
ईरान ने इजरायल पर ड्रोन्स और सभी तरह की मिसाइलों से हमला किया. सबको लगता है कि ये सीरिया की राजधानी दमिश्क में दूतावास पर इजरायली हमले का बदला है. जबकि, ऐसा है नहीं. ये लड़ाई सिर्फ इस बात की थी कि तुमने मारा तो मैं भी मारूंगा. तुमने ताकत दिखाई, इसलिए मैं भी शक्ति प्रदर्शन करूंगा.
बीबीसी में छपी खबर के मुताबिक इजरायल ने कभी यह नहीं कहा कि उसने दमिश्क के दूतावास पर हमला किया. यह सिर्फ माना जाता है. यह पहली बार था जब ईरान ने सीधे इजरायल पर हमला किया. इससे पहले दोनों देश लंबे समय से शैडो वॉर (Shadow War) कर रहे हैं. हमला करते थे लेकिन उसे मानते नहीं थे.
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स्पुतनिक मीडिया की माने तो ईरान ने यह हमला इसलिए किया ताकि वह इजरायल को यह बता सके कि तुम्हारे पास अमेरिका का सबसे शानदार और जटिल एक्स-बैंड राडार है. ताकि तुम्हें यह पता चल सके कि हमने कब तुम्हारी तरफ मिसाइल दागी. पूरी दुनिया तुम्हारे साथ खड़ी है. तुम्हें बचा रही है. लेकिन तुम हमारी मिसाइलें रोक नहीं पाए. हमारी मिसाइलों ने तुम्हारे महत्वपूर्ण बेस को हिट किया. यही भविष्य में होगा अगर तुमने हम पर फिर से हमला किया तो.
ईरान दिखाना चाहता था अपनी ताकत
संयुक्त राष्ट्र के वेपन इंस्पेक्टर स्कॉट रिटर ने कहा कि इजरायल के नेगेव रेगिस्तान में मौजूद रैमोन मिलिट्री एयरबेस पर कई हाइपरसोनिक मिसाइलों ने हिट किया. ईरान ने इसलिए हमला किया ताकि वह पूरी दुनिया में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को शर्मिंदा महसूस करा सकें. तेहरान की ताकत को प्रदर्शित कर सकें.
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ड्रोन्स और मिसाइलों के पीछे था छलावा
रिटर ने कहा कि इजरायल ने जिन मिसाइलों और ड्रोन्स को मार कर गिराया है, उनकी डिजाइन इसी तरह की थी कि उन्हें मार कर गिराया जा सके. ईरान ने स्पष्ट तौर पर दिखा दिया है कि वह चाहता था कि इजरायल उसके हथियारों को मार कर गिराए और अच्छा महसूस करे.
जिस मिसाइल को हिट करना था, उसने किया
अंत में जो ईरान चाहता था वो हुआ. ईरान की हाइपरसोनिक मिसाइलों ने बेस पर हिट किया. जिसे इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम रोक नहीं पाया. ईरान ने बता दिया कि वह चाहे तो इजरायल और पूरी दुनिया को यह दिखा सकता है कि उसकी ताकत कितनी है. वह जो चाहे वह कर सकता है. उसे कोई रोक नहीं पाएगा.
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कभी इजरायल-ईरान दोस्त हुआ करते थे, आज दुश्मन
1979 में ईरान में इस्लामिक रेवोल्यूशन तक इजरायल और ईरान मित्र देश थे. लेकिन इसके बाद ईरान की सरकार ने इजरायल का विरोध किया. ईरान मानता था कि इजरायल जैसे देश को होना ही नहीं चाहिए. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खमैनी ने पहले भी इजरायल को कैंसर का ट्यूमर कहा है. ये भी कहा कि इस देश को जड़ से खत्म कर देना चाहिए. पूरी तरह से बर्बाद कर देना चाहिए.
इजरायल को लगता है कि ईरान के पास कई विध्वंसक हथियार हैं. वो फिलिस्तीनी आतंकी समूह हमास को फंडिंग करता है. हथियार, ड्रोन्स और मिसाइल देता है. इसके अलावा लेबनानी शिया आतंकी समूह हिजबुल्लाह को समर्थन, पैसा और हथियार देता है. ईरान के पास परमाणु हथियार हैं. लेकिन ईरान ये नहीं मानता.
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दमिश्क पर हुए हमले के तुरंत बाद ईरान चाहता था हमला
सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हुए हमले के तुरंत बाद इजरायल पर हमला करना चाहता था. दूतावास में ईरान के सीनियर सैन्य कमांडर्स की मौत हुई थी. ईरान ने इजरायल पर आरोप लगाया कि उसने ये हमला किया. इजरायल ने कभी यह नहीं माना कि उसने ये हमला किया है.
दूतावास में 13 लोग मारे गए थे. जिसमें ईरानी ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा जाहेदी भी शामिल ते. जाहेदी हिजबुल्लाह आतंकी समूह में काफी ज्यादा पहचाना हुआ नाम था. इसके बाद ईरान पर जितने भी एयर स्ट्राइक हुए, हर हमले का जिम्मेदार इजरायल को माना गया. इसके बाद इस हमले की तैयारी शुरू की गई.
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क्या ईरान और इजरायल के पास परमाणु हथियार हैं?
कहते हैं कि ईरान के पास उसके खुद के परमाणु हथियार है. लेकिन कभी भी इसे लेकर ईरान ने कोई खुलासा नहीं किया. इसलिए यह माना जाता है कि उसके पास एटॉमिक हथियार नहीं है. लेकिन वह किसी भी समय परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की मदद से किसी भी समय परमाणु हथियार संपन्न देश बन सकता है.
पिछले साल ग्लोबल न्यूक्लियर वॉचडॉग ने ईरान में 87 फीसदी शुद्धता वाले यूरेनियम के कण मिले थे. ये हथियार बनाने लायक यूरेनियम था. इससे पहले ईरान ने 2015 में ही घोषणा की थी कि उसके पास 60 फीसदी शुद्धता वाला यूरेनियम है. इसके बाद 2018 में ईरान पर कुछ प्रतिबंध लगाए गए थे.