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झारखंड में सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डाक्टरों के संबंध में एक बड़ा फैसला लिया गया है. फैसले के मुताबिक सरकारी डॉक्टर अब अपने ड्यूटी के घंटों के बाद निजी प्रैक्टिस भी कर सकेंगे. इसके लिए निर्देश यानी SOP भी जारी कर दिया गया है.
ये फैसला स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में अपर मुख्य सचिव की मौजूदगी में आई एम ए एवं झासा के प्रतिनिधिमंडल के साथ त्रिपक्षीय समीक्षात्मक बैठक के दौरान लिया गया. इस दौरान चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े कई और अहम फैसले भी लिए गए.
लिए गए ये अहम फैसले
> सरकारी चिकित्सकों के अपने निर्धारित ड्यूटी की अवधि के अतिरिक्त प्राइवेट प्रैक्टिस पर लगी रोक हटी.
>आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना से संबंधित अस्पतालों में भी सरकारी चिकित्सक कुछ शर्तों के साथ अधिकतम 4 निजी अस्पतालों में अपनी सेवा दे सकते हैं. विभाग को ये सुनिश्चित करना होगा लेगी कि चिकित्सक द्वारा दी गई सेवा उनकी अपनी ड्यूटी के अतिरिक्त अवधि में दी गई है या नहीं.
> 21 विशेषज्ञ नेत्र चिकित्सक को मिले कारण बताओ नोटिस के संबंध में निष्कर्ष निकला कि जांच चल रही है और जो दोषी नहीं पाए जाएंगे उन्हें इससे मुक्त कर दिया जाएगा.
> झारखंड राज्य की भौगोलिक और यहां के जनता की आर्थिक स्थिति को देखते हुए क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट मे बदलाव की जरूरत है. विभाग प्रयास करेगा की हरियाणा के तर्ज पर 50 बेड से कम वाले अस्पतालों को राहत दी जाए.
> मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट का प्रारूप विभाग द्वारा तैयार कर लिया गया है, जिसमें मरीजों एवं चिकित्सकों दोनों का ख्याल रखा गया है. इसे जल्दी ही आई एम ए एवं झासा से शेयर किया जाएगा.
>आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना से संबंधित अस्पताल के पेमेंट की बात हुई और इसके लिए अध्यक्ष, आई एम ए ,रांची को चिन्हित अस्पतालों जिनका पेमेंट बाकी है की सूची बनाकर ईडी के साथ समन्वय बनाकर बात करने को अधिकृत किया गया. बकाया राशि रिलीज करने का आश्वासन दिया गया.
डॉक्टर्स ने क्या कहा?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के स्टेट सेक्रेटरी डॉ प्रदीप सिंह एवं झारखंड राज स्वास्थ्य सेवा संघ के अधिकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री को इस त्रिपक्षीय समीक्षात्मक बैठक के आयोजन के लिए धन्यवाद दिया. इसके अलावा डॉक्टर्स के हितों में लिए गए फैसलों की भी सराहना की.