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इतिहास

अच्छा शासक या क्रूर प‍िता? जानिए जहांगीर से जुड़ी खास बातें, करीना-सैफ ने बेटे को दिया है यही नाम

aajtak.in
  • नई द‍िल्ली ,
  • 11 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 9:15 AM IST
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अभ‍िनेत्री करीना कपूर और सैफ अली खान के छोटे बेटे का नाम जहांगीर है, जिसका शॉर्ट नाम जेह मीडिया में पहले ही छा गया था. भारत में एक मुगल शासक जहांगीर भी रहे हैं, क्या आपको उनके बारे में ये खास बातें पता हैं. 

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जहांगीर का असली नाम सलीम है और वे मुगल शासक अकबर के बड़े बेटे थे. सलीम से पहले अकबर की कोई भी संतान जीव‍ित नहीं रहती थी. इस बात से दुखी अकबर ने कई मिन्नतों और मन्नतों के बाद सलीम को पाया. अकबर ने सलीम का नाम शेख सलीम चिश्ती के नाम पर रखा था. अकबर के बाद जब सलीम ने तख्त संभाला, तब उन्हें जहांगीर की उपाध‍ि दी गई. जहांगीर का मतलब है 'दुनिया जीतने वाला'. 

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पार्वती शर्मा ने जहांगीर पर अपनी किताब 'एन इंटीमेट पोट्रेट ऑफ ए ग्रेट मुगल जहांगीर' में एक वाकये का जिक्र किया है. अकबर ने पीर सलीम चिश्ती से अपने होने वाले बेटों और शेख सलीम चिश्ती की मौत के दिन के बारे में पूछा था. इसपर सलीम चिश्ती ने जवाब दिया 'जब शहजादे सलीम (जहांगीर) किसी चीज को पहली बार याद कर उसे दोहराएंगे, इसके बाद मेरी मौत हो जाएगी.' और शेख सलीम चिश्ती की मौत ऐसे ही हुई. 

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अकबर ने कई दिनों तक सलीम को तालीम से दूर रखा. एक दिन सलीम ने किसी की कही हुई दो पंक्त‍ियां दोहरा दीं. उस दिन के बाद से शेख सलीम चिश्ती की तबीयत नासाज होने लगी और कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो गई. 

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जहांगीर की क्रूरता के भी किस्से हैं. एलिसन बैंक्स फ़िडली ने अपनी किताब 'नूरजहां: एंपरेस ऑफ मुगल इंडिया' में इसका पूरा वर्णन किया है. 17 अक्तूबर, 1605 को अकबर की मौत के बाद जहांगीर ने मुगल तख्त पर आसीन हुए. कहा जाता है कि जहांगीर कभी तो बहुत दरियादिल होते और कभी बेहद खूंखार.

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एल‍िसन लिखते हैं- जहांगीर ने अपने एक नौकर का अंगूठा सिर्फ इसलिए कटवा दिया था, क्योंकि उसने नदी के किनारे लगे चंपा के कुछ पेड़ काट दिए थे. उसने नूरजहां की एक कनीज को गड्ढ़े में आधा गड़वा दिया था. उसका कसूर था कि उसे एक किन्नर का चुंबन लेते पकड़ लिया गया था. एक आदमी को उसके पिता की हत्या करने की सजा देते हुए जहांगीर ने उसे एक हाथी की पिछली टांग से बंधवा कर कई मीलों तक खिंचवाया था."

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जहांगीर अपने बेटे खुसरो के साथ भी बर्बरता से पेश आए थे. खुसरों ने जब अपने पिता जहांगीर के ख‍िलाफ बगावत की थी तब जंग में वे हार गए. इसके बाद जहांगीर ने खुसरो की आंखें फोड़ दी थी. हालांकि जहांगीर ने खुसरो की आंखों का इलाज भी करवाया पर उसकी आंखों की रोशनी कभी वापस नहीं आई. 

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जहांगीर रंगीन मिजाजी थे, जिनके शान-ओ-शौकत के चर्चे आम थे. औरतों और शराब के उनके शौक बहुत मशहूर थे. उनकी आत्मकथा 'तुज़ूके-जहांगीरी' में जहांगीर के नशापान का ब्यौरा मौजूद है. इसके मुताबिक एक समय में जहांगीर दिन में शराब के 20 प्याले पीते थे, 14 दिन में और 6 रात में. बाद में उसे घटा कर उन्होंने एक दिन में 6 प्याले पर ले आए थे. पार्वती शर्मा बताती हैं, "वे खुद को ही कहते हैं कि वे जब 18 साल के थे तब एक दफा जब वे शिकार पर गए तब किसी ने कहा कि आप थोड़ी शराब पीजिए, आपकी थकान चली जाएगी. उन्होंने पी और उन्हें वो बहुत पसंद आई. यहीं से उन्हें शराब पीने की आदत लग गई. जहांगीर के दोनों भाइयों को भी शराब की लत लग गई और उनकी मौत शराब की वजह से ही हुई."

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1605 ई. में जहांगीर के बड़े बेटे खुसरो का बगावत में साथ देने के लिए जहांगीर ने सिखों के 5वें गुरु अर्जन देव को फांसी पर चढ़ा दिया था. जाने-माने इतिहासकार मुनी लाल जहांगीर की जीवनी में इसका वर्णन है. 'गुरु अर्जन देव पर बौखलाए जहांगीर उनके पास गए और कहा कि आप एक संत हैं और पाक शख्स हैं. आपके लिए अमीर और गरीब दोनों बराबर हैं तब आपने मेरे दुश्मन खुसरो को पैसे क्यों दिए. इसपर गुरु अर्जन देव ने कहा कि मैंने उसे पैसे इसल‍िए दिए क्योंकि वो सफर पर जा रहा था, इसल‍िए नहीं कि वो आपका विरोधी था. अगर मैं ऐसा नहीं करता तो लोग मुझपर ध‍िक्कारते और कहते कि मैंने आपके डर के कारण ऐसा किया और मैं गुरु नानक का श‍िष्य कहलाने के लायक नहीं रहता.' जहांगीर ने गुरु अर्जन देव की बात नहीं सुनी और दो दिन बाद उन्हें गिरफ्तार कर काल कोठरी में डाल दिया. तीन दिन बाद रावी के तट पर ले जाकर उनका कत्ल करवा दिया. 

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जहांगीर का नाम उनकी कुछ अच्छी बातों के लिए भी याद किया जाता है. वे 'न्याय की जंजीर' के लिए मशहूर हैं. उन्होंने आगरे के किले शाहबुर्ज और यमुना तट पर मौजूद पत्थर के खंबे में एक सोने की जंजीर बंधवाई थी जिसमें लगभग 60 घंट‍ियां भी थी. इसे ही आगे चलकर न्याय की जंजीर के नाम से जाना गया. इस जंजीर के जर‍िए फर‍ियाद‍ी मुश्क‍िल समय में अपनी गुहार रखता था. 

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