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ईरान पर गिरने वाली थी इजरायल की ये परमाणु मिसाइल... लीक दस्तावेज से हुआ खुलासा

अमेरिका के लीक खुफिया दस्तावेज से पता चला है कि इजरायल किस परमाणु मिसाइल का इस्तेमाल 16 अक्टूबर को ईरान के खिलाफ करने वाला था. अगर इजरायल अपनी इस मिसाइल का भरपूर इस्तेमाल करता तो ईरान के पास बचने का कोई चांस नहीं रहता. क्योंकि ईरान के पास इजरायल जैसा हवाई सुरक्षा कवच नहीं है.

ये है जेरिको मिसाइल का तीसरा स्टेज जिसमें हथियार रखा जाता है. ये है जेरिको मिसाइल का तीसरा स्टेज जिसमें हथियार रखा जाता है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 11:21 AM IST

अमेरिकी खुफिया दस्तावेज लीक होने से यह पता चला कि इजरायल किस मिसाइल से ईरान पर हमला करने जा रहा था. ये है मीडियम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल जेरिको-2 (Jericho-2). इजरायल 16 अक्टूबर 2024 को इसी मिसाइल से हमला करने की तैयारी में था. हालांकि इस मिसाइल में न्यूक्लियर हथियार नहीं होता. 

इजरायल पारंपरिक हथियार लगाकर ईरान पर जेरिको-2 से हमला करता. इजरायल के पास जेरिको के तीन वैरिएंट्स हैं. तीनों की रेंज 500, 1500 और 4800 km है. तीनों वैरिएंट अलग-अलग आकार. रेंज और स्पीड के हैं. तीनों हाइपरसोनिक गति से हमला करती है. यानी ईरान का एयर डिफेंस सिस्टम रोक नहीं पाएगा. 

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जेरिको-2 मिसाइल को इजरायल ने तब डेवलप करना शुरू किया जब अमेरिका ने Pershing-2 मिसाइल बेंचने से मना कर दिया. जेरिको-2 1989 से ऑपरेशनल है. यह इजरायल के न्यूक्लियर हथियारों के जखीरे में शामिल हैं. माना जा रहा है कि इस मिसाइल को 2026 में फ्लीट से हटा दिया जाएगा. ये भी संभव है कि अगर जंग होती है, तो इजरायल इस मिसाइल के पूरे जखीरे को ईरान और अपने दुश्मनों पर गिरा दे. 

अब जेरिको-3 है इजरायल की सबसे ताकतवर मिसाइल

जेरिको-3 इंटरकॉन्टीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है. परमाणु हथियार ले जा सकती है. यह 2011 से इजरायल की सुरक्षा में तैनात है. इसका वजन 30 हजार किलोग्राम है. 15.5 मीटर लंबी है और 1300 किलोग्राम वजन का हथियार ले जा सकती है. इसकी रेंज 11,500 किलोमीटर है. 

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अगर बात करें जेरिको-2 MRBM की तो यह 26 हजार किलोग्राम वजनी और 14 मीटर लंबी है. इसमें 1000 किलोग्राम वजन का वॉरहेड लगा सकते हैं. इसकी रेंज 1500 से 2000 km है. दोनों ही मिसाइलें पारंपरिक (गैर-परमाणु) और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं. 

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अमेरिका को कब पता चला इजरायली परमाणु प्रोग्राम का

1960 में इजरायल अपना सीक्रेट न्यूक्लियर प्रोग्राम चला रहा था. जिसकी डिटेल एक अमेरिकन कॉर्पोरेट अधिकारी ने अमेरिकी सरकार को दी. यह खुलासा कई सालों के कोवर्ट ऑपरेशन से हुआ था. इजरायल हमेशा न्यूक्लियर एम्बीग्विटी की नीति अपनाता है. न तो वो ये कहेगा कि उसके पास न्यूक्लियर हथियार हैं. न ही मना करेगा. लेकिन इजरायल दुनिया के परमाणु हथियार संपन्न देशों में गिना जाता है. 

दोनों देशों की मिसाइलों में खास अंतर क्या है?

इजरायल की जेरिको-3 मिसाइल की रेंज ज्यादा है. वह ईरान की सबसे लंबी दूरी वाली खोर्रमशहर मिसाइल से ज्यादा रेंज रखती है. अगर सटीकता की बात करें तो ईरान की मिसाइलों की सटीकता बेहतर है, क्योंकि उनके पास एडवांस गाइडेंस सिस्टम है. इजरायल के पास कई लेयर की हवाई सुरक्षा प्रणाली है. जबकि ईरान के पास ऐसी ताकत कम है. यानी मिसाइलों से जंग में इजरायल को बचना है. जबकि ईरान के पास बचने के चांस कम हैं.

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