
JEE-NEET परीक्षा आयोजित करने के केंद्र सरकार के फैसले से हर कोई चिंतित है. कोरोना वायरस के समय में JEE-NEET परीक्षा आयोजित करने को लेकर छात्रों के बीच चिंताएं हैं. सितंबर में होने जा रही इन परीक्षाओं को लेकर छात्र लगातार स्थगित करने की मांग रहे हैं. उनका कहना है देश में कोरोना के केस बढ़ रहे हैं, ऐसे में परीक्षा का आयोजन नहीं किया जाना चाहिए. ये छात्रों की सेहत के साथ खिलवाड़ करना होगा.
JEE- NEET सबसे अधिक प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक है. जो 25 लाख छात्रों के भाग्य का फैसला करेगा. अधिकांश छात्र अब परीक्षा रद्द करने या स्थगित करने की मांग कर रहे हैं.
JEE-NEET परीक्षा केंद्र सरकार और अन्य दलों के बीच एक मुद्दा बन गई है. भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इन परीक्षाओं को आयोजित करने के लिए हरी झंडी दे दी है. परीक्षाओं को स्थगित करने या रद्द करने की मांग सरकार की ओर से सुनी नहीं जा रही है. छात्रों को कोई राहत नहीं मिली है. वहीं अब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी परीक्षा रद्द करने की वकालत कर रही है.
इंडिया टुडे ने देश के शीर्ष शिक्षा विशेषज्ञों से बातचीत की. जानते हैं उन्होंने क्या कहा.
IIT दिल्ली के प्रोफेसर वी रामगोपाल राव
परीक्षाओं को लेकर प्रोफेसर वी. रामगोपाल राव ने स्पष्ट रूप से कहा “ऐसा नहीं है कि हम इन चिंताओं के बारे में ध्यान नहीं दे रहे हैं. हम अभी भी सावधानी बरतने के बारे में ध्यान रख रहे हैं, जो आवश्यक है. IIT दिल्ली JEE एडवांस परीक्षा आयोजित करने जा रहा है, JEE प्रवेश परीक्षा NTA द्वारा ली जाएगी.''
उन्होंने कहा, "हम उत्सुकता से देख रहे हैं कि चीजें कैसे विकसित हो रही हैं, अगर ऐसी चीजें होती हैं तो हम तैयारियों पर पुनर्विचार करेंगे. लेकिन, समीक्षा तब होगी जब परीक्षाओं की तारीख नजदीक आएगी. हम इस बार 10 चीजें कर रहे हैं जो हमने पहले कभी नहीं की हैं, जैसे केंद्रों की संख्या दोगुनी हो गई है. छात्रों की बीच गैप हो, इसके लिए हम एक सीट खाली छोड़ रहे हैं. इस बार हम 1200 से अधिक केंद्र बना रहे हैं, जो सामान्य मामलों से दोगुना है. हम 99% छात्रों को सैनिटाइज़र और सभी तरह की सावधानियों के साथ अपनी पसंद का केंद्र देने की कोशिश कर रहे हैं.''
दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, दिनेश सिंह
दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर दिनेश सिंह ने कहा, "यदि इस वर्ष जेईई का आयोजन नहीं किया जा रहा, तो धरती नहीं फट जाएगी. यदि एक सेमेस्टर नहीं होगा, तो कुछ नहीं बदलेगा. छात्रों के अलावा अन्य विकल्प भी नहीं हैं. संस्थानों को यह सोचना चाहिए कि यह स्थगन सभी के लिए है, किसी व्यक्ति के लिए नहीं.''
दिनेश सिंह ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोचिंग सेंटर चीजों पर शासन कर रहे हैं. कोई डेटा उपलब्ध नहीं है कि कितने छात्रों को कितनी दूरी की यात्रा करनी है, जहां उन्हें परीक्षा में शामिल होने के लिए जाना है, अगर कोई सर्वेक्षण या अध्ययन नहीं किया गया है, तो इसका क्या मतलब है, इतने बड़े स्तर पर परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है.''
जे.एस राजपुत, NCERT के पूर्व चेयरमैन
जे.एस राजपुत ने कहा, कई राजनेता JEE-NEET परीक्षाओं के आयोजित करने को लेकर विरोध कर रहे हैं. उन्हें, परीक्षा आयोजित करने के निर्णय की आलोचना करने के बजाय विकल्प के साथ सामने आना चाहिए था.
ऐसी कुछ प्रक्रियाएं हैं, जिनके माध्यम से परीक्षाओं को अलग-अलग शिफ्ट में आयोजित किया जा सकता है. इन परीक्षाओं के माध्यम से लाखों छात्रों का भविष्य तय किया जाएगा और आपको उन अभिभावकों के बारे में सोचना चाहिए जो अपने बच्चे को एक निश्चित संस्थान में देखना चाहते हैं.
यदि परीक्षाओं को स्थगित कर दिया जाएगा तो IIT, IIM और अन्य संस्थानों में इतनी क्षमता नहीं है कि वे अगले साल 2020 और 2021 की प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन एक साथ कर सकें. वहीं इनमें से कई छात्रों को देश के प्रमुख संस्थानों में दाखिला पाने का मौका भी छूट जाएगा.
जे.एस राजपुत ने कहा, जब सरकार और प्रतिष्ठित संगठनों ने परीक्षा आयोजन करने का फैसला कर ही लिया है, तो कुछ चीजें स्पष्ट हैं कि उचित सावधानी बरती जाएगी. इसलिए किसी को इसके बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए. बता दें, कोरोना वायरस संकट के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले ही दो महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की गई हैं.
आज भी अधिकांश छात्र इन परीक्षाओं को रद्द करने या स्थगित करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन वह ये भूल रहे हैं ये परीक्षाएं देश के कम से कम 25 लाख छात्रों के करियर का फैसला करता है.