
भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर पुलिस (JKP) के साथ मिलकर स्थानीय समुदायों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए गांव रक्षा गार्ड्स (VDGs) को ट्रेनिंग देने की पहल शुरू की है. इस पहल का उद्देश्य इन नागरिकों को अपने गांवों की सुरक्षा के लिए जरूरी कौशल सिखाना है, जिससे पूरे क्षेत्र के सुरक्षा ढांचे को मजबूत किया जा सके.
लगभग 600 लोग इस समय ऑटोमेटिक राइफलों के संचालन, स्क्वाड पोस्ट ड्रिल्स, और छोटी रणनीतियों के प्रशिक्षण से गुजर रहे हैं. यह ट्रेनिंग उनके गांवों के पास ही इकाई स्तर पर दिया जा रहा है, ताकि VDGs तुरंत अपने कौशल को वास्तविक परिस्थितियों में लागू कर सकें. प्रत्येक VDG इकाई को कम से कम तीन दिन का गहन प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
इस ट्रेनिंग का नेतृत्व भारतीय सेना के विभिन्न यूनिट्स द्वारा किया जा रहा है, जबकि कोर बैटल स्कूल, सरोल से ट्रेनिंग और प्रशिक्षण साधनों की भी मदद ली जा रही है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि VDGs को अनुभवी और कुशल कर्मियों से ट्रेनिंग मिल रहा है, जिससे उनका कौशल और बढ़ जाता है.
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत, गांव रक्षा गार्ड्स (VDGs) को स्वचालित हथियारों के साथ-साथ सामरिक अभियानों की विशेष जानकारी दी जा रही है. इसका उद्देश्य आतंकवादी खतरों का मुकाबला करते हुए स्थानीय स्तर पर सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
यह पहल जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुरोध पर शुरू की गई है और इसमें अच्छी प्रगति देखने को मिली है. अब तक राजौरी क्षेत्र में लगभग 500 लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है, जबकि डोडा और किश्तवाड़ क्षेत्रों में अतिरिक्त 85-90 लोगों को प्रशिक्षित किया गया है.
इसके साथ ही सेना के आयुध डिपो और JKP के समन्वय से VDGs को सेल्फ-लोडिंग राइफल्स (SLRs) भी उपलब्ध कराई जा रही हैं. ये राइफल्स VDGs के लिए महत्वपूर्ण हथियार हैं, जिससे उन्हें और अधिक सशक्त बनाया जा रहा है. यह पहल जम्मू-कश्मीर के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.