
भारत सरकार ने हाल ही में यह घोषणा की है कि ब्रह्मोस मिसाइल के प्रोडक्शन में तेजी से इजाफा होगा. इसके लिए लखनऊ में फैक्ट्री बन रही है. ब्रह्मोस मिसाइल अपनी सटीक मारक क्षमता और सुपरसोनिक गति के लिए जानी जाती है. ये दुनिया की सबसे तेज उड़ने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है.
लखनऊ में तेजी से ब्रह्मोस मिसाइल के प्रोडक्शन प्लांट का काम शुरू हो चुका है. उम्मीद है कि इसे बनकर तैयार होने में दो साल लगेंगे. इसके बाद 2026 से 2027 के बीच ब्रह्मोस-NG मिसाइल का प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा. यह हल्की, तेज और ज्यादा घातक मिसाइल है. BrahMos-NG मिसाइल अभी अंडर डेवलपमेंट है.
यह भी पढ़ें: China ने लॉन्च की नई हाइपरसोनिक मिसाइल... जानिए भारत को इससे कितना खतरा, Video
यह मिसाइल अपने पुराने वर्जन से तेज, हल्की और ज्यादा घातक है. लखनऊ से मिसाइल बनने का फायदा देश के रक्षा उद्योग को होगा. साथ ही दुनियाभर के देश इस मिसाइल को खरीदने की डिमांड करेंगे. ऐसे में अपनी और दुनिया की जरूरतों को पूरा करने के लिए लखनऊ का ब्रह्मोस प्रोडक्शन प्लांट बेहद कारगर साबित होगा.
आइए जानते हैं ब्रह्मोस-NG मिसाइल की ताकत...
BrahMos-NG मिसाइल: 4 मिनट में ढेर होगा दुश्मन
BrahMos-NG यानी ब्रह्मोस मिसाइल का नेक्स्ट जेनरेशन वर्जन. इसकी पहली उड़ान 2024 के अंत में संभव है. DRDO ब्रह्मोस मिसाइल का नया मिनी वर्जन है. इस मिसाइल की Range 290 KM होगी. लेकिन इतनी दूरी यह 4321 KM प्रतिघंटा की रफ्तार से कवर करेगी. दुश्मन चार मिनट में ढेर हो जाएगा.
यह भी पढ़ें: ऑटोट्रैकर, एंटी-थर्मल आईआर कोटिंग से लैस है टी-90 भीष्म टैंक का नया वर्जन, जंग में दुश्मनों के छुड़ाएगा छक्के
ओरिजिनल ब्रह्मोस से हल्की और ज्यादा घातक
इसका वजन 1.5 टन होगा और लंबाई 6 मीटर. यह पहले वाली ब्रह्मोस मिसाइल से 50 फीसदी हल्की और तीन मीटर छोटी होगी. ताकि सटीक मार कर सके. इसे ऐसा बनाया जा रहा है कि यह किसी रडार की पकड़ में नहीं आएगी. शुरुआत में इसका नाम ब्रह्मोस-एम रखा गया था.
किसी भी तरह के फाइटर जेट में लगा सकते हैं
इस मिसाइल को सुखोई-Su-30MKI, मिकोयान MiG-29K, तेजस, तेजस-2 और राफेल फाइटर जेट में लगाया जा सकता है.बाद में इस मिसाइल को भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों में लगाया जाएगा. ये अत्याधुनिक P75I सबमरीन में लगाई जाएंगी. वायुसेना ने कहा है कि उन्हें 400 ब्रह्मोस-एनजी मिसाइलों की जरुरत है.