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वॉर जोन में चीन-PAK के लिए कैसे बड़ा चैलेंज साबित होगा भारत का नया सीक्रेट मिसाइल मिशन

LRAShM के सफल परीक्षण के बाद इतना पक्का है कि अगला स्टेप लॉन्ग ड्यूरेशन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल का होगा. DRDO इस नए हथियार के परीक्षण के साथ ही एक सीक्रेट प्रोजेक्ट को सामने लाएगा. भारत अगले इस साल अंत तक या फिर अगले साल अपने नए घातक हथियार का परीक्षण कर सकता है.

हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने की तैयारी में जुटा है डीआरडीओ. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी) हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने की तैयारी में जुटा है डीआरडीओ. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:52 AM IST

अभी भारत ने लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल (LRAShM) का परीक्षण किया. इसने हाइपरसोनिक गति हासिल की. रेंज भी 1500 किलोमीटर से ज्यादा है. इंटरनेट पर चर्चा शुरू हो गई है कि ये हाइपरसोनिक है या नहीं. कुछ लोग पक्ष में खड़े हैं. कुछ लोग इस मिसाइल के हाइपरसोनिक होने पर सवाल उठा रहे हैं. 

ये चर्चा उन विद्वानों के लिए है जो किसी मिसाइल को कई तकनीकी स्तर पर आंकते हैं. लेकिन आम आदमी के लिए मिसाइल का मतलब क्या होता है. उसकी रेंज, उसकी स्पीड और कितनी तबाही. असली मजा तो अगले साल आएगा जब भारत लॉन्ग ड्यूरेशन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल (Long Duration Hypersonic Cruise Missile - LDHCM) का परीक्षण करेगा. जिसे प्रोजेक्ट विष्णु (Project Vishnu) के तहत बनाया जा रहा है. 

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इस मिसाइल, प्रोजेक्ट या तकनीक के बारे में आधिकारिक तौर पर कहीं कुछ मौजूद नहीं है. लेकिन डिफेंस की बारीकियों, तकनीकों और आधुनिकता पर नजर रखने वाले ट्विटर हैंडल्स, वेबसाइट्स को खंगालेंगे तो भारत की इस सीक्रेट मिसाइल प्रोजेक्ट के बारे में आपको पता चलेगा. संभावना है कि LDHCM का पहला स्टेज LRAShM जैसा हो. 

क्या है प्रोजेक्ट विष्णु... जिसमें बन रही है खतरनाक मिसाइल

भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने के लिए प्रोजेक्ट विष्णु लेकर आई है. यह ऐसा प्रोजेक्ट है, जिस पर ज्यादा चर्चा नहीं होती. यह बेहद सीक्रेट है. मकसद है हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) को विकसित करना. इसका परीक्षण भी हो चुका है. 

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नए हाइपरसोनिक हथियार का परीक्षण भी हो चुका है

डीआरडीओ ने मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल टेस्ट साल 2020 में किया था. HSTDV की यह टेस्टिंग 20 सेकंड से भी कम समय की थी. इसमें 7500 km/hr की गति हासिल हुई थी. पिछले साल 27 जनवरी को ओडिशा तट के पास HSTDV का परीक्षण किया गया था. टेस्ट में क्या नतीजे आए थे, उसके बारे में किसी तरह का खुलासा नहीं किया गया था.  

पाकिस्तान-चीन की हालत हो जाएगी खराब

HSTDV ने जब 20 सेकेंड के लिए 7500 km/hr गति हासिल की थी, तभी पता चल गया था कि इससे हथियार से कुछ ही सेकेंड में पाकिस्तान और चीन के किसी भी इलाके में सटीक हमला किया जा सकता है. भविष्य में इसकी गति को घटाया या बढ़ाया जा सकता है. अगर इसमें पारंपरिक या परमाणु हथियार लगाकर दागते हैं, तो बर्बादी भयानक होगी. 

क्यों जरूरत पड़ी इस गति वाली हथियार की?

सवाल ये उठता है कि हाइपरसोनिक मिसाइल या विमान की जरूरत क्यों पड़ रही हैं. इसकी वजह है अमेरिका. अमेरिका पिछले कुछ सालों से लगातार हाइपरसोनिक मिसाइल और विमान बनाने में जुटा है. जबकि रूस उससे आगे निकल चुका है. रूस के पास कई हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं. चीन के पास भी इस तरह के हथियार मौजूद हैं. ऐसे में जरूरी है कि संतुलन और शांति बनाए रखने के लिए हाइपरसोनिक हथियार भारत के पास भी हो.  

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