
पड़ोसी मुल्कों के साथ चल रहे तनाव के बीच भारत सरकार ने तीनों सेनाओं के लिए अलग-अलग हथियारों, यंत्रों और अन्य वस्तुओं की खरीद की अनुमित दे दी हैं. इसमें भारतीय सेना के लिए फ्यूचर रेड कॉम्बैट व्हीकल (FRCV), नौसेना के लिए गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट्स और वायुसेना के फाइटर जेट्स के लिए 240 इंजन प्रमुख हैं.
भारतीय नौसेना को प्रोजेक्ट-17 ब्रावो (P-17B) के तहता सात नए एडवांस्ड स्टेल्थ गाइडेड फ्रिगेट्स मिलेंगे. इसके लिए सरकार ने 70 हजार करोड़ रुपए की मंजूरी दी है. ये सभी नीलगिरी क्लास फ्रिगेट्स के युद्धपोत होंगे. इन्हें मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स, गार्डेन रीच शिफबिल्डर्स, गोवा शिपयार्ड, लार्सेन एंड टुब्रो जैसी कंपनियां बनाएंगे.
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फिलहाल मजगांव डॉक और गार्डेन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स प्रोजेक्ट -17 ए (P-17A) के तहत नीलगिरी क्लास के ही फ्रिगेट्स बना रहे हैं. सात जंगी जहाज बनाए जा रहे हैं. पांच लॉन्च हो चुकी हैं जो इस साल फरवरी 2025 तक भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएंगे. लॉन्च किए गए फ्रिगेट्स के नाम हैं- नीलगिरी, उदयगिरी, तारागिरी, हिमगिरी और दूनागिरी.
ये फ्रिगेट्स 6670 टन डिस्प्लेसमेंट करते हैं. इनमें 32 बराक-8 मिसाइलें, 8 ब्रह्मोस मिसाइलें, 2 वरुणास्त्र टॉरपीडो लॉन्चर, 2 एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर, तीन गन्स लगे होते हैं. इसके अलावा इन पर ध्रुव और सीकिंग हेलिकॉप्टर तैनात हो सकते हैं. चार कवच डिकॉय लॉन्चर्स लगे हैं. 2 टॉरपीडो काउंटरमेजर्स सिस्टम लगे हैं.
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सेना के T-72 टैंक्स के बदले आएंगे 1700 FRCV
भारतीय सेना के T-72 टैंक्स को बदल कर उनकी जगह फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल्स (FRCV) तैनात किए जाएंगे. करीब 1770 तैनात करने की योजना है. ये हथियार 60 फीसदी स्वदेशी होंगे. इन्हें बनाने के लिए दो प्रमुख कंपनियां आगे आई हैं. भारत फोर्ज और लार्सेन एंड टुब्रो. ये काम तीन फेज में होगा. हर फेज में 600 FRCV बनेंगे. इस प्रोजेक्ट की लागत होगी करीब 50 हजार करोड़ रुपए.
FRCV में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन इंटीग्रेशन, एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम, सिचुएशनल अवेयरनेस, मैन्ड और अनमैन्ड टीमिंग की व्यवस्था होगी. भारत के पास इस समय 2400 टी-72 टैंक हैं. FRCV को तीन स्टेज में सेना में शामिल किया जाएगा. पहले फेज में 590 टैंक शामिल होंगी.
हर फेज में नई टेक्नोलॉजी इसमें जुड़ती चली जाएगी. ताकि टैंक ज्यादा समय तक सुरक्षित रहे. वह ज्यादा घातक हो. सटीक हमला करे. सैनिकों को अपने अंदर सुरक्षित रखे. FRCV ऐसे टैंक्स होंगे, जिनपर हवाई हमलों का कम असर हो. ज्यादा सुरक्षित संचार व्यवस्था से लैस हों. कई तरह के गोले दाग सकें.
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कई तरह की मिसाइलों से हमला कर सकें. एंटी-ड्रोन सेफगार्ड हो. इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर में दक्ष हो. क्योंकि पुराने टैंकों की हालत अभी रूस-यूक्रेन के युद्ध में देखने को मिली है. रूस-यूक्रेन के युद्ध में दोनों तरफ के टैंकों पर ड्रोन हमले हुए. छोटे-छोटे आत्मघाती ड्रोन्स ही उन्हें खत्म कर दे रहे थे. इसलिए पूरी दुनिया में FRCV की डिमांड बढ़ गई है.
वायुसेना के Su-30MKI के लिए 240 एयरो इंजन
भारत सरकार ने वायुसेना के Su-30MKI फाइटर जेट्स के लिए HAL को 240 एयरो इंजन बनाने को कहा है. इसकी लागत करीब 26 हजार करोड़ रुपए है. इन इंजनों को अगले साल से लेकर आठ साल के अंदर डिलिवर करना है. इंजनों को 54 फीसदी स्वदेशी रखना है. इंजनों के मिलने से Su-30MKI की फ्लीट को ताकत मिलेगी. वो लगातार देश की आसमानी सुरक्षा में तैनात रह पाएंगे.