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World War 3: कब होगा तीसरा विश्व युद्ध... ईरान-इजरायल नहीं, ये दो महादेश करेंगे इस जंग की शुरुआत

चर्चा है कि तीसरा विश्व युद्ध शुरू होने वाला है. पर ऐसा होगा क्या? दुनिया भर के रक्षा एक्सपर्ट्स का मानना है कि ईरान-इजरायल एक छोटी जंग है. असली विश्व युद्ध दुनिया की दो महाशक्तियों की भिड़ंत पर होगा. आइए जानते हैं कि ये दोनों शक्तियां कौन सी हैं, जो तीसरा विश्व युद्ध करा सकती हैं.

ईरान और इजरायल की जंग से तीसरा विश्व युद्ध नहीं शुरू होगा. (प्रतीकात्मक फोटोः पिक्साबे) ईरान और इजरायल की जंग से तीसरा विश्व युद्ध नहीं शुरू होगा. (प्रतीकात्मक फोटोः पिक्साबे)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST

Iran ने कल यानी 13 अप्रैल 2024 की रात Israel पर अचानक ड्रोन्स और मिसाइलों से हमला किया. आर्टिलरी फायरिंग भी की गई. इसके बाद सोशल मीडिया पर यह चर्चा चलने लगी कि वर्ल्ड वॉर 3 (World War 3) शुरू होने वाला है. क्या असल में ऐसा हो सकता है? आशंकाओं से भाग नहीं सकते लेकिन डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि तीसरा विश्व युद्ध दुनिया के दो ताकतवर देशों की जंग से शुरू होगी. 

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पिछले दो वर्षों में रूस-यूक्रेन, इजरायल-फिलिस्तीन, इजरायल-हिजबुल्लाह, चीन-ताइवान, अजरबैजान-आर्मेनिया में जंग हुई. रूस-यूक्रेन का युद्ध अब भी जारी है. इजरायल के खिलाफ जिहादी कैंपेन चलाया जा रहा है. वैश्विक व्यापार को रोकने के लिए लाल सागर, अदन की खाड़ी और अरब सागर में व्यापारिक और सामरिक जहाजों को मिसाइलों और ड्रोन से निशाना बनाया जा रहा है. सब एकदूसरे से जुड़े हुए हैं. 

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ये तय है कि तीसरा विश्व युद्ध होगा. लेकिन अब भी कई देश और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इसे रोकने का प्रयास कर रही हैं. साम, दाम, दंड, भेद और नीति हर तरह के पैतरें का इस्तेमाल करके जंग रोकने का प्रयास चल रहा है. फिर असल में ये जंग होगी किसके बीच... 

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तीसरा विश्व युद्ध अमेरिका और चीन की जंग से शुरू होगा...

पहले समझते हैं क्यों... क्योंकि चीन की पीपुल्स लिबरेशन ऑर्मी (PLA) और उसके बाकी सभी सैन्य टुकड़ियां और सेनाओं ने दक्षिण चीन सागर (South China Sea), पश्चिमी फिलिपीन सागर (West Philippine Sea) में कई जगहों और द्वीपों पर अपना कब्जा जमाना शुरू कर दिया है. 

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पारासेल आइलैंड में चीन ने 20 आउटपोस्ट बनाए हैं. वूडी और ट्रिटन आइलैंड पर नए पोजिशन बना रहा है. यहां पर चीनी सेना और कोस्टगार्ड के स्टेशन हैं. सुबी रीफ पर चीन ने कब्जा किया है, वहां पर आर्टिफिशियल मिलिट्री बेस बना रखा है. जिसमें 3000 फीट का छोटा रनवे भी है. यहां भी चीनी सेना और कोस्टगार्ड का स्टेशन है. 

व्हिटसन रीफ पर फ्लोटिंग आउटपोस्ट बना हुआ है. यानी तैरने वाला पोस्ट. यहां पर लगातार चीन की सेना आती-जाती रहती है. फिलहाल यहां कब्जा नहीं है. फिलिपींस की सीमा में मौजूद मिसचीफ रीफ पर चीन ने कब्जा जमा रखा है. यहां पर चीन की मिलिशिया फ्लीट रहती है. चीनी सेना का स्टेशन भी है. 

वियतनामी सीमा के अंदर आने वाले वैनगार्ड बैंक पर कई वियतनामी तेल और गैस कंपनियों के स्टेशन हैं. यहां पर अक्सर चीनी कोस्टगार्ड घुसपैठ करने का प्रयास करते हैं. मलेशिया के कब्जे वाले समुद्री इलाके में लूकोनिया शोल्स पर मलेशियन तेल कंपनियों के पांच आउटपोस्ट हैं. यहां पर चीनी कोस्टगार्ड घुसपैठ करने का प्रयास करते हैं. 

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फिलिपींस के समुद्री इलाके में आने वाले सेकंड थॉमस शोल पर चीन सियेरा माद्रे ब्लॉकेड बना रखा है. यहां पर चीनी नौसेना और कोस्टगार्ड के जहाज व्यावसायिक और नागरिक जहाजों को जानबूझकर रोकते हैं. वॉटर कैनन चलाते हैं. प्रताड़ित करते हैं. रीसप्लाई मिशन को रोकने का प्रयास करते हैं. 

फिलिपींस के ही सबिना शोल पर चीन के कोस्टगार्ड अक्सर फिलीपींस के नौसेना और कोस्टगार्ड के साथ झड़प करते दिखते हैं. इरोक्वाई रीफ पर चीन के कोस्टगार्ड की लगातार पेट्रोलिंग होती रहती है. यहां एक फ्लोटिंग यानी तैरने वाला आउटपोस्ट बना रखा है. थिटु आइलैंड पर आम नागरिक रहते हैं. यहां भी चीनी कोस्टगार्ड आते-जाते रहते हैं. स्कॉरबोरो शोल पर भी चीन लगातार मछुआरों को परेशान करता रहता है. 

क्यों शुरू होगी चीन और अमेरिका में जंग, जो बदल जाएगी विश्व युद्ध में...

जिस दिन चीन ताइवान पर पूरी तरह से हमला करेगा. तब इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा. अमेरिका ताइवान की मदद के लिए आएगा. उसके साथ नाटो देश आएंगे. तब चीन अपने मित्र देशों यानी उत्तर कोरिया, रूस, पाकिस्तान और अन्य इस्लामिक देशों के साथ मिलकर नाटो सेना से जंग लड़ेगा. 

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यूरोप और चीन में प्रॉक्सी वॉर (Proxy War) चल रहा है. ये जंग व्यापारिक और तकनीकी प्रतिबंधों के सहारे लड़ी जा रही है. अमेरिका भी इसमें यूरोपीय देशों की मदद कर रहा है. उधर चीन अपनी सेना को लगातार नए हथियार दे रहा है. उनके प्रशिक्षण करवा रहा है. मिसाइलों के ट्रायल कर रहा है. नए रणनीतिक ढांचे तैयार किए जा रहे हैं. 

चीन लगातार फाइनेंसियल मार्केट मूवमेंट कर रहा है. डेटा पॉलिसी में बदलाव ला रहा है. जानबूझकर ऑफशोर डॉलर बॉन्ड्स में डिफॉल्ट कर रहा है. अमेरिकी कॉन्सुलेट पर कॉर्पोरेट रेड्स डलवा रहा है. ऊर्जा, खाद्यान्न और सोने के सहारे युद्ध में मदद ले रहा है. इसलिए रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि तीसरा विश्व युद्ध अमेरिका और चीन के बीच शुरू हुई जंग के बाद होगा. 

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