
भारत ने रूस में नया स्टेल्थ मिसाइल फ्रिगेट INS Tushil बनवाया. ये 2.5 बिलियन डॉलर्स (21 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा) की ये डील 2016 में हुई थी. तब यूक्रेन और रूस के बीच जंग नहीं थी. रूस भारतीय नौसेना के लिए चार स्टेल्थ फ्रिगेट बना रहा है. इस डील में दो युद्धपोत रूस में बनने थे. दो भारत में बनाए जा रहे हैं.
आईएनएस तुशिल और तमाल रूस में बन रहे हैं. तमाल भी अगले साल भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएगा. तुशिल अपग्रेडेड क्रिवाक 3 क्लास का मिसाइल फ्रिगेट है. इसे प्रोजेक्ट 1135.6 के तहत बनाया जा रहा है. इस जंगी जहाज में 26 फीसदी हिस्सा स्वदेशी है. लेकिन इसके प्राइमरी इंजन यूक्रेन ने बनाए हैं.
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जंग के बावजूद यूक्रेन की कंपनी Zorya-Mashproekt ने तुशिल और तमाल के लिए गैस टरबाइन बनाए. उन्हें रूस भेजा. ये कंपनी दुनिया की नंबर एक गैस टरबाइन बनाने वाली कंपनी है. असल में हुआ यूं था कि भारत ने खुद इन इंजनों को यूक्रेन से हासिल करके रूस में डिलिवर किया था.
नौसेना में कहां ज्वाइन करेगा तुशिल
आईएनएस तुशिल भारत आने के बाद नौसेना के पश्चिमी फ्लीट में शामिल होगा. यानी अरब सागर में तैनाती होगी. यह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ अत्याधुनिक फ्रिगेट्स में से एक गिना जाएगा. इसे बनाने में भारत की तरफ से इसमें ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, केल्ट्रॉन, टाटा की नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम्स, एल्कॉम मरीन और जॉन्सन कंट्रोल्स इंडिया कंपनियां शामिल थीं.
ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस है तुशिल
आईएएस तुशिल सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस से लैस है. इसके अलावा भी कई नई भारतीय और रूसी तकनीक इसमें लगाई गई हैं. तुशिल का मतलब होता है अभेद्य कवचम. यानी प्रोटेक्टर शील्ड. इसका ध्येय वाक्य है- निर्भय, अभेद्य और बलशील. यह भारतीय नौसेना की ताकत और समुद्री दमखम को दिखाती है.
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जानते हैं इस युद्धपोत की ताकत
आईएनएस तुशिल का समंदर में डिस्प्लेसमेंट 3850 टन है. इसकी लंबाई 409.5 फीट, बीम 49.10 फीट और ड्रॉट 13.9 फीट है. ये समंदर में अधिकतम 59 km/hr की रफ्तार से चल सकता है. गति को 26 km/hr किया जाए तो ये 4850 km की रेंज कवर कर सकता है. 56 km/hr की स्पीड से चले तो 2600 km तक जा सकते हैं.
30 दिन समंदर में रह सकता है
यह जंगी जहाज 18 अधिकारियों समेत 180 सैनिकों को लेकर 30 दिन तक समंदर में तैनात रह सकता है. उसके बाद इसमें रसद और ईंधन डलवाना पड़ता है. ये जंगी जहाज इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से लैस हैं. साथ ही 4 केटी-216 डिकॉय लॉन्चर्स लगे हैं. इसमें 24 Shtil-1 मीडियम रेंज की मिसाइलें तैनात हैं.
हथियार ऐसे की दुश्मन हो जाए पस्त
8 इगला-1ई, 8 वर्टिकल लॉन्च एंटी-शिप मिसाइल क्लब, 8 वर्टिकल लॉन्च एंटी-शिप और लैंड अटैक ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात है. इसमें एक 100 मिलिमीटर की A-190E नेवल गन लगी है. इसके अलावा एक 76 mm की ओटो मेलारा नेवल गन लगी है. 2 AK-630 CIWS और 2 काश्तान CIWS गन लगी हैं.
इन खतरनाक बंदूकों के अलावा दो 533 मिलिमीटर की टॉरपीडो ट्यूब्स हैं. एक रॉकेट लॉन्चर भी तैनात किया गया है. इस जंगी जहाज पर एक कामोव-28 या एक कामोव-31 या ध्रुव हेलिकॉप्टर लैस हो सकता है.