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ऑटोट्रैकर, एंटी-थर्मल आईआर कोटिंग से लैस है टी-90 भीष्म टैंक का नया वर्जन, जंग में दुश्मनों के छुड़ाएगा छक्के

भारत के मुख्य युद्धक टैंक T-90 Bhishma का MK3 मॉडल बनकर तैयार है. पहला बैच हैवी व्हीकल फैक्ट्री अवादी से बाहर आ चुका है. अब भारत का यह भरोसेमंद टैंक और ताकतवर हो गया है. ज्यादा सटीक और मारक हो गया है. अब चीन हो या पाकिस्तान.. इसके गोले जब उनपर बरसेंगे, दुश्मन को आसमान में मौत दिखेगी.

ये है टी-90 भीष्म मार्क 3 टैंक, जिसे चेन्नई के अवादी हैवी व्हीकल फैक्ट्री में बनाया गया है. (फोटोः DRDO) ये है टी-90 भीष्म मार्क 3 टैंक, जिसे चेन्नई के अवादी हैवी व्हीकल फैक्ट्री में बनाया गया है. (फोटोः DRDO)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 14 मई 2024,
  • अपडेटेड 2:29 PM IST

चेन्नई के अवादी में मौजूद हैवी व्हीकल फैक्ट्री से टी-90 भीष्म मार्क 3 टैंक का नया बैच निकल गया है. जल्द ही इसे भारतीय सेना के आर्मर्ड व्हीकल फ्लीट में शामिल किया जाएगा. इस टैंक में कई बड़े बदलाव किए गए हैं. इसकी फायर पावर बढ़ाई गई है. सुरक्षा प्रणाली अपग्रेड की गई है. ऑपरेशनल कैपेबिलिटी बढ़ाई गई है. 

फिलहाल इस टैंक की खासियतों को गुप्त रखा गया है लेकिन डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसमें डिजिटल कम्यूनिकेशन सिस्टम लगाया गया है. ऑटोट्रैकर लगा है. टीकेएन-4एस एजीएटी-एम सीडीआर साइट लगी है. एलसीडी मॉनिटर, डिजिटल बैलिस्टिक कंप्यूटर, एंटी-थर्मल आईआर कोटिंग और इनवार जीएलजीएमएस लगाया गया है. यानी इसमें स्वदेशी यंत्रों का इस्तेमाल बढ़ा दिया गया है. 

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लखनऊ में हुए डिफेंस एक्स्पो में दिखाई गई थी पुराने टी-90 भीष्म टैंक की ताकत. (फोटोः इंडिया टुडे आर्काइव)

टी-90 टैंक रूस का मुख्य युद्धक टैंक है, जिसे भारत ने अपने हिसाब से बदलकर उसका नाम भीष्म रख दिया है. करीब 1200 टैंक सेवा में है. 464 का ऑर्डर दिया गया है. भारत ने रूस के साथ डील किया है कि वह 2025 तक 1657 भीष्म को ड्यूटी पर तैनात कर देगा. इस टैंक में तीन लोग ही बैठते हैं. 

यह 125 मिलिमीटर स्मूथबोर गन है. इस टैंक पर 43 गोले स्टोर किए जा सकते हैं. यह 60 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चल सकता है. इसकी ऑपरेशनल रेंज 550 किलोमीटर है. इस टैंक के रूसी वर्जन का उपयोग कई देशों में किया जा रहा है. इस टैंक ने दागेस्तान के युद्ध, सीरियन नागरिक संघर्ष, डोनाबास में युद्ध, 2020 में हुए नागोमो-काराबख संघर्ष और इस साल यूक्रेन में हो रहे रूसी घुसपैठ में काफी ज्यादा मदद की है. 

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अब जानिए भारत के अन्य टैंकों के बारे में... 

अर्जुन टैंक

भारतीय सेना के पास साल 2004 से अब तक यह सर्विस दे रहा है. यह देश की सेना का मुख्य युद्धक टैंक है. देश में इन 120 मिलीमीटर बैरल वाले टैंकों की संख्या 141 है. इसके दो वैरिएंट्स हैं- पहला एमके-1 और एमके-1ए. एमके-1 आकार में एमके-1ए से थोड़ा छोटा है. दोनों ही टैंकों में चार क्रू बैठते हैं. दोनों टैंक एक मिनट में 6 से 8 राउंड फायर कर सकते हैं. एक टैंक में 42 गोले स्टोर किए जा सकते हैं. अर्जुन टैंक की रेंज 450 किलोमीटर है. 

टी-72 अजेय 

सोवियत युग का टैंक जिसने कई साल भारतीय सेना में सेवाएं दी हैं. 2410 टैंक भारतीय सेना में सेवाएं दे रहे हैं. 1000 टी-72 अजेय टैंक्स को अपग्रेड करने के लिए रूस, पोलैंड और फ्रांस के पास भेजना पड़ता है. जंग के लिए नया अजेय तैयार है. उसका उत्पादन भारत में होगा.  यह दुनिया के कई सारे देशों में उपयोग होता है. जिन देशों में यह टैंक उपयोग में लाया जा रहा है, उनकी कुल संख्या करीब 25 हजार है. इसकी ऑपरेशनल रेंज 460 किलोमीटर है. इसमें भी 125 मिलीमीटर स्मूथबोर गन लगी है. इसकी अधिकतम गति सतह और वैरिएंट के हिसाब से 60 से 75 किलोमीटर प्रतिघंटा है. 

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के9-वज्र टी 

155 मिलीमीटर की सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी है के9-वज्र टी. ऐसे 100 तोप भारतीय सेना में तैनात हैं. इसके अलावा 200 तोप और आ सकते हैं. असल में इसे दक्षिण कोरिया बनाता है. लेकिन भारत में इसे देश की परिस्थितियों के हिसाब से बदल दिया गया. यह काम स्वदेशी कंपनी ही कर रही है. इसके गोले की रेंज 18 से 54 किलोमीटर तक है. मतलब इतनी दूर बैठा दुश्मन बच नहीं सकता. इसका उपयोग अभी चीन के साथ हुए संघर्ष के दौरान भी किया गया था. इसमें 48 राउंड गोले स्टोर होते हैं. ऑपरेशनल रेंज 360 किलोमीटर और अधिकतम कति 67 किलोमीटर प्रतिघंटा है. 

विजयंत 

भारत में ऐसे 200 तोप हैं. इसे एलओसी के पास तैनात किया गया है. इस टैंक ने 1965 और 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे. इसे चार लोग चलाते हैं. इसकी ऑपरेशनल रेंज 530 किलोमीटर है. टैंक की अधिकतम गति 50 किलोमीटर प्रतिघंटा है. 

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टी-55 एमबीटी 

भारतीय सेना के पास ऐसे करीब 700 टैंक हैं. इसकी ऑपरेशनल रेंज 325 किलोमीटर है. अधिकतम गति 51 किलोमीटर प्रतिघंटा है. इसे चार लोग मिलकर चलाते हैं. पाकिस्तान के साथ नैनाकोट के युद्ध में इस टैंक ने पाक सेना की हालत खराब कर दी थी. बसंतर के युद्ध में भी पाकिस्तान के छ्क्के छुड़ा दिए थे. यह टैंक 40 से ज्यादा युद्धों में पूरी दुनिया में उपयोग हो चुका है. 
 

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