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Agniveer Recruitment: भारतीय सेना ने क्यों बदली अग्निवीर भर्ती प्रक्रिया? अब पहले होगा एंट्रेंस टेस्ट

Indian Army Agniveer Recruitment process changed: पहले की प्रक्रिया में देश भर के 200 से अधिक स्क्रीनिंग केंद्रों पर लाखों उम्मीदवारों के साथ बड़ी प्रशासनिक लागत शामिल थी. उम्मीदवारों को पहले फिजिकल फिटेनस टेस्ट देना होता था. इसके बाद मेडिकल और फिर एंट्रेंस टेस्ट आयोजित किया जाता था.

इंडियन आर्मी में अग्निवीर की भर्ती प्रक्रिया बदली इंडियन आर्मी में अग्निवीर की भर्ती प्रक्रिया बदली
अक्षय डोंगरे
  • नई दिल्ली,
  • 04 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 6:04 PM IST

Indian Army Agniveer Recruitment New Process: भारतीय सेना में शामिल होने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए अग्निपथ योजना में नामांकन प्रक्रिया में भारतीय सेना बड़े बदलावों की घोषणा करने जा रही है. सेना में शामिल होने के लिए उम्मीदवारों को जिन तीन चरणों से होकर गुजरना पड़ेगा उनमें फेरबदल किया गया है. शुक्रवार को भारतीय सेना के एक विज्ञापन में सेना में अग्निवीरों की भर्ती के तीन नई चरणों की जानकारी दी गई है.

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भारतीय सेना में अग्निवीर भर्ती की नई चयन प्रक्रिया
भारतीय सेना के शीर्ष सूत्रों के अनुसार, इंडियन आर्मी में शामिल होने के इच्छुक उम्मीदवारों को अग्निवीर भर्ती प्रक्रिया में पहले नामांकित केंद्रों पर एक ऑनलाइन कॉमन एंट्रेंस एग्जाम (सीईई) से गुजरना होगा, इसके बाद भर्ती रैलियों के दौरान फिजिकल फिटनेस टेस्ट और फिर मेडिकल टेस्ट आयोजित किया जाएगा.

भारतीय सेना में अग्निवीर की नई भर्ती प्रक्रिया

पहले ऐसे हो रही थी अग्निवीरों की भर्ती
इससे पहले अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया नई से अलग थी. पहले उम्मीदवारों को फिजिकल फिटेनस टेस्ट देना होता था. फिटनेस टेस्ट क्वालिफाई होने वाले उम्मीदवारों को मेडिकल टेस्ट होते थे, योग्य उम्मीदवारों को तब एक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट देना होता था और फिर फाइनल मेरिट लिस्ट में शॉर्टलिस्ट हुए उम्मीदवारों को ट्रेनिंग दी जाती थी.

आर्मी में अग्निवीर भर्ती प्रक्रिया बदलने का कारण और फायदा
सूत्रों के अनुसार, भर्ती प्रक्रिया में बदलाव से पहले चरण में उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग की जाएगी और केवल योग्य उम्मीदवार ही फिजिकल और मेडिकल टेस्ट के साथ आगे बढ़ेंगे. इससे अग्निवीर भर्ती रैलियों के आयोजन में शामिल लागत को काफी हद तक कम किया जा सकेगा. प्रशासनिक और तार्किक बोझ कम होगा.

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सेना के सूत्रों के अनुसार, पहले की प्रक्रिया में देश भर के 200 से अधिक स्क्रीनिंग केंद्रों पर लाखों उम्मीदवारों के साथ बड़ी प्रशासनिक लागत शामिल थी, पहले की प्रक्रिया में केंद्रों पर उम्मीदवारों को संभालने के लिए बड़े पैमाने पर व्यवस्था की आवश्यकता थी. मिली जानकारी के अनुसार, बदलाव के साथ नई भर्ती प्रक्रिया की आधिकारिक अधिसूचना फरवरी के मध्य तक घोषित होने की उम्मीद है.

अग्निपथ स्कीम पर ये हैं बड़े अपडेट्स

आयु सीमा में छूट

सेना में 4 साल वाली अग्निपथ स्कीम का ऐलान 14 जून को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया था. इसकी घोषणा के बाद केंद्र सरकार को काफी विरोध झेलना पड़ा था. सबसे ज्यादा विरोध आयु सीमा को लेकर था. कोरोना वायरस के चलते करीब 2 साल तक कोई भर्ती नहीं हुई थी और अग्निवीर भर्ती के लिए आयु सीमा भी 17 से 21 थी. कोविड के दौरान अग्निपथ स्कीम की आयु सीमा के दायरे से बाहर होने के चलते युवाओं ने इसका जमकर विरोध किया था. बाद में रक्षा मंत्रालय ने एक संशोधन किया और साल 2022 के लिए अधिकतम आयु सीमा 21 से बढ़ाकर 23 साल की. हालांकि इस साल आयु सीमा 17 से 21 वर्ष ही लागू होगी.

10वीं के बाद थी पढ़ाई की चिंता

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अग्निवीर भर्ती के लिए उम्मीदवार का कम से कम 10वीं (मैट्रिक) पास होना जरूरी है. सेना में अग्निवीर की भर्ती केवल 4 साल के लिए होगी. इससे युवाओं में आगे की पढ़ाई को लेकर चिंता थी. इसे देखते हुए केंद्र का विरोध भी हुआ लेकिन स्कूली शिक्षा विभाग साथ आया और चिंता दूर हुई. स्कूली शिक्षा विभाग ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल (NIOS) के जरिए 12वीं तक पढ़ाई करने का विकल्प दिया.

बैचलर डिग्री का स्पेशल कोर्स

शिक्षा मंत्रालय ने अग्निवीरों के लिए 3 साल का विशेष स्किल बेस्ड बैचलर डिग्री लॉन्च करने का फैसला लिया. इसमें अग्निवीरों द्वारा 4 साल की सेवा के दौरान सीखे गए टेक्निकल स्किल को प्राथमिकता दी जाएगी. सूत्रों ने कहा कि IGNOU के साथ मिलकर इस कोर्स को डिजाइन किया जा रहा है. इस कोर्स में 50 फीसदी क्रेडिट सिर्फ स्किल ट्रेनिंग के लिए मिलेगा जो अग्निवीरों के सेवा काल के दौरान सीखा है.

राज्य पुलिस भर्ती में वरीयता का वादा
अग्निपथ स्किम का समर्थन करते हुए कई राज्यों सरकारों ने अग्निवीरों को राज्य पुलिस भर्ती में वरीयता देना का वादा भी किया है. राज्य सरकारों का कहना था कि सशस्त्र बलों द्वारा अग्निवीरों को दी गई ट्रेनिंग और अनुशासन से राज्य पुलिस बलों को बहुत लाभ होगा. उग्रवाद, नक्सलवाद व प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में उनकी मदद ली जा सकेगी.

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