
भारतीय नौसेना (Indian Navy) के दो महायुद्धपोत आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य इस समय अरब सागर में तैनात हैं. विक्रांत को हाल ही में देश की पश्चिमी सीमा पर तैनात किया गया है. ये दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर अपनी ताकत और क्षमताओं के लिए दुनिया के टॉप टेन विमानवाहक युद्धपोतों में शामिल हैं.
कुछ महीने पहले ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि बहुत जल्द नौसेना के लिए तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर भी बनेगा. हम तीन पर ही नहीं रुकेंगे. हम पांच-छह कैरियर और बनाएंगे. अगर ऐसा होता है तो भारतीय नौसेना की ताकत हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में कई गुना बढ़ जाएगी. चीन की हरकतों पर विराम लगेगा.
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भारत के इन दोनों युद्धपोतों के अलावा जब बाकी शामिल होंगे, तो सबसे बड़ा फायदा जापान को होगा. भारतीय नौसेना की धाक तो जमेगी ही. आसपास के समुद्री इलाकों में भी शांति का माहौल बनेगा. लेकिन जापान के लिए फायदा कैसे होगा, ये भी समझ लीजिए...
1. भारतीय नौसेना मजबूत होगी तो चीन की PLA नेवी को भारत की तरफ ध्यान देना होगा. इससे जापान की तरफ से उसका ध्यान थोड़ा कम होगा. जापान का स्ट्रैटेजिक प्रेशर कम होगा.
2. जैसे ही भारतीय समुद्री इलाके में भारतीय नौसेना की मजबूती बढ़ेगी. आसपास के इलाकों की सुरक्षा बढ़ेगी. इससे जापान, थाईलैंड, म्यांमार जैसे समुद्री तटों वाले देशों के आसपास स्थिरता आएगी. रणनीतिक संतुलन बनेगा.
3. इंडियन नेवी के बाकी एयरक्राफ्ट कैरियर के लॉन्च होते ही भारतीय और जापानी नौसेना ज्यादा नजदीकी से मिलकर युद्धाभ्यास कर सकेंगे. ज्यादा तकनीकी समझौते कर पाएंगे. मैरीटाइम पेट्रोलिंग भी आसान होगी.
4. समुद्री इलाकों में जहां तक जापान नहीं पहुंच पाता, वहां भारतीय नौसेना चली जाएगी. इससे दोनों ही देशों का तनाव कम होगा और समुद्री सुरक्षा बढ़ेगी.
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अब समझते हैं अपने दोनों महायुद्धपोतों की ताकत...
आईएनएस विक्रांत...
स्वदेश निर्मित आईएनएस विक्रांत को बेहद जल्द भारतीय नौसेना में शामिल कर दिया जाएगा. फिलहाल नौसेना इसका समुद्री परीक्षण कर रही है. इसका डिस्प्लेसमेंट 45 हदार टन है. यह 262 मीटर लंबा और 59 मीटर चौड़ा है. यह अपने ऊपर 40 फाइटर जेट्स को लेकर चल सकता है. INS विक्रांत में जनरल इलेक्ट्रिक के ताकतवर टरबाइन लगे हैं. जो इसे 1.10 लाख हॉर्सपावर की ताकत देते हैं. इस पर MiG-29K लड़ाकू विमान और 10 Kmaov Ka-31 हेलिकॉप्टर के दो स्क्वॉड्रन हैं. इस विमानवाहक पोत की स्ट्राइक फोर्स रेंज 1500 km है. इसपर 64 बराक मिसाइलें लगी हैं. जो पोत से हवा में मार करने में सक्षम हैं.
आईएनएस विक्रमादित्य...
भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य दुनिया के 10 सबसे बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर्स में शामिल है. यह 283.5 मीटर लंबा है. इसकी बीम 61 मीटर की है. यह एक कीव-क्लास का मॉडिफाइड एयरक्राफ्ट करियर है. जो भारतीय नौसेना में साल 2013 में शामिल किया गया था. इससे पहले यह सोवियत नौसेना और फिर रूसी नौसेना के लिए सेवाएं दे चुका है. इसका डिस्प्लेसमेंट 45,400 टन है. इस पोत पर 36 लड़ाकू विमान तैनात हो सकते हैं. जिसमें 26 मिकोयान MiG-29K मल्टी रोल फाइटर्स और Kamov Ka-31 AEW&C और Kamov Ka-28 ASW हेलिकॉप्टर्स शामिल हैं.
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भारत का तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर कैसा होगा?
