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SypDer, Pechora... अभिनंदन को नहीं लौटाता तो तबाह हो जाता PAK, ये मिसाइलें 9 जगह से हमले के लिए थीं तैनात

पीएम नरेंद्र मोदी ने अभिनंदन वर्धमान की रिहाई को लेकर एक चुनावी रैली में कहा था कि अगर भारतीय फाइटर पायलट नहीं लौटते तो वो 'कत्ल की रात' होती. भारत ने संभवतः पाकिस्तान सीमा के नजदीक दो तरह की मिसाइलें तैनात कर दी थीं. हालांकि सरकार ने कभी इसका खुलासा नहीं किया, लेकिन इन दो घातक मिसाइलों की तैनाती की संभावना थी.

ये है भारतीय वायुसेना की Pechora SAM मिसाइल, जिसके तैनाती की जानकारी है. इसके साथ SpyDer मिसाइलें भी तैनात थीं. ये है भारतीय वायुसेना की Pechora SAM मिसाइल, जिसके तैनाती की जानकारी है. इसके साथ SpyDer मिसाइलें भी तैनात थीं.
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 09 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST

पूर्व उच्चायुक्त अजय बिरासिया कि किताब Anger Management: The Troubled Diplomatic Relationships Between India And Pakistan के खुलासे ने भारतीय वायुसेना के जांबाज फाइटर पायलट अभिनंदन वर्धमान से संबंधित कई जानकारियां दी हैं. कैसे भारत ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर किया. कैसे पीएम मोदी ने मध्यरात्रि में आए पाकिस्तानी पीएम इमरान खान के कॉल को नजरअंदाज किया. 

इस किताब में यह खुलासा भी किया था कि भारत ने 9 मिसाइलों को पाकिस्तान सीमा के पास तैनात कर दिया था. लेकिन सवाल ये उठता है कि ये मिसाइलें कौन सी थीं? भारत सरकार ने कभी इस बात का खुलासा तो नहीं किया. लेकिन ये जानकारी मिली है कि भारत ने दो घातक मिसाइलों को संभवतः तैनात किया था. आइए जानते हैं कि ये मिसाइलें कौन सी थीं... इनकी ताकत क्या है? 

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पहली मिसाइल है... SpyDer, स्पीड इतनी की राडार भी पकड़ न पाए

सीमा के आसपास इसे तैनात कर दिया तो दुश्मन का कोई भी हवाई हमला बेकार जाएगा. इसे ट्रक पर लगे लॉन्चर से दागते हैं. अन्य एयर डिफेंस सिस्टम की तुलना में ये हल्का, घातक और सटीक है. इस मिसाइल से आप एयरक्राफ्ट, फाइटर जेट, हेलिकॉप्टर, ड्रोन्स या प्रेसिशन गाइडेड मिसाइलों को निशाना बना सकते हैं. 

स्पाइडर के दो वैरिएंट्स हैं. एक स्पाइडर-एसआर (SR) यानी स्पाइडर शॉर्ट रेंज. दूसरा स्पाइडर-एमआर यानी मीडियम रेंज (MR). ये दोनों हर मौसम में काम करते हैं. एक सामान्य स्पाइडर बैटरी में एक सेंट्रल कमांड, एक कंट्रोल यूनिट, छह मिसाइल फायरिंग यूनिट और रीसप्लाई व्हीकल होता है. स्पाइडर में दो वजन की मिसाइलें हैं. 

दो तरह की होती हैं स्पाइडर मिसाइलें, वजन और रेंज का अंतर

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स्पाइडर पाइथन-5 का वजन 105 kg है. जबकि डर्बी का 118 kg है. पाइथन 10.2 फीट लंबी है. वहीं, डर्बी की 11.11 फीट है. दोनों का व्यास 6.3 इंच है. पाइथन 11 kg का और डर्बी 23 kg का वॉरहेड ले जा सकता है. दोनों ही मिसाइलों में विंग्स होते हैं. जिनका स्पैन 2.1 फीट होता है. पाइथन की रेंज 20 km है जबकि डर्बी की 50 km. पाइथन 30 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. वहीं, डर्बी 52 हजार फीट की ऊंचाई तक.   

