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Indian Army के हंटर-किलर टैंक T-90 Bhisma ने दिखाई कर्तव्य पथ पर अपनी ताकत

75वें गणतंत्र दिवस परेड कर्तव्य पथ पर मैकेनाइज्ड दस्ता उतरा. जिसमें भारतीय सेना के टी-90 भीष्म टैंक का कॉलम निकला. इसका नेतृत्व 42 बख्तरबंद रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट फैज सिंह ढिल्लन कर रहे थे.

कर्तव्य पथ पर टी-90 भीष्म टैंक का मैकेनाइज्ड कॉलम. कर्तव्य पथ पर टी-90 भीष्म टैंक का मैकेनाइज्ड कॉलम.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:46 AM IST

भीष्म टैंक तीसरी पीढ़ी का मुख्य युद्धक टैंक है. इसमें 125 मिलिमीटर स्मूथ बोर गन लगी है. टी-90 हंटरकिलर कॉन्सेप्ट पर काम करता है. यह चार प्रकार के गोला-बारूद जाग सकता है. पांच किलोमीटर की दूरी तक बंदूक से मिसाइल दागने की क्षमता भी रखता है भीष्म टैंक थर्मल इमेजिंग दृष्टि की मदद से रात में भी प्रभावी ढंग से दुश्मन को साधकर तबाह कर सकता है. 

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इसमें एक ERA पैनल भी है,  जो इस घातक मशीन के कवच को और भी मजबूत बनाता है. 46 टन की यह विशाल मशीन 50 से 60 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकता है. सभी प्रकार के इलाकों में ढंग से काम कर सकता है. रेजिमेंट का रंग फ्रेंच ग्रे, मैरून और ब्लैक है. इसका आदर्श वाक्य - कर्म, शौर्य, विजय है. 

टी-90 टैंक रूस का मुख्य युद्धक टैंक है, जिसे भारत ने अपने हिसाब से बदलकर उसका नाम भीष्म रखा है. 2078 टैंक सेवा में है. 464 का ऑर्डर दिया गया है. भारत ने रूस के साथ डील किया है कि वह 2025 तक 1657 भीष्म को ड्यूटी पर तैनात कर देगा. इस टैंक में तीन लोग ही बैठते हैं.  इस टैंक पर 43 गोले स्टोर किए जा सकते हैं. 

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इसकी ऑपरेशनल रेंज 550 किलोमीटर है. इस टैंक के रूसी वर्जन का उपयोग कई देशों में किया जा रहा है. इस टैंक ने दागेस्तान के युद्ध, सीरियन नागरिक संघर्ष, डोनाबास में युद्ध, 2020 में हुए नागोमो-काराबख संघर्ष और इस साल यूक्रेन में हो रहे रूसी घुसपैठ में काफी ज्यादा मदद की है.  

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