इंसान ठान ले तो क्या नहीं कर सकता. अगर कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी मुश्किल रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती. ऐसी ही कहानी है महाराष्ट्र के पुणे में 28 साल के रेवन शिंदे की. रेवन ने लॉकडाउन के दौरान अपनी मेहनत और दिमाग से वो कर दिखाया जो तमाम नौजवानों के लिए मिसाल हो सकता है. 2019 के आखिर तक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने वाले रेवन ने अब चाय बेचने के स्टार्ट अप के जरिए अपना टर्नओवर लाखों में पहुंचा दिया है. (पंकज खेलकर की रिपोर्ट)
मूल रूप से सोलापुर के रहने वाले रेवन के घर में माता-पिता और तीन भाई हैं. साधारण परिवार से आने वाले रेवन का एक भाई सेल्समैन, दूसरा डिलीवरी बॉय है. तीसरा सबसे छोटा रेवन को उसके काम में मदद करता है. चारों भाइयों में दूसरे नंबर के रेवन ने 12वीं तक पढ़ाई की और 2010 में नौकरी ढूंढने के लिए पुणे आ गया.
पिंपरी-चिंचवाड़ इलाके में पद्मजी पेपर मिल्स में हेल्पर के तौर पर रेवन ने नौकरी की शुरुआत की. इसके बाद उसने कई और छोटी-मोटी नौकरियां भी कीं. दिसंबर 2019 में वो सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के साथ एक कॉफी शॉप में पार्ट टाइम जॉब भी कर रहा था और महीने के 13,000 रुपए कमा रहा था. इसमें से कुछ पैसे वो माता-पिता को भेजता था.
रेवन को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. रेवन के साथ इस कंपनी में काम करने वाले उसके दो सहयोगियों दशरथ जाधव और शांताराम को भी नौकरी जाने से झटका लगा. फिर तीनों ने मिलकर अपना ही कोई काम करने की ठानी. उन्होंने मिलकर लंच एंड डिनर टिफिन बॉक्स सर्विस शुरू की. इसके लिए उन्होंने घरवालों और करीबियों से चार लाख रुपए उधार भी लिए.
ये काम कुछ चलना शुरू होता कि मार्च में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन शुरू हो गया और रेवन और उसके सहयोगियों के लिए ये और भी बड़ा झटका था. उन्हें औरों से लिए उधार की भी चिंता हो गई. दशरथ जाधव तो निराश होकर लातूर अपने गांव लौट गया.
लेकिन रेवन और शांताराम ने हिम्मत नहीं हारी. दोनों ने बाइक पर पिंपरी-चिंचवाड़ में घूम कर ढूंढना शुरू किया कि क्या किया जा सकता है. वो ऑफिसों में जाकर पूछते थे कि उन्हें किसी चीज की जरूरत है तो वो ला कर दे सकते हैं. वो हेल्पर और क्लीनिंग स्टाफ के तौर पर भी काम करने को तैयार थे. लेकिन कोई भी ऑफिस नए लोगों को काम पर लगा कर भीड़ बढ़ाने को तैयार नहीं था.
सभी ऑफिसों में घूमते हुए रेवन ने एक बात नोटिस की. वो ये थी ऑफिसों में काम करने वालों को चाय की बहुत जरूरत महसूस हो रही थी और इसे उन्हें पहुंचाने वाला कोई नहीं था. उन्हें चाय पीने के लिए बहुत दूर तक जाना पड़ रहा था. लॉक़डाउन की पाबंदियां और कोरोना वायरस के डर की वजह से लोग बाहर निकलने में भी कतरा रहे थे. रेवन ने तब महसूस किया कि क्यों न चाय की डिलीवरी शुरू की जाए. तब तक ऑनलाइन ऑर्डर भी शुरू हो गए थे. रेवन ने फिर ‘चालता बोलता चाय’ नाम से अपना स्टार्ट अप शुरू करने का फैसला किया.
जुलाई 2020 से रेवन के स्टार्टअप ने तेजी पकड़ना शूरू किया. शुरुआत में रेवन को 5 से 7 ऑफिस से चाय के ओर्डर मिल रहे थे. रेवन ने अपनी अदरक की चाय (जिंजर टी) को सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म्स पर प्रमोट करना शुरू किया. क्वालिटी और कस्टमर्स तक चाय बहुत गर्म पहुंचने का खास ध्यान रखा. कुछ ही महीनों में रेवन का स्टार्ट अप इतना चमका कि आज उसकी 70 कॉर्पोरेट ऑफिसों में सुबह शाम चाय सप्लाई हो रही है. महीने में रेवन को अब सवा दो लाख रुपए से ज्यादा का कारोबार इन ऑफिसों से ही मिल रहा है. यानि साल का टर्न ओवर करीब 25 लाख रुपए बैठता है.
रेवन ने पिंपरी-चिंचवाड़ के अजमेरा वाघेरा एंपायर में 300 वर्ग फीट का एक दफ्तर लिया है जिसका किराया 22,000 रुपए महीना है. रेवन अपनी किस्मत अपने हाथों से मिलने के बाद अब दूसरों को रोजगार भी दे रहा है. उसके साथ दो ऐसे युवक जुड़े हैं जो कॉलेज में पढ़ाई के साथ यहां नौकरी भी कर रहे हैं.
रेवन का टारगेट है कि वो जल्दी ही 5 लाख कस्टमर्स तक अपनी पहुंच बनाए. इसके लिए वो अपने काम में ऐसे स्टूडेंट्स को साथ जोड़ना चाहता है जो पढ़ाई के साथ साथ अपना खर्च भी खुद निकालना चाहते हैं. रेवन का इरादा अपने काम को देश के अन्य शहरों में भी फैलाने का है. उसकी ख्वाहिश अपने कारोबार के लाखों के टर्नओवर को ब्रांचेज के जरिए करोड़ों तक ले जाने की है.