टारगेट एक बार लॉक तो कब्र तक पहुंचा कर मानती हैं ये मिसाइल

इसकी गति सबसे खतरनाक है. यह मैक 4 यानी ध्वनि की गति से चार गुना ज्यादा रफ्तार से उड़ती है. ये मिसाइलें 4900 km/hr की स्पीड से टारगेट की ओर बढ़ती हैं. दोनों ही मिसाइलें टारगेट को लॉक करने के बाद दाग दीजिए. उसके बाद भूल जाइए. ये तब तक नहीं पीछा छोड़तीं, जब तक उसका खात्मा न कर दें. यानी दागो और भूल जाओ. 

पाइथन मिसाइल तो पीछे की तरफ घूमकर भी हमला कर सकती है. इसमें एड्वांस्ड इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इंफ्रारेड होमिंग सीकर लगा है. जो टारगेट के एरिया को स्कैन करके हमला करता है. वहीं, डर्बी में एक्टिव राडार होमिंग तकनीक लगी है. जो दागो और भूल जाओ टेक्नीक पर काम करती है. 

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दोनों ही मिसाइलें लॉक-ऑन-आफ्टर लॉन्च (LOAL) पर काम करती हैं. यानी एक बार टारगेट फिक्स हो गया, तो फिर उसका अंत तय है. पाइथन से 40 km के आसपास की हवाई सुरक्षा मिलती है. जबकि, स्पाइडर एमआर और एलआर (Long Range) से 80 km तक. ये दोनों ही मिसाइलें 360 डिग्री में घूमकर फायरिंग कर सकती हैं. 26 फरवरी 2019 को बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी सेना के एक ड्रोन को स्पाइडर सिस्टम से हमला करके गिराया गया था. 

दूसरी है... Pechora, शक्ल देख कर ही दुश्मन की हालत पस्त हो जाती है

ये एक शानदार शॉर्ट रेंज का सरफेस टू एयर मिसाइल है. यानी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल. नाम है पेचोरा (Pechora). इसकी तो शक्ल देखकर ही दुश्मन की हालत खराब हो जाए. भारत के पास इसके 30 स्क्वॉड्रन्स हैं. जो अलग-अलग सीमाओं पर तैनात हैं. दुनिया में 9 से ज्यादा युद्धों में इसका उपयोग हो चुका है. 

पेचोरा के 12 वैरिएंट्स हैं, जिनका इस्तेमाल दुनियाभर के 31 देश कर रहे हैं. इसमें लगी मिसाइल 953 kg वजनी होती है. लंबाई 6.09 मीटर है. व्यास 375 मिलीमीटर. इसकी नाक पर 60 Kg का फ्रैगमेंटेड हाई एक्सप्लोसिव हथियार लगाया जाता है. जो टारगेट को विस्फोट के साथ बुरी तरह से ध्वस्त कर देता है. इसमें सॉलिड प्रोपेलेंट रॉकेट मोटर लगा होता है जो इसे तेजी से टारगेट की ओर लेकर जाती है. इसके ऑपरेशनल रेंज 3.5 से 35 km है. 

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गति और कम ऊंचाई पर उड़ने की ताकत इसे बनाती है खतरनाक

पेचोरा (Pechora) मिसाइल अधिकतम 59 हजार फीट की ऊंचाई तक जाती है. इसकी स्पीड इतनी घातक है कि इससे बचना नामुमकिन है. यह 3704 से 4322 km/hr की गति से उड़ती है. पेचोरा मिसाइल की सबसे खास बात है कम ऊंचाई पर उड़ते हुए टारगेट को खत्म करने की ताकत. ये किसी भागते दौड़ते टारगेट को भी ध्वस्त कर सकती है. 

मिसाइल थोड़ा पुराने टेक्नीक पर काम करती है, यानी रेडियो कमांड गाइडेंस सिस्टम पर. कोई भी अत्याधुनिक विमान सबकुछ बंद कर सकता है लेकिन वह अपना रेडियो बंद नहीं कर सकता. अगर दुश्मन का विमान, हेलिकॉप्टर रेडियो बंद नहीं कर पाएगा तो यह मिसाइल उसे ध्वस्त कर देगी. यहां तक कि छोटे-मोटे ड्रोन्स का भी खात्मा कर देती है.

हर मिसाइल यूनिट के साथ राडार सिस्टम लगा होता है जो एक कमांड बिल्डिंग या फिर ट्रक में लगाया जाता है. मिसाइल के तीन तरह के रडार होते हैं. पहले ऐसा रडार जो 32 km की रेंज में आने वाले दुश्मन की जानकारी देता है. दूसरा 80 km और तीसरा 250 km तक. इसी रडार की जानकारी पर पेचोरा मिसाइल काम करती है.   

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