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वैसे तो बीते दिनों न्यूजीलैंड की क्रिकेट टीम ने भारत में आकर काफी अच्छी क्रिकेट खेली, लेकिन इसी बीच न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन की का भारत दौरा कई और संभावनाएं खोल गया. वे व्यापारिक रिश्तों को आगे बढ़ाने के अलावा भारत से बाहर पढ़ने जाने वाले स्टूडेंट्स के मुद्दे पर भी खासे सक्रिय दिखे.
न्यूजीलैंड सरकार की एजेंसी से आने वाली खबर को देखें तो साल 2010 में यहां पहुंचने वाले स्टूडेंट्स की संख्या जहां 11,791 थी. वहीं साल 2015 में यह संख्या बढ़कर 29,235 पहुंच गई है. अकेले साल 2015 में देखा जाए तो यह 45 फीसदी की उछाल है.
न्यूजीलैंड शिक्षा के कार्यकारी अध्यक्ष कहते हैं कि न्यूजीलैंड में चीन के बाद सबसे अधिक भारतीय छात्र हैं. वे कुल छात्र जनसंख्या का 23 फीसद हिस्सा हैं. इस विषय पर आश्चर्य इस वजह से है क्योंकि बीते कई दशकों में न्यूजीलैंड भारत के छात्रों की पहली पसंद नहीं रहा है. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश अगली कतार में रहे हैं. वे आगे कहते हैं कि उनके देश के लिबरल माहौल की वजह से इस बीच छात्रों की संख्या एकदम से बढ़ी है.
न्यूजीलैंड की ऑकलैंड यूनिवर्सिटी दुनिया के टॉप 100 यूनिवर्सिटी में आती है और कई यूनिवर्सिटी टॉप 200 में आते हैं. दुनिया के शिक्षाविदों की मानें तो अमेरिका और ब्रिटेन की ओर से न जाना न्यूजीलैंड के लिए सीधे-सीधे फायदेमंद है.
क्या कहते हैं आंकड़े...
ब्रिटेन की उच्च शिक्षा एजेंसी द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार साल 2009-10 में छात्रों की संख्या 38,500 से घटकर साल 2015 में 19,700 तक पहुंच गई है. न्यूजीलैंड की सरकार और शिक्षा विभाग भारत से आने वाले छात्रों के प्रति संजीदा हैं. आज की तारीख में जहां यह कमाई 3 बिलियन डॉलर है वहीं साल 2025 तक इसके 5 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद रखते हैं. भारत भी ऐसे में अपने स्टूडेंट्स को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है.