
China के वैज्ञानिक और इंजीनियर ने ऐसा डिवाइस बनाया है, जिसकी वजह से उनका स्टेल्थ फाइटर जेट दुश्मन की राडार में दिखाई ही नहीं देगा. इस यंत्र का नाम है प्लाज्मा स्टेल्थ डिवाइस (Plasma Stealth Device). यह डिवाइस पूरे विमान को नहीं बल्कि कुछ खास यंत्रों को छिपा देगा, जिससे एयरक्राफ्ट की पहचान राडार पर हो ही नहीं पाएगी.
अभी तक मिलिट्री एयरक्राफ्ट में खास तरह के राडार-एबजॉर्बेंट कोटिंग और जियोमेट्रिक डिजाइन की वजह से दुश्मन की नजर से बचने की कोशिश करते थे. लेकिन चीन के इस नए प्लाज्मा स्टेल्थ डिवाइस से पूरा का पूरा जहाज ही दुश्मन के राडार में गायब हो जाएगा. जब दुश्मन विमान को पहचान ही नहीं पाएगा तो वह उसे रोक ही नहीं पाएगा.
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दुश्मन का राडार आमतौर पर किसी भी फाइटर जेट को उसके कॉकपिट, राडार डोम और अन्य हिस्सों से पहचानता है. नया प्लाज्मा स्टेल्थ डिवाइस एक खास तरह की इलेक्ट्रॉन बीम फेकेंगी, इससे विमान के वो हिस्से ढंक जाएंगे, जो दुश्मन राडार में पहचान के लिए सेट किए गए हैं. फिर राडार पर बैठा ऑपरेटर समझ नहीं पाएगा कि यह किस तरह का विमान है.
फाइटर जेट की पहचान के साथ कर देता है हेरा-फेरी
इस डिवाइस को विकसित करने वाली टीम के सदस्य और साइंटिस्ट तान चांग ने बताया कि इस डिवाइस की खासियत यही है कि यह फाइटर जेट की पहचान के साथ हेर-फेर करता है. जिससे वह दुश्मन के राडार में नहीं आता. क्योंकि इसके प्लाज्मा की डेनसिटी बहुत ज्यादा है. चीन इस डिवाइस को ज्यादातर विमानों में लगाने की तैयारी कर रहा है.
चीन चाहता है कि वह दुनिया का सुपरीयिर मिलिट्री पावर बने. उसकी नौसेना दुनिया की ताकतवर सेनाओं में से एक है. चीन खुद मिलिट्री ताकत में दुनिया का तीसरा सबसे ताकतवर देश हैं. तान चांग ने कहा कि यह प्लाज्मा डिवाइस प्लाज्मा टेक्नोलॉजी सेंटर में बनाया गया है. यह सेंटर जियान एयरोस्पेस प्रोप्लशन इंस्टीट्यूट में है.
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राडार से आने वाली किरणों को कर देता है कमजोर
प्लाज्मा में इलेक्ट्रिकली चार्ज्ड पार्टिकल्स हैं जो चारों तरफ से आने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणों से टकराते हैं. जब राडार से निकली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणें प्लाज्मा से टकराती हैं, तो वो उन्हें इधर-उधर फेंक देता है. साथ ही जो किरण टकरा रही है, उसे राडार तक पहुंचने से रोकता है. उसे इतना कमजोर कर देता है कि प्लेन का आकार ही न पता चले.
अगर किरण वापस राडार तक नहीं पहुंचेगा, तो एयरक्राफ्ट की जानकारी दुश्मन को मिलेगी नहीं. वह समझ ही नहीं पाएगा कि आसमान में फाइटर जेट है या नहीं. है तो किस तरह का है. तान चांग का दावा है कि इस टेक्नोलॉजी से स्टेल्थ फाइटर जेट ही नहीं, बल्कि पारंपरिक फाइटर जेट्स को भी दुश्मन के राडार से छिपाया जा सकता है.
अमेरिका के स्टेल्थ एयरक्राफ्ट में यह तकनीक नहीं है
प्लाज्मा स्टेल्थ टेक्नोलॉजी शीत युद्ध के समय आया था. तब अमेरिका और सोवियत संघ इसे विकसित करने में लगे थे. लेकिन कई वजहों से यह प्रयोगशाला से बाहर नहीं आ पाया. अमेरिका के F-22 और F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स में राडार-एबजॉर्बेंट कोटिंग और जियोमेट्रिक डिजाइन का सहारा लिया गया है.
क्लोज कॉम्बैट में एफ-22 को काफी दिक्कत होती है. जबकि एफ-35 सुपरसोनिक स्पीड लगातार नहीं बनाए रख सकता. साथ ही इनकी कीमत भी बहुत ज्यादा है. चीन ने प्लाज्मा तकनीक बाद में विकसित की लेकिन वह अपने विमानों में इस नई तकनीक को लगाने की तैयारी कर चुका है. अगर ऐसा होता है तो उसके विमानों को आसमान में खोज पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा.