Advertisement

इतिहास

Constitution Day 2020: संविधान की वो खास बातें, जो हर भारतीय को पता होनी चाहिए

aajtak.in
  • 26 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:36 AM IST
  • 1/9

आज पूरा देश संविधान दिवस मना रहा है. आज के दिन संविधान सभा ने इसको पारित किया था. आज वो दिन है जब हमें अपने संविधान पर गर्व करना चाहिए. आज के दिन आइए जानते हैं हमारे संविधान की 10 ऐसी बातें जो हर भारतीय को जरूर जाननी चाहिए. साथ ही जानिए अपने मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्वों के बारे में..

  • 2/9

  • संविधान बनाने के लिए संविधान सभा बनाई गई. डॉ. राजेंद्र प्रसाद इसके स्थाई अध्यक्ष थे. संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में कुल 114 दिन बैठकें की.
  • भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा संविधान है. इसमें 465 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं. ये 22 भागों में विभाजित है.
  • संविधान में साफ लिखा है कि देश का कोई आधिकारिक धर्म नहीं होगा. यह किसी धर्म को बढ़ावा नहीं देता न किसी से भेदभाव करता है.

  • 3/9

  • जिस दिन संविधान पर हस्ताक्षर हो रहे थे उस दिन बाहर बारिश हो रही थी. सदन में बैठे सदस्यों ने इसे बहुत ही शुभ शगुन माना था.
  • भारतीय संविधान की वास्तविक प्रति प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा हाथों से लिखी गई थी. इसे इटैलिक स्टाइल में काफी खूबसूरती से लिखा गया था जबकि हर पन्ने को शांतिनिकेतन के कलाकारों ने सजाया था.
  • हाथों से लिखे संविधान पर 284 संसद सदस्यों ने हस्ताक्षर किया था. इसमें 15 महिला सदस्य थीं.

Advertisement
  • 4/9

  • संविधान की आत्मा कहे जाने वाले Preamble यानी प्रस्तावना को अमेरिकी संविधान से लिया गया है. संविधान में प्रस्तावना की शुरुआत 'We the people' से होती है.
  • भारतीय संविधान में अब तक 124 बार संशोधन हुआ है.  
  • 26 जनवरी 1950 को ही अशोक चक्र को बतौर राष्ट्रीय चिन्ह स्वीकार किया था.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिसूचना जारी कर 19 नवंबर 2015 को ये घोषित किया कि 26 नवंबर को देश संविधान दिवस मनाएगा. आज छठा संविधान दिवस है.

  • 5/9

संविधान में नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकार

मौलिक अधिकार उन अधिकारों को कहा जाता है जो व्यक्ति के जीवन के लिए मौलिक होने के कारण संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किए जाते हैं. इनमें राज्य द्वारा हस्तक्षेप नही किया जा सकता.

मौलिक अधिकारों का चरित्र

इन अधिकारों को मौलिक इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन्हे देश के संविधान में स्थान दिया गया है. संशोधन की प्रक्रिया के अतिरिक्त उनमें कोई बदलाव नहीं हो सकता. ये अधिकार व्यक्ति के प्रत्येक पक्ष के विकास हेतु मूलरूप में आवश्यक हैं, इनके अभाव में व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास अवरुद्ध हो जाएगा. इन अधिकारों का उल्लंघन नही किया जा सकता. मौलिक अधिकार न्याय योग्य हैं.

  • 6/9

मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण

भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के तीसरे भाग में अनुच्छेद 12 से 35 तक किया गया है. भारतीय नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार मिले हैं.

1. समानता का अधिकार : अनुच्छेद14 से 18 तक.
2. स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 19 से 22 तक.
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार : अनुच्छेद 23 से 24 तक.
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 25 से 28 तक.
5. सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बंधित अधिकार : अनुच्छेद 29 से 30 तक.
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार : अनुच्छेद 32

Advertisement
  • 7/9

भारतीय संविधान के नीति-निर्देशक तत्त्व

नीति निर्देशक तत्व (directive principles of state policy) जनतांत्रिक संवैधानिक विकास के नवीनतम तत्व हैं. सबसे पहले ये आयरलैंड के संविधान में लागू किए गए थे. ये वे तत्व हैं जो संविधान के विकास के साथ ही विकसित हुए हैं.

  • 8/9

अनुच्छेद     विवरण
36               परिभाषा
37               इस भाग में अंतर्विष्‍ट तत्‍वों का लागू होना
38               राज्‍य लोक कल्‍याण की अभिवृद्धि के लिए
                   सामाजिक व्‍यवस्‍था बनाएगा
39               राज्‍य द्वारा अनुसरणीय कुछ नीति तत्‍व
39क            समान न्‍याय और नि:शुल्‍क विधिक सहायता
40               ग्राम पंचायतों का संगठन
41               कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और
                   लोक सहायता पाने का अधिकार
42               काम की न्‍यायसंगत और मानवोचित दशाओं
                   का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध
43               कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि

  • 9/9

अनुच्छेद     विवरण

43क           उद्योगों के प्रबंध में कार्मकारों का भाग लेना
44              नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता
45             बालकों के लिए नि:शुल्‍क और अनिवार्य शिक्षा
                 का उपबंध
46            अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्‍य
                दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों
                की अभिवृद्धि
47            पोषाहार स्‍तर और जीवन स्‍तर को ऊंचा करने
                तथा लोक स्‍वास्‍थ्‍य को सुधार करने का राज्‍य
               का कर्तव्‍य
48           कृषि और पशुपालन का संगठन
48क     पर्यावरण का संरक्षण और संवर्धन और वन तथा
             वन्‍य जीवों की रक्षा
49        राष्‍ट्रीय महत्‍व के संस्‍मारकों, स्‍थानों और वस्‍तुओं
            का संरक्षण देना
50        कार्यपालिका से न्‍यायपालिका का पृथक्‍करण
51        अंतरराष्‍ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि

Advertisement
Advertisement
Advertisement