेज की यह मिसाइल सॉलिड रॉकेट मोटर से चलती है. इसमें प्रोपेलेंट भी सॉलिड ही पड़ता है. इसकी ऑपरेशनल रेंज 4000 किलोमीटर है. भारत का नियम है कि वह पहले किसी पर परमाणु हमला नहीं करेगा. लेकिन उस पर हुआ तो छोड़ेगा भी नहीं. इसलिए ऐसी मिसाइलों का नौसेना में होना बहुत जरूरी है. 

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इससे पहले इसके अन्य परीक्षण

15 जनवरी 2010 में विशाखापट्टनम तट के पास पानी के 160 फीट अंदर पॉन्टून बनाकर वहां से इसका सफल डेवलपमेंटल लॉन्च हुआ था. 24 मार्च 2014 में उसी जगह और वैसी ही तकनीक के साथ पॉन्टून से फिर पहला सफल टेस्ट लॉन्च किया गया था. इसके बाद 7 मार्च 2016 में दूसरा सफल टेस्ट लॉन्च हुआ. जिसकी ट्रैजेक्टिरी डिप्रेस्ड थी. 2016 में आईएनएस अरिहंत से 700 km रेंज के लिए सफल ट्रायल लॉन्च किया गया था. 

17 दिसंबर 2017 में भी पानी के अंदर पॉन्टून से लॉन्चिंग हुई थी लेकिन वो असफल रही थी. इसके बाद 19 जनवरी 2020 में भी पॉन्टून से ही 3500 किलोमीटर रेंज के लिए पांचवीं बार सफल टेस्ट लॉन्च हुआ. 2020 में छठीं बार सफल टेस्ट लॉन्च हुआ था. इसके बाद अब यह परीक्षण किया गया है.

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