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Bihar Niyojit Shikshak: लंबे इंतजार और लड़ाई के बाद बिहार के करीब पौने 4 लाख नियोजित शिक्षकों की जीत हुई है. बिहार सरकार ने नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने का फैसला किया है. 26 दिसंबर को हुई नीतीश कुमार की बैठक में ये अहम फैसला लिया गया है. इस बैठक में बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2023 को मंजूरी मिली है. इसके आधार पर बिहार में नियोजित शिक्षकों को विशिष्ट शिक्षक या आसान शब्दों में परमानेंट टीचर का दर्जा मिलेगा. नियोजित शिक्षकों के लिए किसी बड़ी जीत से कम नहीं है लेकिन उनकी अड़चने अभी खत्म नहीं हुई हैं, बल्कि उनकी राह और मुश्किल भी हो सकती है.
कौन हैं नियोजित शिक्षक, जिन्हें स्पेशल टीचर का दर्जा देगी बिहार सरकार?
पंचायती राज, नगर निकाय संस्थान के वो कर्मी जो प्राइमरी स्कूलों में पढ़ा तो रहे हैं लेकिन उनकी सेवा नियमावली राज्य सरकार के कर्मी से अलग है. ग्रामीण स्तर शिक्षकों की कमी झेल रही सरकार ने साल 2003 में 10वीं और 12वीं पास बेरोजगारों को शिक्षा मित्र के रूप में रखा था. साल 2006 में इन्हें नियोजित शिक्षक के तौर पर मान्यता दे दी गई.
सैलरी कम-काम बराबर
शिक्षा मित्र और परमानेंट शिक्षकों का काम लगभग बराबर ही था लेकिन इनकी सैलरी में काफी अंतर रहा. शिक्षा मित्रों ने कॉन्ट्रैक्ट पर 1500 रुपये की तनख्वाह पर स्कूलों में पढ़ाना शुरू किया था. हालांकि समय-समय पर कॉन्ट्रैक्ट बढ़ा तो सैलरी भी बढ़ी. शिक्षा मित्र से नियोजित शिक्षक बने लेकिन सिर पर नौकरी जाने की तलवार हमेशा लटकी रही. वर्ममान में नियोजित शिक्षकों में प्राइमरी टीचरों को 22 से 25 हजार रुपये प्रतिमाह मिलते हैं, वहीं माध्यमिक शिक्षकों को 22 से 28 हजार रुपये महीना मिलते हैं, जबकि उच्च माध्यमिक शिक्षकों को 22 से 31 हजार रुपये और प्लस टू शिक्षकों को 32 हजार रुपये महीना मिलते हैं.
कैसे मिलेगा स्पेशल टीचर का दर्जा?
सभी नियोजित शिक्षक राज्यकर्मी तब कहलाएंगे जब वह बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित सक्षमता परीक्षा को पास कर लेंगे. ऐसे पौने 4 लाख शिक्षक यह परीक्षा देंगे. रिजल्ट आने पर इसमें उत्तीर्ण होने वाले सभी शिक्षकों विशिष्ट शिक्षक का दर्जा दे दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि जल्द ही शिक्षा विभाग की ओर से सक्षमता परीक्षा आयोजित की जाएगी. उसके बाद नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दे दिया जाएगा.
इन शिक्षकों को परीक्षा देने की जरूरत नहीं?
कैबिनेट में 29 और एजेंडा पर मुहर लगाई गई है. शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक को खाली पदों पर दो महीने के भीतर भर्ती करने का निर्देश दिया था और कहा थी कि राज्य के सभी नियोजित शिक्षकों को सरकारी कर देंगे. दूसरी तरफ जिन नियोजित शिक्षकों ने बीपीएससी परीक्षा पास कर ली है, उन्हें परीक्षा देने की जरूरत नहीं होगी.
परीक्षा में फेल हुए थे तो नियोजित शिक्षकों का क्या होगा?
विशिष्ट शिक्षक नियमावली के तहत इसके बाद भी जो स्थानीय निकाय शिक्षक जो नियम-4 के तहत सक्षमता परीक्षा में शामिल या उत्तीर्ण नहीं होते हैं, वह 'स्थानीय निकाय" शिक्षक के रूप में बने रहेंगे.
स्पेशल टीचर्स को क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी?
सक्षमता परीक्षा पास करने वाले नियोजित शिक्षकों को सहायक शिक्षक कहा जाएगा. उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा लेकिन वेतन में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. हालांकि विशिष्ट शिक्षक की श्रेणी में सरकार की तरफ से प्रमोशन दिया जाएगा. कक्षा 1 से लेकर 11वीं और 12वीं वाले विशिष्ट टीचर्स को 8 साल में प्रमोशन दिया जाएगा. 17 से 18 वर्षों से कार्यरत शिक्षकों को वरीयता का भी लाभ मिल सकता है. हालांकि प्रमोशन के दौरान आपका काम और योग्यता भी देखी जाएगी. इसके अलावा परीक्षा में पास होने वाले नियोजित शिक्षक अपने मनपसंद जिले के तीन ऑप्शन सरकार को बता सकते हैं, इसमें से सरकार द्वारा शिक्षकों के लिए एक जिला चुना जाएगा.
समान वेतन की सबसे बड़ी अड़चन
नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा तो दिया जाएगा लेकिन अभी समान वेतन मिलना मुश्किल है. साल 2018 में समान काम-समान वेतन वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो गई थी. सरकार इसपर इसलिए आगे नहीं बढ़ पाई क्योंकि राज्य के पौने चार लाख नियोजित शिक्षकों का वेतन 35 से 40 हजार हो जाता और सरकार ये अतिरिक्ति खर्च नहीं उठा सकती थी. केंद्र सरकार की ओर से एटार्नी जनरल वेणु गोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि समान वेतन देने से 1.36 लाख करोड़ का अतिरिक्त खर्च केंद्र सरकार के लिए उठाना संभव नहीं है. राज्य सरकार के वकीन ने भी इसे माना था. अब बिहार सरकार के ताजा फैसले से नियोजित शिक्षकों के सिर से नौकरी जाने की तलवार तो हट गई लेकिन समान वेतन के लिए अभी और इंतजार करना होगा.