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भारत को रूस से मिलेगी 400km रेंज वाली 40N6 इंटरसेप्टर मिसाइलें, जानिए किस काम आएंगी

भारत को बहुत जल्द 120 नई 40N6 इंटरसेप्टर मिसाइलें रूस से मिलने वाली हैं. इनका इस्तेमाल भारत के एयर डिफेंस सिस्टम सुदर्शन चक्र में किया जाएगा. इनके आने से पाकिस्तान की तो हिम्मत तक नहीं होगी कि वो आंख उठाकर भी देखे. क्योंकि इस इंटरसेप्टर मिसाइल की स्पीड और रेंज बेहद ज्यादा घातक है.

भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम सुदर्शन चक्र में लगाई जाएंगी ये नई इंटरसेप्टर मिसाइलें. (फोटोः रॉयटर्स/गेटी) भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम सुदर्शन चक्र में लगाई जाएंगी ये नई इंटरसेप्टर मिसाइलें. (फोटोः रॉयटर्स/गेटी)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 4:13 PM IST

रूस ने भारत को 120 लंबी दूरी की इंटरसेप्टर मिसाइल देने को कहा है. ये मिसाइलें सतह से हवा में मार करती हैं. ये फैसला रूस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉस्को यात्रा के बाद लिया है. ये मिसाइलें भारत के पास मौजूद रूसी एयर डिफेंस सिस्टम S-400 Triumph में लगाई जाएंगी. जिनका नाम बदलकर अब सुदर्शन चक्र रख दिया गया है. 

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120 और इंटरसेप्टर मिसाइलों को मिलने के बाद भारत को पाकिस्तान और चीन की तरफ से पैदा की जाने वाली दिक्कतों का सामना करने में परेशानी नहीं होगी. सुदर्शन चक्र एयर डिफेंस सिस्टम में 40N6 इंटरसेप्टर मिसाइलें लगती हैं. ये मिसाइल किसी भी तरह के हवाई हमले को हवा में बर्बाद कर सकत हैं. चाहे जितनी भी गति क्यों न हो. 

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ये कम ऊंचाई पर उड़ रहे टारगेट्स को भी निशाना बना सकती हैं. जैसे हेलिकॉप्टर्स और ड्रोन्स. या फाइटर जेट्स. सुदर्शन चक्र को वायुसेना के AWACS विमानों और सिस्टम के साथ जोड़ दिया गया है. ताकि उनके राडार में जब भी दुश्मन दिखाई दे, सुदर्शन चक्र अपने आप एक्टिव हो जाए. जरूरत पड़ने पर हमला बोल सके. 

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PAK की पूरी F-16 फ्लीट को कर सकता है खत्म

डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि सुदर्शन चक्र में लगी 40N6 मिसाइलें, वायुसेना के राफेल और सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट मिलकर पाकिस्तान की पूरी F-16 फ्लीट को खत्म कर सकते हैं. इसकी रेंज 380 किलोमीटर है. इसकी वजह से भारत का एयर डिफेंस सिस्टम काफी ज्यादा मजबूत हो जाएगा. 

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एक बार में 72 मिसाइल दाग सकता है ये सिस्टम

S-400 एक बार में एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकती है. इसके सबसे खास बात ये है कि इस एयर डिफेंस सिस्टम को कहीं मूव करना बहुत आसान है क्योंकि इसे 8X8 के ट्रक पर माउंट किया जा सकता है. S-400 को नाटो द्वारा SA-21 Growler लॉन्ग रेंज डिफेंस मिसाइल सिस्टम भी कहा जाता है. माइनस 50 डिग्री से लेकर माइनस 70 डिग्री तक तापमान में काम करने में सक्षम इस मिसाइल को नष्ट कर पाना दुश्मन के लिए बहुत मुश्किल है. क्योंकि इसकी कोई फिक्स पोजिशन नहीं होती. इसलिए इसे आसानी से डिटेक्ट नहीं कर सकते.  

S-400 मिसाइल सिस्टम में चार तरह की मिसाइलें होती हैं जिनकी रेंज 40, 100, 200, और 400 किलोमीटर तक होती है.  यह सिस्टम 100 से लेकर 40 हजार फीट तक उड़ने वाले हर टारगेट को पहचान कर नष्ट कर सकता है.  एस-400 मिसाइल सिस्टम (S-400 Air Defence Missile System) का राडार बहुत अत्याधुनिक और ताकतवर है. 

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600 km की रेंज में 300 टारगेट ट्रैक करने की ताकत

इसका रडार 600 किलोमीटर तक की रेंज में करीब 300 टारगेट ट्रैक कर सकता है. यह सिस्टम मिसाइल, एयरक्राफ्ट या फिर ड्रोन से हुए किसी भी तरह के हवाई हमले से निपटने में सक्षम है. शीतयुद्ध के दौरान रूस और अमेरिका में हथियार बनाने की होड़ मची हुई थी. जब रूस अमेरिका जैसी मिसाइल नहीं बना सका तो उसने ऐसे सिस्टम पर काम करना शुरू किया जो इन मिसाइलों को टारगेट पर पहुंचने पर पहले ही खत्म कर दे. 

1967 में रूस ने एस-200 प्रणाली विकसित की. ये एस सीरीज की पहली मिसाइल थी. साल 1978 में एस-300 को विकसित किया गया. एस-400 साल 1990 में ही विकसित कर ली गई थी.  साल 1999 में इसकी टेस्टिंग शुरू हुई. इसके बाद 28 अप्रैल 2007 को रूस ने पहली एस-400 मिसाइल सिस्टम को तैनात किया गया, जिसके बाद मार्च 2014 में रूस ने यह एडवांस सिस्टम चीन को दिया. 12 जुलाई 2019 को तुर्की को इस सिस्टम की पहली डिलीवरी कर दी.

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