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BrahMos Missile: नौसेना कि ब्रह्मोस मिसाइल हुई और ताकतवर... रेंज, फायरपावर और सटीकता से कांपेगा दुश्मन

Indian Navy ने अपने जंगी जहाज से अधिक रेंज वाली BrahMos Missile का सफल परीक्षण किया. यह एक लैंड अटैक क्रूज मिसाइल वैरिएंट थी. यानी युद्धपोत से निकल कर जमीन पर मौजूद टारगेट को खत्म करने वाली मिसाइल. इस टेस्ट के दौरान इसके बदले हुए रेंज, फायरपावर और स्टेल्थ की जांच की गई.

Indian Navy ने अपने जंगी जहाज से BrahMos Supersonic Cruise Missile का परीक्षण किया गया. (सभी फोटोः Indian Navy) Indian Navy ने अपने जंगी जहाज से BrahMos Supersonic Cruise Missile का परीक्षण किया गया. (सभी फोटोः Indian Navy)
ऋचीक मिश्रा/मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:05 PM IST

भारतीय वायुसेना (Indian Navy) ने 24 जनवरी 2024 को अपने जंगी जहाज से नई ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया. इस मिसाइल की रेंज को बढ़ाया गया है. फायर पावर में इजाफा किया गया है. साथ ही इसके स्टेल्थ टेक्नोलॉजी को और बेहतर बनाया गया है. यह लैंड अटैक वर्जन थी. यानी युद्धपोत से जमीनी टारगेट पर हमला करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल. 

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बताया जा रहा है इसकी रेंज 800 किलोमीटर से ज्यादा है. क्योंकि नौसेना ने कुछ दिन पहले 900 किलोमीटर का NOTAM जारी किया था. यानी समंदर में इतनी दूरी तक जहाजों और विमानों को दूर रहने को कहा गया था. ये असल में Extended Range Supersonic Cruise Missile है. इस परीक्षण में ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड भी शामिल थी. 

इस परीक्षण में क्या खास था... 

अधिक रेंज... ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज बढ़ाने का फायदा भारतीय नौसेना को मिलेगा. वह ज्यादा दूर से अपने दुश्मन टारगेट को कुछ ही सेकेंड में बर्बाद कर सकेगा. युद्धपोत दूर से ही दुश्मन को खत्म कर सकेंगे. साथ ही दुश्मन के फायर से बचे रहेंगे. 

सटीक निशाना... ब्रह्मोस मिसाइल अपनी सटीकता के लिए जानी जाती है. वो भी लंबी दूरी पर. यह टेस्ट इस बात से निश्चिंत करता है कि आज भी ब्रह्मोस मिसाइल एक सटीक निशानेबाज मिसाइल है. जिसमें कोलेटरल डैमेज होने की संभावना बेहद कम है. 

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रेंज... पहले नौसैनिक वर्जन मिसाइल की रेंज 200 km थी. जिसे पिछले साल बढ़ाकर 500 km किया गया था. अब यह बढ़कर 800 km हो गई है. यानी ज्यादा रेंज का फायदा नौसेना को पूरी तरह से मिलने वाला है. 

दुश्मन की नजर में नहीं आती ब्रह्मोस मिसाइल

ब्रह्मोस मिसाइल हवा में ही रास्ता बदलने में सक्षम है. चलते-फिरते टारगेट को भी बर्बाद कर देता है.  यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हैं, यानी दुश्मन के राडार इसे देख ही नहीं पाएगा. इसको मार गिराना लगभग अंसभव है. ब्रह्मोस मिसाइल अमेरिका के टोमाहॉक मिसाइल से दोगुना तेज उड़ती है. यह मिसाइल 1200 यूनिट की ऊर्जा पैदा करती है, जो किसी भी बड़े टारगेट को मिट्टी में मिला सकता है. 

ब्रह्मोस मिसाइल के चार नौसैनिक वर्जन 

ब्रह्मोस मिसाइल के चार नौसैनिक वैरिएंट्स हैं. पहला- युद्धपोत से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट (Anti-Ship Variant), दूसरा युद्धपोत से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट (Land Attack Variant). ये दोनों ही वैरिएंट भारतीय नौसेना में पहले से ऑपरेशनल हैं. तीसरा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट. सफल परीक्षण हो चुका है. चौथा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट. 

इन युद्धपोतों पर तैनात है ब्रह्मोस  

भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने राजपूत क्लास डेस्ट्रॉयर INS Ranvir - INS Ranvijay में 8 ब्रह्मोस मिसाइलों वाला लॉन्चर लगा रखा है. इसके अलावा तलवार क्लास फ्रिगेट INS Teg, INS Tarkash और INS Trikand में 8 ब्रह्मोस मिसाइलों वाला लॉन्चर तैनात है. शिवालिक क्लास फ्रिगेट में भी ब्रह्मोस मिसाइल फिट है. कोलकाता क्लास डेस्ट्रॉयर में भी यह तैनात है. INS Visakhapatnam में सफल परीक्षण हो चुका है. इसके बाद भारतीय नौसेना नीलगिरी क्लास फ्रिगेट में भी इस मिसाइल को तैनात करेगी. 

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नौसैनिक ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत 

युद्धपोत से लॉन्च की जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल 200KG वॉरहेड ले जा सकती है. यह मिसाइल 4321 KM प्रतिघंटा की रफ्तार. इसमें दो स्टेज का प्रोप्लशन सिस्टम लगा है. पहला सॉलिड और दूसरा लिक्विड. दूसरा स्टेज रैमजेट इंजन (Ramjet Engine) है. जो इसे सुपरसोनिक गति प्रदान करता है. साथ ही ईंधन की खपत कम करता है. 

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