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अगर नहीं हुई JEE-NEET परीक्षाएं, पेरेंट्स को हो सकता है ये बड़ा नुकसान

छात्र NEET और JEE की परीक्षा स्थगित करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) परीक्षा स्थगित करना नहीं चाहती है. वहीं करियर काउंसलर का कहना है, यदि परीक्षा आयोजित नहीं होती है तो इसका बड़ा नुकसान पेरेंट्स को हो सकता है. जानें- क्या है वो नुकसान

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 2:18 PM IST

भले ही सुप्रीम कोर्ट ने NEET और JEE की परीक्षा को लेकर हरी झंडी दे दी हो, लेकिन अभी भी छात्र मांग कर रहे हैं कि परीक्षा को स्थगित किया जाए. छात्रों का कहना है कि कोरोना संकट और बाढ़ के बीच परीक्षा नहीं होनी चाहिए. इसे कुछ समय के लिए टाल दिया जाए.

छात्रों का कहना है कि जहां कोरोना संकट में परीक्षा होने से संक्रमण बढ़ने का खतरा है वहीं बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के छात्रों के लिए बिना किसी पर्याप्त साधन के परीक्षा केंद्र पर पहुंचना संभव नहीं है. बता दें, अब इस विषय पर विपक्षी पार्टी के नेता भी सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि परीक्षा को लेकर छात्रों की बात सुनी जाए.

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आपको बता दें, बहस छिड़ी हुई है कि कोरोना और बाढ़ संकट में परीक्षा का आयोजन होना चाहिए या नहीं. 'आजतक'  से करियर काउंसलर जुबिन मल्होत्रा ने खास बातचीत करते हुए बताया कि क्यों JEE-NEET की परीक्षा का आयोजन करना अनिवार्य है.

करियर काउंसलर जुबिन मल्होत्रा ने बताया,  इंजीनियरिंग और मेडिकल यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के लिए JEE और NEET  परीक्षा से गुजरना पड़ता है. भारत में बिना इस परीक्षा के कोई दूसरा विकल्प नहीं है. ऐसे में छात्रों को परीक्षा देना अनिवार्य है.

उन्होंने कहा, 'कोरोना संकट के कारण पहले ही परीक्षा को कई बार टाला गया है, लेकिन अब परीक्षा को टालना सही नहीं होगा. यदि परीक्षा का आयोजन नहीं किया जाता है तो इससे बच्चे का साल बिगड़ेगा और उसका करियर प्रभावित होगा. एक साल की कीमत क्या होती है वह एक छात्र ही समझ सकता.' 

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JEE-NEET परीक्षा में बैठने के लिए उम्र की योग्यता भी होती है, अगर किसी छात्र की उम्र इस साल निकल गई तो मेडिकल या इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेने का उसका सपना पूरा नहीं हो पाएगा.

कोचिंग में पेरेंट्स लगाते हैं पैसा, हो सकता है बर्बाद

जुबिन ने कहा कि इस साल अगर परीक्षा नहीं होती है, तो इससे सिर्फ छात्रों को ही नुकसान नहीं होगा, बल्कि परिवार को आर्थिक चोट भी पहुंचेगी, जो पेरेंट्स 11वीं-12वीं के समय से ही इन परीक्षाओं की तैयारी के लिए बच्चे को कोचिंग सेंटर भेजना शुरू कर देते हैं, उनका पैसा परीक्षा न होने के कारण बर्बाद हो सकता है.

उन्होंने कहा कि यदि बच्चे का दाखिला इस साल नहीं होता है तो माता-पिता का पैसा पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा. इस विषय पर भी सोचने की जरूरत है. कोरोना संकट में कई लोगों की नौकरियां गई हैं. आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है. वहीं पेरेंट्स बड़ी परेशानी के साथ अपने बच्चे की कोचिंग फीस भरते हैं.

बता दें, ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (JEE) की परीक्षा 1 से 6 सितंबर तक आयोजित होगी, जबकि नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (NEET)  की परीक्षा 13 सितंबर को होगी.

 

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