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सुनील गावस्कर से सीखें कि जिंदगी की पिच पर कैसे करें बैटिंग...

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर को इस बीच क्रिकेट से 50 वर्षों तक जुड़े रहने के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है. ऐेसे में आप भी उनसे सीखें जिंदगी में सफल होने के गुर...

Sunil Gavaskar Sunil Gavaskar
विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 22 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 2:07 PM IST

हमारी जनरेशन ने वैसे तो सुनील गावस्कर को क्रिकेट खेलते शायद ही देखा हो लेकिन वह हमेशा ही हमारी नजरों में रहे हैं. कभी सेलेक्टर बन कर तो कभी इंडियन क्रिकेट टीम के मार्गदर्शक बन कर. वे हमारी पिछली पीढ़ियों के लिए क्रिकेट कमेंटरी सुनने और टेलीविजन स्क्रीन से चिपके रहने की वजह थे. वे भारत के पहले ऐसे क्रिकेट खिलाड़ी थे जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में सबसे पहले 10,000 रन बनाए थे. इसके अलावा वे आज भी जस के तस बने हुए हैं.
उनका क्रिकेट के प्रति कनेक्शन इस बीच 50 वर्ष पूरा करने जा रहा है. वे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले हैं. उन्होंने साल 1966 में ही आधिकारिक तौर पर क्रिकेट खेलना शुरू किया था. ऐसे में जानें कि आखिर कौन सी क्वालिटीज सुनील गावस्कर को शानदार क्रिकेटर और शख्सियत बनाती हैं और एक आम इंसान उनसे क्या-क्या सीख सकता है.

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1. वे गजब के संयमी हैं...
जिसने भी गावस्कर के बारे में कुछ पढ़ा है या फिर उन्हें कुछ भी पता है तो हम उसमें जोड़ते चलें कि वे पिच पर टिक कर खेलने में माहिर रहे हैं. पूरी टीम एक तरफ और गावस्कर का संयम एक तरफ. वे ऐसे थे कि आउट होने का नाम ही नहीं लेते थे. वे उस दौर में पिच पर टिके रहते थे जब वेस्टइंडीज के गेंदबाजों से पूरी दुनिया के खिलाड़ी खौफ खाते थे. उस समय आज जितनी सुरक्षाओं की सुविधा नहीं थी.

2. वे आज भी खूब पढ़ते हैं...
अब इस बात से शायद ही कोई असहमत हो कि जिंदगी की पिच पर अच्छा खेलने के लिए पढ़ना बेहद जरूरी है. वे आज भी नई-नई किताबें पढ़ते रहते हैं. उन्हें उद्धरित करते रहते हैं. उनकी यह जानकारी उनके कमेंटरी में भी देखने-सुनने को मिल जाती है.

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3. वे आज भी जमीन पर हैं...
सुनील गावस्कर जैसा कद्दावर क्रिकेटर इस बात को बखूबी समझता है कि क्रिकेट की तरह जिंदगी भी टीम गेम है. लोग अपने इर्द-गिर्द के लोगों की मदद से ही तरक्की कर सकते हैं. सोचिए कि किसी टीम में कोई खिलाड़ी अच्छी बल्लेबाजी तो करे लेकिन दूसरे उसका साथ न दें तो कैसे परिणाम मिलेंगे.

4. वे गजब के हाजिरजवाब और हंसोड़ हैं...
एक बार किसी शो पर एक दर्शक ने उनसे पूछा कि टेस्ट क्रिकेट और ट्वेंटी-ट्वेंटी में उन्हें कौन सा फॉर्मेट अधिक पसंद है. उनका त्वरित जवाब था ट्वेंटी-ट्वेंटी, क्योंकि वहां कम फील्डिंग करनी होती है.

5. वे खुद के बजाय टीम को अधिक महत्व देते हैं...
गावस्कर के खेलने के अंदाज को नजदीक से देखने वाले कहते हैं कि वे हमेशा से ही एक बेहतरीन टीम मेंबर रहे हैं. अपने साथियों को हमेशा साथ लेकर चलते हैं. बैड फेज से गुजर रहे साथियों का वे हमेशा से ही उत्साह बढ़ाते रहे हैं.

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