
अगर हौसला बुलंद हो तो बुलंदियों को छूने से कोई नहीं रोक सकता. इस बात को प्रमाणित किया है भारत नेपाल सीमा से सटे एक छोटे से गांव बघवा निवासी अविनाश कुमार ने. अविनाश ने यूपीएससी परीक्षा 2022 में 17वीं रैंक हासिल की है. दो बार यूपीएससी के पीटी में लगातार असफलता मिलने के बावजूद यूपीएससी में तीसरी बार 17वीं रैंक लाकर न केवल गांव बल्कि जिले का नाम रोशन किया है.
किसान हैं पिता
25 वर्षीय यूपीएससी अचीवर अविनाश कुमार के पिता अजय कुमार सिंह एक साधारण किसान है जबकि उसकी मां प्रतिमा देवी एक कुशल गृहिणी है. अविनाश के 17वीं रैंक मिलने से पूरे जिला में जश्न का माहौल है. गांव वाले अविनाश की सफलता पर गर्व कर रहे हैं. रिश्तेदार अविनाश और उनके परिवार को बधाई दे रहे हैं.
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12वीं आए थे 93.2% नंबर
10वीं तक की पढ़ाई अविनाश ने फारबिसगंज स्थित रानी सरस्वती विद्या मंदिर से 10 सीजीपीए अंक प्राप्त कर किए. वहीं 12वीं तक की पढ़ाई चिन्मय विद्यालय बोकारो झारखंड से 93.2 प्रतिशत अंक के साथ किए. इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. अविनाश ने यादवपुर विश्वविद्यालय कोलकाता पश्चिम बंगाल से 9.6 सीजीपीए के साथ करने में सफलता हासिल की.
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इंजीनियरिंग नौकरी के बाद बदला मन और बने IAS
इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद अविनाश को पश्चिम बंगाल के बिजली परियोजना में नौकरी भी मिल गई. बावजूद इसके अविनाश का टारगेट कुछ और ही था. उन्होंने 11वें महीने में ही नौकरी छोड़ दी और दिल्ली जाकर यूपीएससी की तैयारी शुरू की. पहले और दूसरे अटेंप्ट में थोड़ी निराश हाथ लगी लेकिन तीसरे अटेंप्ट में मेहनत रंग लाई.
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भावुक हुए पिता
अविनाश के पिता अजय कुमार सिंह काफी भावुक लहजे में कहा कि उन्हें पूर्व से भरोसा था कि उसका बेटा यूपीएससी में सफलता प्राप्त करेगा मगर 17वीं रैंक लाने की जानकारी से वे काफी खुश हैं. उन्होंने कहा कि सच्चाई और ईमानदारी से काम करने वाले को अच्छा ही परिणाम मिलता है. वहीं बेटे की सफलता से गदगद उसकी मां प्रतिमा देवी भी इस बात से खुश है कि अब वह आईएस की मां बन चुकी हैं. प्रतिमा ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे की तरक्की का आशीर्वाद दिया है. जबकि उसके पिता अजय कुमार सिंह ने कहा कि बेटे ने बड़ी सफलता हासिल की है, इसका उन्हें नाज है मगर वह चाहते हैं कि अब मेरा बेटा भविष्य में ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करें.
(रिपोर्ट: अमरेंद्र कुमार)