पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी एक रैली में कहा था कि जब तक मैं जिंदा हूं, मैं बंगाल की रॉयल टाइगर की तरह रहूंगी. कल शिवसेना नेता संजय राउत ने भी दीदी को रियल बंगाल टाइग्रेस कहकर उनके सपोर्ट में आने की बात की. इससे पहले खेल और राजनीति की दूसरी हस्तियों को भी बंगाल टाइगर कहकर नवाजा जा चुका है. आइए वाइल्डलाइफ विशेषज्ञ से जानते हैं कि आखिर रॉयल बंगाल टाइगर में ऐसी क्या खासियतें होती हैं कि उनकी प्रजाति से तुलना पर लोगों को खुशी मिलती है.
जंगल कथा और चीता: भारतीय जंगलों का गुम शहजादा जैसी किताबें लिखने वाले कबीर संजय बताते हैं कि भारत और एशिया में बंगाल टाइगर ही पाए जाते हैं. वो कहते हैं कि बिल्ली की करीब 36 से ज्यादा प्रजाति होती हैं. इनमें सबसे बडी बिल्ली टाइगर है. भारत में बंगाल टाइगर, शेर से ज्यादा बडे आकर के होते हैं और वो अपने खास गुणों के चलते जंगल के बादशाह कहलाते हैं.
बंगाल टाइगर जंगलों में अपनी दहाड़ के लिए जाने जाते हैं. विशेषज्ञ बड़ी बिल्लियों में उन चार जानवरों को शामिल करते हैं जो दहाड़ सकते हैं. इनमें शेर, बाघ, जगुआर और तेंदुआ जाते हैं. बंगाल टाइगर की बात करें तो इनके गले से निकलने वाली गूंजती हुई आवाज किसी के भी खून को जमा देने और रोंगटे खड़े कर देने के लिए काफी है. जंगल में जब इनकी दहाड गूंजती है तो पूरा इलाका जाग जाता है, वाइल्ड लाइफ की दुनिया में इसे कॉलिंग कहते हैं.
बंगाल टाइगर शेर की तरह झुंड में न रहकर अकेला रहना पसंद करता है. यह हमेशा स्वतंत्र विचरण करके अपना शिकार करता है. इनके आगमन का खौफ इस कदर होता है कि वहां चिड़ियों की चहचहाट और बंदर चिल्लाने लगते हैं. ऐसा लगता है वो पूरे जंगल को इस बात के लिए खबरदार कर रहे हों कि एक महान शिकारी हमारे आसपास से गुजर रहा है, बच सकते हो तो बचो, अपना दिल मजबूत करके रखो.
शरीर पर धारियां सुडौल गठन बंगाल टाइगर को बहुत खूबसूरत बनाते हैं. इन्हें पानी बेहद पसंद होता है, ये अच्छे स्विमर होने के चलते कई बार पानी में घुसकर अपने शिकार पर हमला कर देते हैं. कबीर संजय बताते हैं कि बंगाल और बांग्लादेश के बीच मैंग्रोव्स के जंगल हैं जिन्हें सुंदर वन कहा जाता है. यहां गंगा और ब्रह्मपुत्र का डेल्टा है. इसका बड़ा हिस्सा बांगलादेश और कुछ बंगाल में भी आता है. यहां अक्सर शहद इकट्ठा करने के लिए आने वालों पर ये घात लगाकर नाव पर भी हमला कर देते हैं.
बंगाल टाइगर बहुत अच्छे शिकारी होते हैं, इनमें इनकी रहस्यमयी प्रवृतिति काफी सहायक होती है. ये दबे पांव चलते हैं और घात लगाकर हमला करते हैं. ये शिकार पर जब हमला करते हैं तो सीधे उनकी श्वसन तंत्र (सांस लेने की नली) तोड़ देते हैं, जिससे शिकार वहीं दम तोड देता है. ऐसे बहुत कम चांसेज होते हैं जब ये अपने शिकार में चूक जाएं.
ये आकार में अपने से दो गुना बडे शिकार जैसे जंगली भैंसों तक को भी मार गिराने की क्षमता रखते हैं. इनकी एक खासियत जिससे अक्सर इंसानों की तुलना की जाती है, वो ये है कि ये अपने इलाके को लेकर बहुत सेंसेटिव होते हैं. इन्हें अपने इलाके में किसी का भी दखल बर्दाश्त नहीं होता.
अगर शिकारियों की बात हटा दी जाए तो जंगलों में इनकी मौत का सबसे बडा कारण इलाके के लिए संघर्ष होता है. इस खूनी संघर्ष में अक्सर ताकतवर जीत जाता है लेकिन ये अंतिम सांस तक लड़ते हैं. कहा जाता है कि बंगाल टाइगर मर जाना पसंद करते हैं लेकिन इलाका छोडना पसंद नहीं करते. जंगल में कई बार इलाकों को लेकर खूनी लड़ाइयों में ये जान गंवाते हैं.
रॉयल बंगाल टाइगर या बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु भी है. इसे यह सम्मान इसकी खूबसूरती और ताकत को देखते हुए दिया गया है. बंगाल का सुंदर बन जंगल इसका प्राकृतिक आवास है लेकिन कटते जंगल और बढ़ते शिकार की वजह से यह संकट में है. वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड एंड ग्लोबल टाइगर फोरम के मुताबिक, दुनिया के 70 फीसदी बाघ भारत में ही रहते हैं.