मौत के इस अनुष्ठान में उस रोज़ हर किसी ने हिस्सा लिया. बच्चे बड़े सब. और तो और अनुष्ठान के लिए तमाम साजो-सामान भी घरवाले खुद ही उठाकर लाए. घरवालों को यकीन था कि इस सातवें और आख़िरी रोज़ के अनुष्ठान के बाद उनकी ज़िंदगी बदल जाएगी. वो और ताक़तवर होकर उभरेंगे, लेकिन जो हुआ. उसने पूरे देश के सन्न कर दिया.