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बेटों से ज्यादा पढ़े-ल‍िखे हैं लालू यादव, पॉलिट‍िक्स में आने से पहले करते थे ये काम

aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 11 जून 2021,
  • अपडेटेड 10:43 PM IST
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11 जून 1948 को गोपालगंज बिहार में जन्मे लालू यादव ने बिहार की राजनीति में एक बड़ा मुकाम हासिल किया है. आज 74 साल की उम्र भी उनका संघर्ष खत्म नहीं हुआ है. लालू ने अपनी जिंदगीं में जीरो से हीरो और फिर फिर हीरो से जीरो जैसे मौके देखे हैं. उनके दो बेटे बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं, बेटी मीसा भारती राज्यसभा की सांसद हैं. जब भी इत‍िहास लिखा जाएगा उसमें ये साफ दर्ज होगा कि लालू यादव ज‍ितनी श‍िक्षा और राजनीतिक पहचान उनके बेटों को हासिल नहीं हुई. आइए जानते हैं लालू यादव की एजुकेशन और उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ खास पहलू...

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लालू प्रसाद के शुरुआती सफर को देखें तो ऐसा पाएंगे कि शायद राजनीति ही उनका पहला और आख‍िरी मुकाम था. अपनी उच्च श‍िक्षा की पढ़ाई के दौरान ही 1970 में जब वो 22 वर्ष के थे तब ही उन्होंने राजनीति में प्रवेश कर लिया था. छात्र राजनीति के जरिये राजनीति में एंट्री लेने वाले लालू यादव के बारे में उस वक्त भला कौन जानता था कि वो आने वाले समय में बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा नाम साब‍ित होगा. 

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लालू प्रसाद यादव ने अपनी स्कूली पढ़ाई गोपालगंज से की है. इसके बाद उन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई पटना के बी एन कॉलेज से की. लालू प्रसाद यादव ने पटना यूनिवर्सिटी के बीएन कॉलेज से बीए पास किया है, इसके बाद पटना यूनिवर्सिटी के लॉ कॉलेज से उन्होंने एलएलबी की डिग्री ली है. लालू यादव ने ग्रेजुएशन के दौरान ही छात्र संघ के महासचिव पद हासिल कर लिया था, तब से ही उनके वक्तव्यों से उनकी ख्याति की शुरुआत होने लगी थी. 

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अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद लालू यादव ने अपनी सबसे पहली नौकरी बिहार के पशु चिकित्सा कॉलेज में एक क्लर्क के रूप में शुरू की थी. लेकिन ये उन्हें रास नहीं आई क्योंकि शायद राजनीति ही उनकी मंजिल थी, इसके बाद वो सक्र‍िय राजनीति में आए और जेपी आंदोलन का चेहरा बने. फिर साल 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने.  

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लालू प्रसाद यादव ने राजनीति की शुरूआत जयप्रकाश नारायण के जेपी आन्दोलन से की थी, तब वो एक छात्र नेता थे. उस समय के राजनेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के वो काफी करीबी रहे थे. 1977 में आपातकाल के पश्चात् हुए लोक सभा चुनाव में लालू यादव जीते और पहली बार 29 साल की उम्र में लोकसभा पहुंचे. फिर 1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे.

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इस दौरान लालू अपनी सियासत से ज्यादा अपने हावभाव और बातचीत के लहजे को लेकर चर्चित हुए. वे अकेले ऐसे राजनेता हैं जिनकी सबसे ज्यादा मिमिक्री की गई. शब्दों के उच्चारण और अपनी अंग्रेजी को लेकर लालू मजाक का पात्र भी बनाते रहे, लेकिन उन्होंने कभी इसे बुरा नहीं माना. राजनीतिक उठापटक के दौरान अपने सख्त फैसलों और कई बार लालू यादव अपने हास्यबोध के कारण मीडिया में भी खूब सुर्ख‍ियां बटोर लेते थे. 

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1 जून 1973 को लालू यादव की शादी पारंपर‍िक रीति रिवाज से राबड़ी देवी से हुई. दंपत‍ि उसके बाद नौ बच्चों, दो बेटे और सात बेटियों के माता पिता बने. उनकी सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती का जन्म उस साल हुआ जब देश में एमरजेंसी के हालात थे. मीसा नाम आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम के नाम पर था. ये अधिनियम आपातकाल के दौरान बहुत कुख्यात था और इंदिरा विरोधी नेता इसी के तहत जेल में रहे थे.

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लालू यादव के साथ उनकी राजनीतिक व‍िरासत संभालने की उम्मीद उनके बेटों से थी. उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव बिहार राज्य सरकार में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भी बने. वहीं छोटे बेटे तेजस्वी यादव क्रिकेट का फील्ड छोड़कर बिहार की राजनीति में आए और उपमुख्यमंत्री के पद तक पहुंचे थे लेकिन फिर भी उनके बेटे लालू यादव के बराबर राजनीति में कद नहीं बना सके. पढ़ाई-ल‍िखाई में भी लालू यादव के बेटे अपने पिता के बराबर नहीं पहुंच सके.

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