
रूस-चीन और उत्तर कोरिया के खतरनाक हरकतों पर रोक लगाने के लिए अमेरिका-जापान और दक्षिण कोरिया ने मिलकर नया मिलिट्री कमांड बनाया है. पहली बार ऐसा हो रहा है इस कमांड का मुख्यालय जापान की जमीन पर होगा. यहां पर 50 हजार अमेरिकी सैनिक रहेंगे. जिसका नेतृत्व एक तीन स्टार जनरल करेंगे.
इस कमांड का सीधा फायदा ये होगा कि हवाई में मौजूद अमेरिकी इंडो-पैसिफिक कमांड से किसी मिशन को पूरा करने या काम के लिए परमिशन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. यहां रूस, चीन या उत्तर कोरिया ने कोई गलत कदम उठाया, उधर ये नया कमांड तुरंत एक्शन लेने के लिए तैयार रहेगा. इस कमांड के तरत युद्धाभ्यास भी होंगे.
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नए मिलिट्री कमांड को बनाने का फैसला अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के रक्षा सचिवों लॉयड ऑस्टिन, मिनोर किहारा और शिन वोन-सिक की सहमति से हुआ है. इसके लिए एक त्रिपक्षीय मीटिंग टोक्यो में रखी गई थी. इस कमांड का फायदा सबसे ज्यादा जापान को मिलेगा. क्योंकि अमेरिका और दक्षिण कोरिया के साथ ज्यादा मिलिट्री एक्सरसाइज करने का मौका मिलेगा. अमेरिका के विमानवाहक युद्धपोत और फ्लीट जापान में तैनात रहेगी.
चीन से पैदा हो रहा है बड़ा खतरा, इसलिए नया कमांड
इतना ही नहीं, जापान की मिलिट्री क्षमता बढ़ाने के लिए अमेरिका वहां के वेस्ट इंडस्ट्रियल बेस को मजबूत बनाएगा. साथ ही जापान को पैट्रियट एंटी-मिसाइल भी देगा. जापान के दक्षिण-पश्चिम में मौजूद द्वीपों पर अमेरिका संयुक्त युद्धाभ्यास करेगा. 1960 के बाद जापान और अमेरिका के बीच इस तरह का कोई समझौता हुआ है. इस कमांड का मुख्य फोकस चीन पर है. क्योंकि चीन लगातार प्रशांत क्षेत्र में तनाव बढ़ा रहा है.
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पुराने एलायंस में आ रही थी कॉर्डिनेशन की दिक्कत
अमेरिका और जापान के साथ जिन भी देशों का एलायंस है, उसमें कॉर्डिनेशन की दिक्कत आ रही थी. यूएस फोर्सेस जापान (USFJ) में कमांड और कंट्रोल की समस्या थी. जापान को बार-बार हवाई स्थिति इंडो-पैसिफिक कमांड से बात करनीं पड़ती थी. जो जापान से 6500 किलोमीटर दूर और 19 घंटे पीछे है. इससे कम्यूनिकेशन में भी दिक्कत आ रही थी. कमांड की जरूरत तब भी पडे़गी जब चीन और ताइवान का संघर्ष होगा.
इसी कमांड से ताइवान और फिलीपींस को मदद दी जाएगी, ताकि चीन उन पर कब्जा न कर सके. जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने डील की थी कि वो अपने साथी देशों के रक्षा ढांचों को और आगे बढ़ाएंगे. मजबूत करेंगे.