
भारतीय सेना को व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म (WHAP), फ्यूचरिस्टिक इंफैन्ट्री कॉम्बैट व्हीकल (FICV) की जरूरत है. नए, आधुनिक और ज्यादा मारक. बीएमपी-2 बख्तरबंद वाहनों को अपग्रेड करने की जरूरत है. ऐसे में एक तस्वीर वायरल हो रही है. जिसमें दिखाया जा रहा है कि ट्रैक्टर को एंटी-टैंग गाइडेड मिसाइल कैरियर बना दिया गया है.
देखने में यह वाहन हंसी का पात्र बन सकता है, लेकिन ये पंजाब और गुजरात से सटे पाकिस्तान सीमा पर काफी मददगार साबित हो सकता है. इसे आसानी से कैमोफ्लॉज में बदला जा सकता है. ताकि रेगिस्तानी या हरियाली वाले इलाके में यह छिप जाए. दुश्मन पर चुपके से हमला किया जा सके. दुश्मन के बंकर, टैंक या बख्तरबंद वानहों को उड़ाया जा सके.
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हालांकि इसे लेकर चर्चा ये हो रही है कि क्या ये सही है? इस तरह के प्रोजेक्ट्स शुरू करना ठीक है? तस्वीर वेस्टर्न कमांड की बताई जा रही है. इसे इंप्रोवाइज्ड ट्रैक्टर माउंटेड एटीजीएम (Improvised Tractor Mounted ATGM) बुलाया जा रहा है. कुछ लोग कह रहे हैं कि इसके टायरों को सुधारना होगा. इंजन को और ताकतवर बनाना होगा.
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टैक्टर किसी भी तरह के भौगोलिक क्षेत्र में चलने लायक होता है. इसे रेगिस्तान, दलदली इलाके या जंगल में आसानी से चलाया जा सकता है. काफी ज्यादा सामान उठाकर ले जाया जा सकता है. लेकिन इस देसी हथियार पर एकदम से भरोसा किया जाना सही होगा क्या?
कुछ लोगों का कहना है कि राजस्थान, पंजाब और गुजरात के सीमाई इलाकों में फील्ड ऑपरेशन के लिए यह बेहतर ऑप्शन है. इसकी मदद से दूर तक नजर रखी जा सकती है. इससे हीट सिग्नेचर कम होता है, इसलिए इसपर दुश्मन को शक नहीं होगा. एक ट्रैक्टर को इस तरह से तैयार करने में करीब 60 हजार रुपए लगते हैं.