सिंगापुर के रिश्ते भारत के साथ काफी खास हैं. एक साफ-सुथरी टूरिस्ट कंट्री होने के साथ साथ सिंगापुर भारत के साथ अपने ऐतिहासिक और पुराने रिश्तों के लिए जाना जाता है. भारतीय मूल के तीन लाख से ज्यादा लोग सिंगापुर में रहते हैं. जानें- इस देश की खास बातें.
दक्षिण एशिया में मलेशिया और इंडोनेशिया के बीच में व्यवसायिक केंद्र के तौर पर सिंगापुर की अलग पहचान है. इसे हिंदुस्तानी सिंहों का शहर भी कहते हैं लेकिन सिंगापुर चीनी भाषा के सिंगपोर शब्द से बना है. यहां सबसे ज्यादा चाइनीज और अंग्रेजी भाषा बोली जाती है.
वैसे तो ये पूरा देश करीब मुंबई के बराबर है. यहां कई धर्मों में विश्वास रखने वाले लोग एक साथ रहते हैं. यहां कई देशों की संस्कृति, इतिहास और भाषा के लोग हैं. करीब 35 लाख की आबादी में चीनी, मलय व 8 प्रतिशत भारतीय हैं.
सिंगापुर में पहुंचकर आपको भारत काफी करीब लगता है. यहां भारतीय खान-पान और चीजें आसानी से मिलती हैं. यही नहीं सिंगापुर के मॉल्स में भी आपको हर तरह का भारतीय सामान देखने को मिल सकता हैं. यहां तक कि यहां आपको भारतीय ड्रेसेज भी आसानी से मिल सकती हैं.
सिंगापुर के नाम को लेकर एक भारतीय किवदंती भी है. इसके अनुसार चौदहवीं शताब्दी में सुमात्रा द्वीप से एक हिंदू राजकुमार शिकार के लिए सिंगापुर द्वीप गए तो वहां के जंगलों में सिंहों को देखकर उन्होंने द्वीप का नाम सिंगापुरा अर्थात् सिंहों का द्वीप कर दिया था. हालांकि इसके कोई ऐतिहासिक तथ्य मौजूद नहीं हैं.
अगर हाल के दिनों की बात करें तो वित्त वर्ष 2020-21 (FY21) की पहली छमाही यानी अप्रैल-सितंबर 2020 के दौरान भारत में सबसे ज्यादा एफडीआई यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सिंगापुर से हासिल किया है. इस दौरान सिंगापुर ने भारत में 8.30 अरब डॉलर का एफडीआई किया.
सिंगापुर भारत में निवेश का 8वां सबसे बड़ा स्रोत है और आसियान सदस्य राष्ट्रों में सबसे बड़ा है. 2005-06 के रूप में यह भारत का 9वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार भी है. भारत के आर्थिक उदारीकरण और लुक ईस्ट पॉलिसी ने द्विपक्षीय व्यापार में एक बड़ा विस्तार किया है.