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INS Jatayu बना भारतीय नौसेना का नया नौसैनिक बेस, PAK-चीन-मालदीव पर रहेगी कड़ी नजर

Indian Navy ने लक्षद्वीप के मिनिकॉय आइलैंड पर अपने नए बेस INS Jatayu की कमीशनिंग कर ली है. इससे PAK-चीन और मालदीव की हालत खराब होगी. समुद्री लुटेरों पर लगाम लगाई जाएगी. इस दौरान नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार मौजूद थे.

INS Jatayu की कमीशनिंग करते भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार. INS Jatayu की कमीशनिंग करते भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 6:57 PM IST

भारतीय नौसेना ने लक्षद्वीप के मिनिकॉय आइलैंड पर अपने नए नौसैनिक बेस INS Jatayu को सेना में शामिल कर लिया है. इस मौके पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार मौजूद थे. इस नौसैनिक बेस से पाकिस्तान, मालदीव और चीन की हरकतों पर नजर तो रखी ही जा सकेगी. 

इसके अलावा इस बेस से समुद्री लुटेरों पर भी तेजी से लगाम कसी जा सकेगी. साथ ही भारतीय समुद्री इलाके में चीन की गतिविधियों पर विराम लगेगा. मिनिकॉय में बने आईएनएस जटायु नौसैनिक बेस से मालदीव की दूरी मात्र 524 km है. अगाती आइलैंड पर मौजूद एयरस्ट्रिप को भी अपग्रेड किया जा रहा है. 

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इस एयरस्ट्रिप का इस्तेमाल फाइटर जेट्स और भारी विमानों के लिया किया जाएगा. साथ ही मालदीव, पाकिस्तान और चीन की हरकतों पर सीधी नजर रखने में मदद मिलेगी. असल में लक्षद्वीप और मिनिकॉय आइलैंड नौ डिग्री चैनल पर हैं. जहां से हर साल लाखों-करोड़ों डॉलर्स का व्यवसाय होता है. यह उत्तरी एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच का रास्ता है. 

मिनिकॉय पर नया एयरस्ट्रिप, सेना के लिए नई फैसिलिटी

इतना ही नहीं भारत सरकार ने मिनिकॉय पर एयरस्ट्रिप बनाने का फैसला भी किया है. ताकि भारतीय सेनाएं हिंद और अरब महासागर में शांति स्थापित कर सकें. इसके अलावा इंडो-पैसिफिक रीजन में समुद्री सुरक्षा को बरकरार रख सके. भारत सरकार ने अभी अंडमान और निकोबार आइलैंड के कैंपबेल खाड़ी में नई फैसिलिटी बनाई है.

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इस फैसिलिटी का इस्तेमाल सेना कर रही है. पूर्व में अंडमान और पश्चिम में लक्षद्वीप पर मजबूत तैनाती से भारत की समुद्री सीमा सुरक्षित रहेगी. दोनों द्वीप समूहों पर पर्यटन भी बढ़ेगा. लोग यहां घूमते समय सुरक्षित महसूस करेंगे.

कोई भी अरब सागर से निकले, जटायु की नजर से बचेगा नहीं

मिनिकॉय में नौसैनिक बेस बनते ही इस इलाके के आसपास चीन की नौसेना पर नजर रखना आसान हो गया है. क्योंकि अब यहां पर फाइटर जेट, युद्धपोत और अन्य प्रकार के जंगी जहाजों का बेड़ा तैनात हो सकता है. जो व्यवसायिक जहाज सुएज कैनाल और पारस की खाड़ी की तरफ जाते हैं उन्हें 9 डिग्री चैनल यानी लक्षद्वीप और मिनिकॉय वाले रूट से जाना होता है. 

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किसी जहाज को सुंदा और लोंबक की खाड़ी की तरफ जाना है तो उसे दस डिग्री चैनल यानी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास से गुजरना होगा. ऐसे में दोनों जगहों पर मजबूत सुरक्षा और निगरानी दस्ता होना चाहिए. जो जरूरत पड़ने पर दुश्मन को मुंहतोड़ जबाव दे सके. साथ ही आसपास के इलाके में शांति बनाए रखे. 

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