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संयुक्त अरब अमीरात में सीक्रेट ULTRA ड्रोन किया तैनात... क्या चाहता है अमेरिका?

अमेरिका ने संयुक्त अरब अमीरात में अपना सीक्रेट ULTRA ड्रोन तैनात कर दिया है. सीक्रेट इसलिए क्योंकि इसके बारे में दुनिया को ज्यादा कुछ पता नहीं है. इसकी तैनाती से मिडिल ईस्ट में खलबली मची हुई है. क्योंकि किसी को समझ ये नहीं आ रहा है कि इस ड्रोन के जरिए अमेरिका करना क्या चाहता है?

ये है अमेरिका का अल्ट्रा ड्रोन जिसे संयुक्त अरब अमीरात में तैनात किया गया है. (सभी फोटोः US DoD) ये है अमेरिका का अल्ट्रा ड्रोन जिसे संयुक्त अरब अमीरात में तैनात किया गया है. (सभी फोटोः US DoD)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 मई 2024,
  • अपडेटेड 6:29 PM IST

अमेरिका ने संयुक्त अरब अमीरात में सीक्रेट ड्रोन तैनात कर दिया है. ये बात 7 मई 2024 की है. यह एक अनमैन्ड लॉन्ग-एंड्योरेंस टैक्टिकल रीकॉन्सेंस एयरक्राफ्ट (ULTRA) है. इसे अल-दाफ्रा एयर बेस पर तैनात किया गया है. यहां पर अमेरिकी सेना का 380वां एयर एक्पेडिशनरी विंग है. साथ ही यहां पर RQ-4 ग्लोबल हॉक ड्रोन्स का अड्डा भी है. 

हर अल्ट्रा ड्रोन की कीमत 8 मिलियन डॉलर है. यानी 66.78 करोड़ रुपए. अमेरिकी वायुसेना की प्लानिंग है कि इस बेस पर वो अगले साल तक ऐसे चार और ड्रोन तैनात करेगा. इन ड्रोन्स के जरिए अमेरिका मिडिल ईस्ट और आसपास के इलाकों में जासूसी, निगरानी कर सकता है. साथ ही टारगेट्स खोज सकता है. 

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अल्ट्रा ड्रोन को एयरफोर्स रिसर्च लेबोरेटरी ने बनाया है. यह पूरी तरह से ऑटोमैटिक है. अमेरिका के बाकी ड्रोन्स से सस्ता है. यह ड्रोन लगातार 80 घंटे तक उड़ान भर सकता है. इसे अमेरिका में अनमैन्ड ग्लाइडर एयरक्राफ्ट भी बुलाते हैं. ऐसा पहली बार है जब मिडिल ईस्ट में अमेरिका इस ड्रोन को तैनात किया है. 

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बताया जाता है कि अमेरिका ने इस ड्रोन को मात्र एक साल में बनाकर तैयार किया है. इसलिए इसके बारे में ज्यादा जानकारी किसी को भी नहीं है. यह अपने साथ 181 किलोग्राम का वजन उठा सकता है. यह जीपीएस हार्डेंड है. यह ड्रोन कई तरह की इमेजरी कर सकता है. जैसे इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल, इंफ्रारे, रेडियो फ्रिक्वेंसी और इस पर सस्ते इंटेलिजेंस कलेक्शन पेलोड्स लगाए जा सकते हैं. 

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इस ड्रोन को जरूरत के मुताबिक बदला जा सकता है. यानी नागरिक कार्यों के अलावा इससे जासूसी, निगरानी हो सकती है. जरूरत पड़ने पर इसमें हथियार लगाकर हमला भी किया जा सकता है.  

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