इंडियन नेवी का तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत क्लास का दूसरा विमानवाहक युद्धपोत होगा. इसे बनने कम समय लगेगा. एयरक्राफ्ट कैरियर का डिस्प्लेसमेंट 45 हजार टन होगा. यह अपने ऊपर 28 फाइटर जेट्स और हेलिकॉप्टर तैनात कर सकेगा. पिछले साल जनवरी में संसदीय स्टैंडिंग कमेटी ने तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर की जरूरत बताई थी. भारत का मकसद है चीन के बराबर एयरक्राफ्ट कैरियर बनाना. ताकि टक्कर दी जा सके.
लंबाई 860 फीट, बीम 203 फीट, ऊंचाई 194 फीट और ड्रॉट 28 फीट होगी. इसमें 14 डेक होंगे. प्रोपल्शन के लिए दो शाफ्ट होंगे. अधिकतम 56 km/hr की रफ्तार से समंदर में चल सकेगा. इसकी रेंज 15 हजार km होगी. इसपर एक बार में 196 ऑफिसर औऱ 1449 नौसैनिक एक बार में तैनात हो सकेंगे. बचाव के लिए इस पर कवच एंटी-मिसाइल सिस्टम और मारीच एंडवांस्ड टॉरपीडो डिफेंस सिस्टम लगे होंगे.
इसके अलावा सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल बराक 8 के 32 सेल होंगे. 4 ओटोब्रेड ड्यूअल परपज गन और 4 AK 630 CIWS गन लगी होगी. इस पर राफेल एम, मिग-29के, तेजस फाइटर जेट, टेडबीएफ फाइटर जेट या एएमसीए फाइटर जेट तैनात हो सकते हैं. इसके अलावा कामोव, अपाचे, प्रचंड, एमएच-60आर या ध्रुव हेलिकॉप्टर तैनात हो सकता है.
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चीन के पास फिलहाल तीन एयरक्राफ्ट कैरियर हैं
शैनडोंग एयरक्राफ्ट कैरियर
चीन का दूसरा स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर जो STOBAR यानी शॉर्ट टेकऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी सिस्टम पर काम करता है. यह बेहद अत्याधुनिक है. यह 305 मीटर लंबा है. इसकी बीम 75 मीटर की है. इसका डिस्प्लेसमेंट 70 हजार टन है. यह अधिकतम 44 लड़ाकू विमान अपने ऊपर लेकर चल सकता है. कहा जाता है कि इस विमानवाहक पोत वर्तमान दुनिया के सबसे घातक हथियार लगाए गए हैं. लेकिन चीन ने इसकी जानकारी साझा नहीं की है.
लियाओनिंग एयरक्राफ्ट कैरियर
चीन की पीपुल्स लिबरेशन ऑर्मी नेवी का यह टाइप 001 एयरक्राफ्ट करियर दुनिया का चौथा सबसे बड़ा पोत है. पहले इसे कुजनेतसोव क्लास एयरक्राफ्ट के रूप में विकसित करने की योजना थी लेकिन बाद में इसे चीन ने अपने हिसाब से बनाया. यह 304.5 मीटर लंबा है. इसकी बीम 75 मीटर की है. इसका डिस्प्लेसमेंट 58 हजार टन है. यह अपने ऊपर 50 एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर्स लेकर समुद्र में चल सकता है.
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फुजियान सुपरएयरक्राफ्ट कैरियर
चीन के लेटेस्ट सुपर एयरक्राफ्ट कैरियर को हाल ही में समंदर में उतारा गया है. इसपर अभी हथियार लगाए जा रहे हैं. समुद्री ट्रायल्स भी चल रहे हैं. इस पर सेल्फ डिफेंस हथियारों के लिए HQ-10 शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम और 30 mm के H/PJ-11 ऑटोकैनन लगे होंगे. यह लंबी दूरी से आनी वाली मिसाइलों और फाइटर जेट्स को ट्रैक कर सकता है. साथ ही टारगेट लॉक कर सकता है.
इस पर चीन अपने J-15B फाइटर जेट तैनात करेगा. इसके अलावा नेक्स्ट जेनरेशन फाइटर J-35 भी तैनात किया जाएगा. J-15D इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर फाइटर जेट भी जरूरत पड़ने पर तैनात होगा. चीन इस युद्धपोत पर KJ-600 AEWC विमान भी तैनात करेगा, ताकि समंदर में जासूसी कर सके.फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर पर Z-8/18 यूटिलिटी और ASW हेलिकॉप्टर्स तैनात होंगे. नया Z-20 मीडियम हेलिकॉप्टर भी तैनात किया जाएगा.