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क्या है 'Netra', जो बालाकोट एयरस्ट्राइक से लेकर G-20 की सुरक्षा तक बनी भारत की 'तीसरी आंख'

Balakot पर एयरस्ट्राइक हो या G-20 समिट की सुरक्षा. इस आसमानी Netra की नजर से कुछ नहीं छिप सकता. यह भारतीय वायुसेना का ऐसा अवॉक्स एयरक्राफ्ट है, जो 240 डिग्री पर कई दुश्मन टारगेट को एकसाथ पहचान सकता है. उनकी लोकेशन बता सकता है. आइए जानते हैं इंडियन एयरफोर्स के इस शानदार विमान की ताकत...

मिसाइल हमला होने पर Netra अपनी सुरक्षा फ्लेयर्स छोड़कर करता है. (सभी फोटोः भारतीय वायुसेना/DRDO) मिसाइल हमला होने पर Netra अपनी सुरक्षा फ्लेयर्स छोड़कर करता है. (सभी फोटोः भारतीय वायुसेना/DRDO)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 09 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 7:16 PM IST

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force - IAF) के पास दुश्मन टारगेट पर नजर रखने के लिए आसमानी नेत्र है. यानी Netra AESA राडार, जिसे एंबरेयर ERJ-145 एयरक्राफ्ट के ऊपर लगाया गया है. इसी विमान ने बालाकोट एयरस्ट्राइक (Balakot Airstrike) के समय दुश्मन की निगरानी की थी. स्ट्राइक के दौरान खतरों से फाइटर जेट्स को सूचित किया था. 

हाल ही में दिल्ली में हुए G-20 समिट के दौरान विदेशी मेहमानों की सुरक्षा पर आसमान से यही निगरानी रख रहा था. IAF के पास इस समय नेत्र राडार वाले तीन अवॉक्स विमान है. अवॉक्स मतलब एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AEW&CS). इस राडार को DRDO ने ही विकसित किया है. 

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बहुत जल्द MK-2 सीरीज के नेत्र राडार आने वाले हैं. इन्हें एयरबस-321 विमान पर लगाया जाएगा. कम से कम ऐसे छह विमान वायुसेना में शामिल होंगे. असल में नेत्र राडार का काम है सर्विलांस करना. ट्रैकिंग करना. दुश्मन को पहचानना. हवाई-समुद्री और जमीनी खतरों का वर्गीकरण करना. साथ ही बैलिस्टिक मिसाइल के आने की सूचना देना. 

नेत्र राडार वाले तीनों विमान 2017 से देश की सेवा में लगे हैं. आइए जानते हैं कि Netra राडार क्या काम कर सकता है... 

- 240 डिग्री तक दुश्मन टारगेट को पहचान सकता है. उनकी लोकेशन बता सकता है. ये भी बता सकता है कि टारगेट एक जगह टिका है, या चल-फिर रहा है. 
- राडार किसी भी तरह के फाइटर एयरक्राफ्ट के आने की जानकारी दे सकता है. इसमें दो AESA एरे हैं. जिसमें अतिरिक्त IFF एरे लगाया गया है. 
- 360 डिग्री कवरेज वाले ESM सिस्टम के जरिए 3000 प्रकार के खतरों को डिटेक्ट करके उनका वर्गीकरण कर सकता है. इसमें कम्यूनिकेशन सपोर्ट मेजर सिस्टम है. रिकॉर्ड इंटरसेप्शन कम्यूनिकेशन से लैस है. 
- विमान के अंदर सेल्फ प्रोटेक्शन सुईट लगा है. जो किसी भी मिसाइल के आने पर खुद का बचाव कर सकती है. इसमें राडार वार्निंग रिसीवर और काउंटरमेजर डिस्पेंसर लगे हुए हैं. 
- विमान को हवा में ही रीफ्यूल करके लगातार ऑपरेशनल रखा जा सकता है. 

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अब जानते हैं इस विमान की खासियतों के बारे में... 

इस विमान को ब्राजील के एंबरेयर कंपनी बनाती है. अब तक कंपनी ने 1231 विमान बनाए हैं. इसकी तीन वैरिएंट्स हैं. जिनमें 37 से 50 लोगों के बैठने की क्षमता होती है. लेकिन जब इसे निगरानी के लिए बदला जाता है, तब इसमें लोगों के बैठने की क्षमता कम हो जाती है. ये विमान 86.5 फीट से लेकर 98 फीट तक लंबे होते हैं. 

विंगस्पैन तीनों वैरिएंट्स का 65.9 फीट ही है. 22.2 फीट ऊंचे विमान पर अधिकतम 4499 किलोग्राम से लेकर 5909 किलोग्राम वजन लोड कर सकते हैं. यह विमान अधिकतम 833 से 854 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. अधिकतम 37 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है. 

अगर इसके फ्यूल टैंक को पूरा भर दिया जाए तो तीनों वैरिएंट्स 3240 किलोमीटर से लेकर 3700 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकते हैं. भारतीय वायुसेना ERJ-145 वैरिएंट का इस्तेमाल करती है. जो सबसे बड़ा और ताकतवर है. इसके अलावा तीन ERJ-135 विमान का इस्तेमाल भारत सरकार VVIP मूवमेंट के लिए करती है. 

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