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करिअप्पा थे आजाद सेना के पहले नायक, 1947 में किया था सेना का नेतृत्व

आज आजाद भारतीय सेना की कमान संभालने वाले कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा (केएम करिअप्पा) का जन्मदिवस है. करिअप्पा देश के पहले कमांडर-इन-चीफ थे.

के एम करिअप्पा के एम करिअप्पा
मोहित पारीक
  • नई दिल्ली,
  • 28 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 10:23 AM IST

आज आजाद भारतीय सेना की कमान संभालने वाले कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा (केएम करिअप्पा) का जन्मदिवस है. करिअप्पा देश के पहले कमांडर-इन-चीफ  थे. उन्होंने 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश राज के समय के भारतीय सेना के अंतिम अंग्रेज शीर्ष कमांडर जनरल रॉय फ्रांसिस बुचर से यह पदभार ग्रहण किया था, उसी दिन को पूरा देश सेना दिवस के रूप में मनाता है. उन्होंने साल 1947 में हुए भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना का नेतृत्व भी किया.

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उनका जन्म 1899 में कर्नाटक में हुआ था और उनके पिता कोडंडेरा माडिकेरी में एक राजस्व अधिकारी थे. घर में उन्हें सभी लोग प्यार से ‘चिम्मा’ कहकर पुकारते थे. करिअप्पा की प्रारम्भिक शिक्षा माडिकेरी के सेंट्रल हाई स्कूल में हुई. शुरू से ही वह पढ़ाई में बहुत अच्छे थे. उन्हें मैथ्स और चित्रकला बेहद पसंद थी. साल 1917 में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कालेज में एडमिशन ले लिया.

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एक होनहार छात्र के साथ वो क्रिकेट, हॉकी, टेनिस के अच्छे खिलाड़ी भी रहे. वे भारतीय सेना के उन दो अधिकारियों में शामिल हैं जिन्हें फील्ड मार्शल की पदवी दी गई. फील्ड मार्शल सैम मानेकशा दूसरे ऐसे अधिकारी थे, जिन्हें फील्ड मार्शल की रैंक दी गई थी. करिअप्पा को 'कीपर' के नाम से पुकारा जाता था. वह फील्ड मार्शल के पद पर पहुंचने वाले इकलौते भारतीय हैं. फील्ड मार्शल और बाद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने अयूब खान ने 1946 में उनके तहत काम किया.

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उपाधियां

अमेरिका के राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन ने उन्हें 'Order of the Chief Commander of the Legion of Merit' से सम्मानित किया.पूरी ईमानदारी से देश को दी गयी उनकी सेवाओं के लिए भारत सरकार ने साल 1986 में उन्हें 'Field Marshal' का पद प्रदान किया. Indian Army से साल 1953 में रिटायर होने के बाद करियप्पा ने साल 1954 से 1956 तक न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में बतौर हाई कमिश्नर काम किया. करियप्पा यूनाइटेड किंगडम स्थ‍ित Camberly के इंपीरियल डिफेंस कॉलेज में ट्रेनिंग लेने वाले पहले भारतीय थे. यूनाइटेड किंगडम से उन्हें ‘Legion of Merit’ की उपाधि मिली थी.

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