उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने PCS-2018 का परिणाम जारी कर दिया है. इस परीक्षा में तान्या सिंह ने 30वीं रैंक हासिल की है. तान्या एक ऐसी जगह से आती हैं, जहां शिक्षा को लेकर जागरूकता की कमी देखने को मिलती है. ऐसे में उन्होंने UPPCS की कठिन परीक्षा में सफलता हासिल की है. आइए जानते हैं उनके बारे में.
तान्या सिंह उत्तर प्रदेश की एटा डिस्ट्रिक्ट के जलेसर की रहने वाली हैं. उन्होंने aajtak.in से खास बातचीत में बताया, 'मैं ऐसी जगह से आती हूं, जहां आज भी शिक्षा को लेकर जागरूकता की कमी है, यहां आज भी पढ़ाई-लिखाई को महत्व नहीं दिया जाता है. ऐसे माहौल में UPPCS परीक्षा को पास करना बड़ी उपलब्धि है. मेरी चारों ओर काफी चर्चा हो रही है. क्योंकि मैं पहली लड़की हूं जिसने जलेसर से PCS की परीक्षा पास की है. आज लोगों के रिएक्शन देखकर मैं काफी खुश हूं.
तान्या ने बताया, उनकी स्कूलिंग जवाहर नवोदया विद्यालय से हुई है. इसके बाद बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से बीएससी कंप्यूटर साइंस ऑनर्स में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिक की. वह बताती हैं कि जब मेरी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी हुई, उसके बाद मैंने प्लान बनाया था कि मैं यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी करूंगी.
तान्या ने कहा, मैं जिस जगह से आती है वहां पर शिक्षा को इतनी तवज्जो नहीं दी जाती है. ऐसे में मैंने वहां के लोगों की सोच में बदलाव लाने के लिए यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. इसके बाद मैं दिल्ली आ गई. दिल्ली आकर मैंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में एमए फिलॉसफी कोर्स में दाखिला लिया.
तान्या ने बताया, मेरा घर इतना बड़ा नहीं था कि मैं घर पर रहकर किसी भी परीक्षा की तैयारी कर सकूं और न ही मेरे घर का माहौल पढ़ाई वाला था. इसलिए मैंने जेएनयू में एमए फिलॉसफी कोर्स में दाखिला ले लिया. क्योंकि मैंने सोचा था यूपीएससी में फिलॉसफी को अपना ऑप्शनल सब्जेक्ट रखूंगी. इसी के साथ मैं पीएचडी भी कर रही हूं, अभी पीएचडी का मेरा एक साल हो गया है.
तान्या ने कहा, मेरी ग्रेजुएशन 2016 में हुई थी और मैं यूपीएससी की तैयारी कर ही रही थी, इस दौरान मैंने PCS-2018 की परीक्षा दे दी. जिसे मैंने क्लियर कर लिया है. लेकिन अभी भी मैं यूपीएससी की तैयारी कर रही हूं. 4 अक्टूबर को मेरी प्रीलिम्स की परीक्षा है और उम्मीद है कि वहां भी अच्छा कर पाऊंगी.
तान्या ने बताया, 'मैं मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हूं. मेरे पिता रविंद्र सिंह किसान हैं और मेरी मां नीरज यादव असिस्टेंट टीचर हैं. मेरे तीन छोटे भाई हैं और घर की मैं ही सबसे बड़ी बेटी हूं. मेरा परिवार पूरी तरह से गांव से जुड़ा हुआ है. जिस माहौल से मैं आती हूं वहां लड़कियों का घर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है, लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझे काफी सपोर्ट किया. इसलिए अपनी सफलता का श्रेय उन्हें देना चाहती हूं क्योंकि चुनौतियों के बीच उन्होंने मुझे आगे बढ़ने का मौका दिया. मुझे अभी भविष्य में काफी कुछ करना है. मेरा सपना IAS बनने का है.