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इतिहास

विभाजन के जिन्न से जिन्ना के चित्र तक, जानिए अलीगढ़ मुस्ल‍िम यूनिवर्सि‍टी के 10 अनोखे पहलू

aajtak.in
  • 22 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:18 AM IST
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आज अलीगढ़ मुस्ल‍िम यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे. अपनी स्थापना से लेकर अब तक सौ सालों का पूरा इतिहास समेटे इस यूनिवर्सिटी ने कई दौर देखे हैं. आइए जानते हैं इस विश्वविद्यालय के इतिहास से जुड़ी वो बातें जो आपको भी पता नहीं होंगी.

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उर्दू एकेडमी के डायरेक्टर राहत अबरार बताते हैं कि किसी विश्वविद्यालय के लिए ये बड़ी बात होती है कि वो अपने सौ सफल सालों का जश्न मनाए, यहां का इतिहास यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खां की दूरदर्शी सोच की परिणति है. सत्रहवीं शताब्दी के महान समाज सुधारक सर सैयद अहमद खां ने आधुनिक शिक्षा की जरूरत को महसूस करते हुए साल 1875 में एक स्कूल शुरू किया जो बाद में मोहम्डन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज बना.

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राहत अबरार ने बताया कि सर सैयद अहमद खां बनारस से क्रैंब्रिज और आक्सफोर्ड देखने गए थे. सर सैयद अहमद खां बनारस से कैंब्रिज आक्सफोर्ड देखने गए थे, वहीं से उनके जेहन में ये ख्वाब आ गया था कि इंडिया में जब जाएंगे तो उसी लेवल का संस्थान बनाएंगे. 

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1857 की क्रांति के बाद सर सैयद ने ये महसूस किया कि अंग्रेजों ने जो तरक्की हासिल की है, वो आधुनिक शिक्षा विज्ञान के बल पर प्राप्त की है. इसलिए 9 फरवरी 1873 को पहली मीटिंग है वो बनारस में मोहम्डन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज फंड कमेटी की हुई. उन्होंने तय किया कि हम मदरसा या कॉलेज नहीं बना रहे बल्क‍ि यूनिवर्सिटी बना रहे हैं. 

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उस दौर में प्राइवेट में यूनिवर्सिटी एलाऊ नहीं थी इसलिए  24 मई 1873 को मदरसा बना. और 8 जनवरी 1877 को फाउंडेशन स्टोन रखा गया. पहली दिसंबर 1920 ये वायसराय से एप्रूव हुई. 17 दिसंबर को इसका उद्धाटन हुआ. 

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वो बताते हैं कि ये यूनिवर्सिटी जिस 74 एकड़ भूमि पर बनी है वो कभी फौज की छावनी थी. जिस राजा का नाम यूनिवर्सिटी को जमीन दान देने के तौर पर लिया जाता है, वो स्वयं यहां के छात्र थे और सर सैयद अहमद खां के पोते की उम्र के बराबर थे. उनका यूनिवर्सिटी को जमीन देने का तर्क ही नहीं बनता. उन्होंने जमीन जमीन लीज पर सिटी हाइस्कूल के लिए दी थी जो इस कैंपस से करीब 5-6 किमी दूर है. इसका कैंपस से कोई ताल्लुक नहीं. 

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विभाजन के दौर में अलीगढ़ के रोल की बात करें तो अलीगढ़ ने कई फ्रीडम फाइटर पैदा किए. यहां पर 1906-1907 में यूरोपियन स्टाफ के खिलाफ हड़ताल हुई थी. उसका नतीजा ये हुआ कि 1920 में अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना से पहले एक दूसरा विश्व‍विद्यालय कायम हुआ जिसे स्वतंत्रता सेनानियों ने बनाया. जो बाद में दिल्ली में शिफ्ट हुआ. 

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गैर-मुसलमानों के लिए खोले गए दरवाजे

1877 में बने MAO कॉलेज को विघटित कर 1920 में ब्रिटिश सरकार की सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के एक्ट के जरिए AMU एक्ट लाया गया. संसद ने 1951 में AMU संशोधन एक्ट पारित किया, जिसके बाद इस संस्थान के दरवाजे गैर-मुसलमानों के लिए खोले गए.

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राहत अबरार बताते हैं कि यहां के छात्र राजा महेंद्र प्रताप सिंह महान स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने एग्जाइल गवर्नमेंट बनाई काबुल में. देश में पहली निष्कासित सरकार बनाने का श्रेय एंग्लो मोहम्डन कॉलेज के पूर्व छात्र को ही जाता है.

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एएमयू से ग्रेजुएट होने वाले पहले शख्स बाबू इश्वरी प्रसाद थे. पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने 1913 में एएमयू से उच्च शिक्षा ग्रहण की थी. भारत में तमाम राज्यों के अलावा अफ्रीका, पश्चिमी एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, सार्क और कई अन्य देशों के भी छात्र यहां पढ़ने आते हैं.

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विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र अहमद अजीम बताते हैं कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षा पाने वाले पूर्व छात्र राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति हैं. यहां के पूर्व छात्र व देश के तीसरे राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन और खान अब्दुल गफ्फार खान को भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है. एएमयू से पढ़े हामिद अली देश के उपराष्ट्रपति रहे. 

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