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इतिहास से जुड़ी है 'होली', मुसलमानों का भी है त्योहार

'होली' उमंग, उल्लास और खानपान का त्योहार है. होली के पहले दिन होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका-दहन कहते हैं और दूसरे दिन को धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है. 

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13 मार्च को देश भर में होली मनाई जाएगी. होली मनाने की खास वजह उससे जुड़ी कहानी है, जिसमें प्रचलित मान्यता के अनुसार हिरण्यकशिपु की बहन होलिका के मारे जाने की स्मृति में मनाया जाता है. होलिका को आग से न जलने का वरदान था, उसने विष्णु भक्त प्रह्लाद को अग्नि में जलाकर मारने की कोशिश की थी. होलिका जल गयी, प्रह्लाद बच गये. तभी से होली मनाने की प्रथा चल पड़ी..लेकिन इतिहास में होली से जुड़े और भी किस्से-कहानियां शामिल हैं. आइए, हम आपकों बताते हैं होली से जुड़ी कुछ खास बातें ... 

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1.होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है. यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इसी दिन से नववर्ष की शुरूआत भी हो जाती है. इसलिए होली पर्व नवसंवत और नववर्ष के आरंभ का प्रतीक है.

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2. 'होली' भारत का उमंग, उल्लास के साथ मनाने वाला सबसे प्राचीन त्योहार है.

3. पहले होली का नाम ' होलिका' या 'होलाका' था. साथ ही होली को आज भी 'फगुआ', 'धुलेंडी', 'दोल' के नाम से जाना जाता है.

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4. इतिहासकारों का मानना है कि ये पर्व आर्यों में भी प्रचलित था, लेकिन अधिकतर यह पूर्वी भारत में ही मनाया जाता था. अनेक पुरातन धार्मिक पुस्तकों में इस त्योहार के बारे में लिखा हुआ है. इसमें खास तौर पर 'जैमिनी' के पूर्व मीमांसा-सूत्र और कथा गार्ह्य-सूत्र शामिल हैं. नारद पुराण और भविष्य पुराण जैसे पुराणों की प्राचीन हस्तलिपियों और ग्रंथों में भी इस पर्व का उल्लेख मिलता है.

5. प्रसिद्ध मुस्लिम पर्यटक अलबरूनी ने भी अपने ऐतिहासिक यात्रा संस्मरण में होलिकोत्सव का वर्णन किया है. साथ ही भारत के अनेक मुस्लिम कवियों ने अपनी रचनाओं में इस बात का उल्लेख किया है कि होलिकोत्सव केवल हिंदू ही नहीं 'मुसलमान' भी मनाते हैं.

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6. अकबर का जोधाबाई के साथ तथा जहांगीर का नूरजहां के साथ होली खेलने का वर्णन इतिहास में है. अलवर संग्रहालय के एक चित्र में जहांगीर को होली खेलते हुए दिखाया गया है.

7. शाहजहां के समय तक होली खेलने का मुग़लिया अंदाज़ ही बदल गया था. शाहजहां के ज़माने में होली को 'ईद-ए-गुलाबी' या 'आब-ए-पाशी' (रंगों की बौछार) कहा जाता था.

8. मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के बारे में प्रसिद्ध है कि होली पर उनके मंत्री उन्हें रंग लगाने जाया करते थे. वहीं हिन्दी साहित्य में कृष्ण की लीलाओं में भी होली का विस्तार रूप से वर्णन किया गया है.

9. संस्कृत साहित्य में होली के कई रूप हैं. जिसमें श्रीमद्भागवत महापुराण में होली को रास का वर्णन किया गया है. महाकवि सूरदास ने वसन्त एवं होली पर 78 पद लिखे हैं.

10. शास्त्रीय संगीत का होली से गहरा संबंध है. हालांकि ध्रुपद, धमार और ठुमरी के बिना आज भी होली अधूरी है. वहीं राजस्थान के अजमेर शहर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर गाई जाने वाली होली के गानों का रंग ही अलग है.

11. आज भी 'ब्रज' की होली देश भर में आकर्षण का केंद्र है.यहां की बरसाने की लठमार होली काफी प्रसिद्ध है. इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएं उन्हें लाठियों और कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं. हरियाणा की प्रथा है कि धुलंडी में भाभी अपने देवर को सताती है.

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