
पश्चिम बंगाल के कलाइकुंडा में ट्रेनिंग उड़ान के दौरान भारतीय वायुसेना का हॉक एमके-132 ट्रेनर विमान हादसाग्रस्त हो गया. हादसे से ठीक पहले दोनों पायलट सुरक्षित बाहर निकलने में कामयाब हुए. इस घटना में किसी आम नागरिक या संपत्ति को नुकसान नहीं हुआ है.
भारतीय वायुसेना के पूर्वी कमांड ने कहा है कि इस मामले की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी हो रही है. हादसे की वजह खोजी जाएगी. हादसा 13 फरवरी की दोपहर 3 बजे के आसपास हुई है. हादसे के बाद एयरक्राफ्ट मिदनापुर जिले एक गांव में गिरा, जहां इसे देखने के लिए सैकड़ों ग्रामीण जमा हो गए. बाद में पुलिस और वायुसेना के अधिकारियों ने इलाके को अपने घेरे में लिया. हादसे की जांच चल रही है.
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आइए जानते हैं इस विमान की क्या खासियत है...
Hawk Mk-132 वो फाइटर जेट है, जिससे भारतीय वायुसेना के पायलट 'हवाई लड़ाके' बनते हैं. ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्धमान की तरह पाकिस्तानी फाइटर जेट्स को हवा में ही नष्ट करने की काबिलियत सीखते हैं. निगरानी करना समझते हैं. दुश्मन के हवाई, जमीनी और नौसैनिक हमले का जवाब आसमान से मौत बनकर देते हैं.
यह एक ट्रेनर जेट है. वायुसेना में इसे 23 फरवरी 2008 को शामिल किया गया था. ब्रिटिश कंपनी बीएई सिस्टम्स की तरफ से नवंबर 2007 से 2008 के बीच 24 ट्रेनर जेट भारत आए. साल 2008 से 2011 के बीच HAL ने 42 और एयरक्राफ्ट को देश में ही बनाया.
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इस ट्रेनिंग जेट का इस्तेमाल 14 देश कर रहे हैं
हॉक एमके-132 की फ्लीट कर्नाटक के बिदर एयरफोर्स स्टेशन में तैनात है. यह राजधानी बेंगलुरु से करीब 700 km दूर है. वायुसेना के पास 123 ट्रेनर जेट मौजूद हैं. नौसेना के पास 17 हैं. 20 और एयरक्राफ्ट पर बातचीत चल रही है. यह ऐसा ट्रेनिंग फाइटर जेट है, जिसका उपयोग दुनिया के 14 देश कर रहे हैं.
इस जेट में दो क्रू बैठते हैं. एक ट्रेनी फाइटर पायलट और दूसरा इंस्ट्रक्टर. इसकी लंबाई 40.9 फीट है. विंगस्पैन 32.7 फीट हैं. ऊंचाई 13.1 फीट है. इसका वजन 4480 kg है. पूरी तैयारी के साथ यह 9100 kg वजन लेकर उड़ सकता है.
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अधिकतम स्पीड 1028 km/hr, रेंज 2520 km
हॉक की अधिकतम गति 1028 km/hr है. यह एक बार में 2520 km तक उड़ सकता है. अधिकतम 13,565 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ ट्रेनिंग में उपयोग किया जा सकता है. जरूरत पड़ने पर इसका उपयोग संघर्षों में भी किया जा सकता है. हॉक एमके 132 (Hawk MK 132) में 30 मिमी की ADEN तोप लगी है.
इसके अलावा इसमें पांच हार्डप्वाइंट्स हैं. यानी पांच जगहों पर एडवांस्ड शॉर्ट रेंज एयर टू एयर मिसाइल (ASRAAM) लगाई जा सकती है. इसमें दो Umbani या अल-तारिक बम लगाए जा सकते हैं. इसके अलावा इसके अलावा एक 680 kg का सेंटरलाइन बम या दो विंग पाइलोन पर लगाए जाने वाले बम फिट कर सकते हैं.
पहले भी हो चुके हैं हादसे...
भारतीय वायुसेना के हॉक एजेटी यानी हॉक एडवांस्ड जेट ट्रेनर (Hawk AJT) 29 अप्रैल 2008 को बिदर एयरफोर्स स्टेशन पर क्रैश हो गया था. यह इस प्लेन का पहला हादसा था. इसके बाद 3 जून 2015 को पश्चिम बंगाल-ओडिशा की सीमा के पास बहराघोड़ा के पास क्रैश हुआ था. ज्यादातर देशों में इसका उपयोग फाइटर पायलटों की ट्रेनिंग के लिए होता है. लेकिन कुछ स्थानों पर इसकी तैनाती हल्के लड़ाकू विमानों के तौर पर भी की गई है.